Rupee At Life Time Low:जब 2013 -2014 में केन्द्र मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार चल रहीं थीं तो उस समय भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार और तत्कालीन गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉलर के मुकाबले रुपया को गिरने मनमोहन सिंह के सरकार पर खुब तंज कसा था।

और उस समय एक डॉलर का क़ीमत 58 रूपये हुआ करता था। नरेंद्र मोदी तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर ये तंज कसा थें कि धीरे-धीरे रूपया भी मनमोहन सिंह के उम्र बराबर हो जाएगा और उस समय एक और विडियो वायरल हो रहा हमारे पड़ोसी देशों के नाम लेते हुए मोदीजी बोलें थे कि नेपाल , पाकिस्तान, बंगलादेश श्रीलंका के करेंसी नहीं गिरता बस भारत का रूपया गिरता है, जबकि सच्चाई इस से विपरित क्योंकि अगर भारत रूपया गिरता है तो इन देशों के करेंसी भी गिरेगा।
2014 में 58, 2024 में 87 डॉलर के मुकाबले रुपये की लगातार गिरावट का सच
खैर आज कांग्रेस भी नरेंद्र मोदी को पुराने भाषण याद करवा ही रहा लेकिन आज हम इस लेख को राजनीति अलग रखें और ये समझने कोशिश करेंगे कि रूपये के मुकाबले डॉलर गिरना भारत पर कैसा प्रभाव रहेगा सकारत्मक या फिर नकारात्मक रहेगा। जैसा कि इस समय शेयर मार्केट गिर रहा और रूपये डॉलर के मुकाबले ALL time low पर चला गया है।

रूपये गिरने का समझिए
आसान शब्दों में रूपये के गिरने को समझिए अगर भारत निर्यात ज्यादा करता तो इसका भारत को लाभ मिलता लेकिन भारत निर्यात नहीं बल्कि आयात ज्यादा कर रहा है इस कारण रूपये गिरने का भारत को लाभ नहीं मिल रहा बल्कि कि नुकसान हो रहा है।
सीधे शब्दों में
सीधे शब्दों में अगर भारत विदेशों में अपने समान को ज्यादा बेचें तो भारत को रूपये गिरना का नुकसान नहीं होगा बल्कि कि फायदा होगा।
वहीं आज का भारत का सच्चाई ये है कि आयात कर रहा अर्थात विदेशों से समान कर ख़रीद रहा ना कि विदेशों में अपने समान बेच रहा है।
भारत विदेश से कच्चा तेल और गैस आयात
भारत अपने जरुरत के लगभग कच्चे तेल पर आयात निर्भरता 87.7% है, जबकि प्राकृतिक गैस के लिए यह 46.4% विदेशों आयात करता है। अगर आंकड़ों देखें तो भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में, भारत ने लगभग 232.5 मिलियन टन (23.25 करोड़ टन) कच्चे तेल का आयात किया, जिस पर 132.4 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यय हुआ।
इसके अलावा गैस सेक्टर में भारत ने भारत ने 2023-24 में 30.91 अरब घनमीटर गैस का आयात किया, जिसकी लागत 13.3 अरब डॉलर रही। इसके अलावा शादियों के सीज़न में भारत सोना अर्थात गोल्ड मांग में भी तेजी देखा जाता लेकिन शायद आपको पता नहीं भारत अपने जरूरत के हिसाब ज्यादातर सोना विदेशों निर्यात करता है।
पिछले वर्ष 2023-2024 में भारत ने कुल निर्यात 45.54 अरब डॉलर रहा और भारत लगभग 800-900 टन सोना हर साल आयात करता है। यानी भारत अपने जरुरत ज्यादातर सोना विदेशों ख़रीद रहा है।
इस समय भारत आयात ज्यादा कर रहा है लेकिन जब निर्यात बारी आता है तो भारत इसमें काफी पिछे रह जाता है।
क्यों जानबूझ कर करेंसी गिराते दुनिया कुछ देश
हम इस समय भारत में रुपया गिरने पर डिबेट कर रहे हैं लेकिन दुनिया में ऐसे कई देश जो जानबुझ कर अपने करेंसी गिराते है जिसमें प्रमुख रूप चीन, जापान जैसे देश शामिल हैं। ये वो देश जो अपने करेंसी जानबूझकर गिराते हैं क्योंकि ये देश निर्यात ज्यादा करते हैं अर्थात अपने सामानों को विदेश में बेचते हैं।
एक तथ्य आपको ये भी दे कि 1991 जब भारत ने दुनिया के लिए अपना मार्केट खोला तब ने भी ख़ुद के करेंसी जानबूझकर गिराया जिसका भारत को बेनिफिट भी मिला है और उस देश के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने भारत के सोना विदेश में भी गिरवी रखा था।
क्यों रूपया कमजोर हो रहा??

आम आदमी क्या असर पड़ेगा??

ट्रंप का भी असर
अमेरिका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 20 जनवरी को सपथ लेने के बाद ऐसा हो सकता है कि वो व्यापार कुछ नियमों परिवर्तन या फिर बैन लगा सकते हैं और व्यापार के लिए नीतियों बड़े परिवर्तन ला सकते हैं इसलिए भी लगातार दुनिया भर के करेंसी अमेरिका डॉलर मुकाबले गिर रहा है।
निष्कर्ष
खैर तमाम पक्षो बातों समझाने के बाद इस निष्कर्ष आते हैं कि अगर भारत को डॉलर मुकाबले रुपया को मजबूत करना है तो फिर भारत को आयात इस समय कम करना पड़ेगा और निर्यात बढ़ाना पड़ेगा तभी भारत का रूपया अमेरिकी डॉलर मुकाबले मजबूत हो पाएगा।