BJP’s review Report exclusive : भाजपा के समीक्षा रिपोर्ट आया सामने हैरान करने वाले कारण।भारतीय जनता पार्टी के समीक्षा का रिपोर्ट आ चुका है। उस समीक्षा रिपोर्ट में कुल 12 मुद्दे रखें गये है जो कि इंड टॉक का हाथ लग चुका है। ये समीक्षा रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के लिए जो कि अब सामने आ चुका है। उत्तर प्रदेश में बहुत बुरी हार भारतीय जनता पार्टी को झेलनी पड़ी जहां पर 80 की 80 सीटें जीतने का दावा किया जा रहा था वहां पर पिछली बार से भी बहुत कम सीटें आईं यूं कहिए आधा हो गया है।
BJP’s review Report exclusive

संविधान बदलने का बात
जब इस करारी शिकस्त का समीक्षा किया गया। उस रिपोर्ट में कुछ चौकाने वाली चीजें सामने आई है एक-एक करके सामने बात रखते हैं सबसे पहली चीज जो सामने आई है उसमें कहा गया है संविधान संशोधन को लेकर बीजेपी नेताओं की टिप्पणी विपक्ष का आरक्षण हटा देने का नैरेटिव बना देना ये एक बहुत बड़ा मुद्दा बन चुका था जैसा कि इस बार के चुनाव बीजेपी ने चार पार का नारा दिया उसी नारे के चक्कर में बीजेपी को उत्तर प्रदेश सीटें कम हो गई। प्रधानमंत्री ने ये नारा दे दिया लेकिन बीजेपी के नेताओं ने एक बड़ा गलती तब कर दिया जब लगातार ही संविधान बदलने के बात कर रहे थे। उस से SC ST और OBC जातियों लोगों को ये लगने लगा कि संविधान बदला जाता तो फिर उनका आरक्षण समाप्त हो गया और इस विषय को विपक्ष ने मजबूती उठाएं और संविधान बदलने वाली बात को मैंने अपने पुस्तक 2024 की रणभूमि में भी जिक्र किया था जो चुनाव से करीब एक साल पहले लिखा गया उस पुस्तक स्पष्ट तौर लिखा था कि 2024 चुनाव में विपक्ष सबसे मुद्दा संविधान को बनाएगा और वही हुआ। बीजेपी के नेताओं ने जो गलतियां की उसकी कीमत भाजपा उत्तर प्रदेश चुकाना पड़ा।
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पेपर लीक
उत्तर प्रदेश लगातार ही हर सरकारी वैकेंसी एग्जाम से एकदम पहले पेपर लीक हो जाता है और उसी पेपर लीक ने 2024 की रणभूमि बीजेपी का बड़ा नुकसान कारण बन चुका था और ये वो मुद्दा था जो कि युवाओं मन में गुस्सा भर दिया इंड टॉक यूयूट्यूब चैनल जब मैं युपी पर चुनावी विश्लेषण कर रहा था तब मैंने इन बातों तरफ़ इशारा किया था। पिछले छः सालों से लगातार ही युपी में सरकारी वैकेंसी ना बराबर निकलती जब निकलती थी तब पेपर लीक हो जाता था। युवा बाबा को पसंद करते लेकिन युवाओं अपना भविष्य भी देखना है कहीं ना कहीं युवा वर्ग बाबा और बीजेपी को बड़ा संदेश दे दिया है कि अगर युवाओं को विषय सरकार गंभीरता से नहीं लेती तो ये सरकार विदाई भी युवा वर्ग आने वाली विधानसभा कर सकती हैं। पेपर लीक ऐसा विषय जो कि अब राष्ट्रीय स्तर भी बड़ा बन चुका है। इस पर मोदी सरकार अब गंभीरता दिखा रहीं लेकिन यहीं काम अगर चुनाव पहले किया तो शायद परिणाम कुछ और होता।
संविदा कर्मियों
संविदा कर्मियों की भर्ती और आउटसोर्सिंग का मुद्दा ये भी एक बड़ा मुद्दा रहा और इसको भी संविधान से ही जोड़ा गया क्योंकि इसमें आरक्षण नहीं है। जिन नौकरी को संविदा दिया जाता अर्थात इनडायरेक्टली उसमें आरक्षण नहीं मिलता है। ये एक बड़ा मैसेज गया भारतीय जनता पार्टी आरक्षण विरोधी जो कि आरक्षण को समाप्त करने के लिए संविदा नौकरी दें रहा जिसे विपक्ष ने बखूबी मुद्दा बनवाएं भी। इसके अलावा संविदा कर्मियों परेशान चल रहे थे क्योंकि वो परमानेंट नहीं हो रहे थें। जबकि वादा किया जाता है उनको परमानेंट कर दिया जाएगा और जो कांट्रेक्चुअल जॉब भी है उसमें जो फैसिलिटी मिलनी चाहिए जो सुविधाएं मिलनी चाहिए जो सैलरी या बाकी पक्ष मिलनी चाहिए वो वो नहीं है जो वो मांग कर रहे हैं तो यह एक बड़ा मुद्दा रहा उन लोगों ने भारतीयजनता पार्टी के खिलाफ वोट किया है ऐसा इस समीक्षा रिपोर्ट में सामने आया |
भीतर घात
भीतर घात में बहुत सारे एमएलएस ने एमपी बनने की चाहत में या टिकट की चाहत में काम किया जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्होंने एमपी को हराने का काम किया क्योंकि अगली बार शायद उन्हें मौका मिल जाएगा और कई लोग इसमें ऐसे भी थे जो दूसरे दलों से आए थे तो दूसरे दलों का भी बड़ा योगदान रहा जो दूसरे दल से अलग-अलग पार्टियों को छोड़ कर के लोग भारतीय जनता पार्टी में पहुंचे उन्होंने भीतर घात करने का काम किया उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को हराने का काम किया।
बीजेपी के कार्यकर्ता में सरकारी अधिकारियों को लेकर असंतोष
यह बातें भी सामने समीक्षा में आ रहा है कि बीजेपी के कार्यकर्ता में सरकारी अधिकारियों को लेकर असंतोष की भावना सरकारी अधिकारियों लेकर भी असंतोष था। बीजेपी कार्यकर्ता को की नाराजगी थी और बीजेपी कार्यकर्ता की जो इंपॉर्टेंस है वैल्यू मिलनी चाहिए अपनी सरकार के होते हुए वो नहीं मिल रही थी और इसका तो मैं भी कई एग्जांपल आपको दे सकता हूं जहां पर लोगों ने खुद आ कर के बताया कि हमारी ही सरकार है और हमारी कोई वैल्यू नहीं है हम कोई किसी अधिकारी से बात नहीं कर सकते किसी अधिकारी को कुछ काम के लिए कह नहीं सकते हैं स्टेट गवर्नमेंट ने इस तरह से अधिकारियों को इंस्ट्रक्शन दे रखी है किहमारे पदाधिकारियों की कोई काम ना किया जाए उनकी बात ना सुनी जाए जबकि ऐसा कोई ऑथेंटिक प्रूफ नहीं मिल पाया लेकिन अंदर खाने पता चला कि जो कार्यकर्ता थे वो नाराज़ थे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाता की बात और अधिकारी नहीं सुन रहे थे , अब कई लोग कह रहे हैं क्योंकि ऐसा सरकार ने कहा था इसलिए नहीं सुन रहे थे और कई लोग कह रहे हैं कि अधिकारी जानबूझ कर के अपनी तरफ से ऐसा मनमानी कर रहे थे जबकि मुझे ऐसा लग रहा है अधिकारी मनमानी तो अपनी तरफ से नहीं कर सकते हैं जब तक कि कहीं ना कहीं से उन्हें आदेश ना मिला हो आदेश दिल्ली से आया या फिर लखनऊ से वो जांच का विषय है वो समीक्षा में बाद में जांच होगी तो पता चलेगा।
निचले स्तर पार्टी का विरोध
एक और चीज पता चली है निचला स्तर पर पार्टी का विरोध जो पार्टी का ग्राउंड स्तर पर विरोध हो रहा था बहुत ज्यादा विरोध था अलग-अलग मुद्दों को लेकर के बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा था महंगाई एक बड़ा मुद्दा था युवाओं की नौकरी बड़ा मुद्दा रहा और जो अग्निवीर की योजना थी वो बड़ा मुद्दा रहा ग्राउंड पर अलग-अलग मुद्दों के कारण भारतीय जनता पार्टी का नेताओं का विरोध हो रहा था और उस विरोध को को रोक पाने में नेता कार्यकर्ता पदाधिकारी असफल रहे।
बीएलओ
समीक्षा रिपोर्ट में एक ऐसा बात सामने आ रहा जो कि बहुत हैरान कर रहीं हैं। बीएलओ द्वारा बड़ी संख्या में मतदाता सूची से नाम हटवाए गए। ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई दल सत्ता में था उसी दल के मतदाताओं को वोटर लिस्ट से नाम हटा दिया गया। जो भाजपा समर्थक थे उनके नामों को लिस्ट से हटाया गया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण वाराणसी में जिस चाय वाले के यहां पर नरेंद्र मोदी जी ने चाय पी उसके खुद के घर में 15 वोट थे और 10 वोटकटवा दिए गए और बीएलओ तो स्टेट गवर्नमेंट के अधिकारी होते हैं तो उन्होंने किसके कहने पर किया अब ये जांच का विषय है लेकिन बहुत सारे वोट कटे हैं जैसे कि पहले दूसरे समुदाय संप्रदाय के वोट कटवाए जाते थे उसी तर्ज इस बार बीजेपी के कोर वोटर नाम वोटर लिस्ट करवाएं गया। बड़ी संख्या में बीएलओ ने ऐसा किया। अब सवाल ये है कि ऐसा किया बीएलओ अपने आप कर सकता या फिर किसी इशारों पर किया, ये तो अभी जांच का विषय है।
उम्मीदवार का चयन में जल्दबाजी
एक और चीज आईए टिकट वितरण में थोड़ी जल्दबाजी की गई जिस कारण से बीजेपी को नुक़सान हो गया। कौन उम्मीदवार आ रहा है कहां से आ रहा है किसी को पता नहीं था। बीजेपी पैराशूट कैंडिडेट को टिकट दे दिया जिस कारण से बीजेपी को नुक़सान हो गया। कोई भी कहीं से भी आकर बीजेपी शामिल हो जाता है उसे उम्मीदवार बना दिया जाए और सामने वाले ने कहा कि मैं उम्मीदवार बनना चाहता हूं और भारतीय जनता पार्टी ने समीकरण देखे क्योंकि उन्हें लग रहा था 80 के 80 सीटों इस बार उत्तर प्रदेश में जीतने वाले हैं तो उन्होंने बिना सोचे समझे किसी को भी उम्मीदवार बना दिया। जल्दबाजी उम्मीदवार का चयन तो कर लिया लेकिन उन उम्मीदवारों चुनावी तैयारी का मौका नहीं मिला।
ठाकुरों की नाराजगी
एक और चीज जो सामने आ रही है ठाकुरों की नाराजगी थी और ठाकुरों नाराजगी तो सबको पता ही है ठाकुरों ने जिस तरह से विरोध किया और जिस तरह से जो वहां से गुजरात से जो रूपानी जी का बयान आया वो वहां से बहुत काम नुकसान होना शुरू हुआ और पुरुषोत्तम रूपाला इतने महत्वपूर्ण व्यक्ति नहीं थे कि उनके स्टेटमेंट के बाद उन्हें हटाया नहीं जा सकता था वो खुद चुनाव जीत गए लेकिन उनके कारण बहुत सारी सीटों का नुकसान हुआ राजपूतों की बहुत बड़ी नाराजगी थी ठाकुरों की बहुत बड़ी नाराजगी थी वो
सामने आ रहा है पिछड़ी जाती है अभी कुछ भारतीय जनता पार्टी से टूटी है उसका भी कारण वो लोग ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं।
बीएसपी के उम्मीदवार
जो बीएसपी ने उम्मीदवार उतारे जहां-जहां पर बीएसपी के उम्मीदवार ऐसे थे जो मुस्लिम थे या दलित थे या बैकवर्ड क्लास के थे वो ज्यादा वोट बीजेपी का लेगए या वो ऐसा वोट ले गए जो भारतीय जनता पार्टी को वोट मिलने वाला था इंडिया गठबंधन को कम नुकसान किया वैसे कई सीटों पर जहां मुस्लिम उम्मीदवार उतारे गए 12 सीटें ऐसी थी जहां पर बीएसपी के कारणइंडिया गठबंधन को नुकसान हुआ लेकिन कम से कम 20 सीटें ऐसी थी जहां पर एनडीए को घटकदल या भारतीय जनता पार्टी को नुकसान हुआ बीएसपी के कारण तो बीएसपी का भी एक बड़ारोल वहां नजर आ रहा है।
गुटबाजी
एक और चीज जो सामने आ रही है समीक्षा में कि जो लोग आपस में गुटबाजी चल रही थी भारतीय जनता पार्टी में उस गुटबाजी को रोक पाने में समय रहतेभारतीय जनता पार्टी नाकाम रही और सेंट्रल लीडरशिप के पता होने के बावजूद भी जो स्टेट सेंटर में लड़ाई चल रही है जो लड़ाई चल रही है उसको रोका नहीं गया और जब कोईभी मशीनरी या कोई भी सिस्टम या कोई भीसिस्टम में बैठा व्यक्ति यह तय कर ले कि किसका नुकसान होना है तो वो यह तो तय कर सकता है नुकसान हो लेकिन वो फिर यह तय हीं कर सकता कि नुकसान कितना हो कहां नुकसान होना रुक जाए तो कुछ लोग ऐसा भी कह रहे हैं समीक्षा में ये बातें निकल के आई है कि प्रयास किया गया कि भारतीय जनतापार्टी सीटें कुछ कम हो जाए झटका दिया जाए लेकिन झटका देते समय ध्यान ही नहीं रहा कि उसका असर कितना ज्यादा हो रहा है और इतना ज्यादा इंपैक्ट हो गया कि जितना सोचा था उससे उम्मीदवार से कई गुना ज्यादा इंपैक्ट हुआ और उसकी गाज अब कुछ लोगों पर गिरनी तय है लगभग कुछ विधायकों को आइडेंटिफिकेशन पर भी कुछ बात आएगी क्योंकि जितने भी ऑफिसर्स हैं कर्मचारी हैं वो सारे स्टेटगवर्नमेंट के अंडर आते हैं और योगी जी पर भी हो सकता है एक सवाल या निशान लगे कि योगी जी ने समय रहते चीजों को ठीक नहीं किया जिस तरह से ठाकुरों की सभाएं हो रही थी जिस तरह से राजपूत लोग विरोध कर रहे थे और उनके विरोध की जो सभाएं ही थी उनको परमिशन दी जा रही थी प्रशासन के द्वारा अगर योगी जी और थोड़ा प्रयास करते तो शायद रोक लेते ऐसा मुझे भी लग रहा है।