valentine day: the truth about valentine’s day प्रेम का असल अर्थ

रिपोर्टर IND TALK TEAM
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valentine day: साल का दूसरा महीना यानी फरवरी, और फरवरी यानी प्यार का महीना क्योंकि इसकी 14 को होता है वैलेंटाइन डे। हालांकि अब तो पूरा वैलेंटाइन वीक मनाया जाता है जिसमें 14 फरवरी से पहले चॉकलेट डे, टेडी डे, किस डे और ना जानें कौन-कौन से डे आते हैं। पर सवाल ये है कि क्या प्यार यही है? साल में एक महीना, एक सप्ताह या एक दिन प्यार का होना जरूरी है या साल के हर दिन प्यार होना जरूरी है? 

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इस बार का वेलेंटाइन खास क्योंकि भारतीय वेलेंटाइन बसंत ऋतु से आरंभ होता जो कि इस बार 14 फरवरी को होने जा रहा है। इसलिए इस बार का वैलंटाइन डे काफी खास है।

वेलेंटाइन डे एक ऐसा दिन जब प्रेमी-जोड़े एक दुसरे से प्यार इजहार करते हैं,वैसे हमारे देश में कई लोग इस दिन का विरोध भी करते हैं कि उनका कहना है कि प्यार इजहार के लिए कोई ख़ास दिन नहीं होता है , ऐसे लोगों का पक्ष से सहमत हो सकते लेकिन इस बात से आप असहमत भी हो सकतें हैं। हमारे इन बातों से आज के यंगस्टर्स काफी नाराज़ भी सकते और ये लेख को  यहीं छोड़ के चलें जाएंगे लेकिन उन यंगस्टर्स से हम यहीं कहेंगे कि ध्यानपूर्वक इस लेख को पुरा पढ़ें।इसके अलावा जब हम भारतीय संस्कृति के बात करते हैं तो प्रेम का काफी महत्व है लेकिन इस दौर में प्रेम का अर्थ बदल चुका है। आज के प्रेमी युगल बस शारीरिक सुख हासिल करने को ही प्यार समझ बैठे जो कि असल में प्रेम का अर्थ नहीं है। 

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कविदास जी का एक दोहरा ढाई अक्षर प्रेम का जो पढ़े सो पंडित होय जिसका अर्थ होता है कि बड़ी-बड़ी किताबें पढ़ कर संसार में कितने लोग मृत्यु के द्वार पहुंच गए, लेकिन सभी विद्वान न हो सके। कबीर मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के सिर्फ ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले,अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा। 

 इस बात से भी आप समझ सकते हैं कि भारतीय संस्कृति में प्रेम का कितना गहरा अर्थ छीपा हुआ है। आज दौर के यंगस्टर्स प्रेम अर्थ को बस इतना समझते एक -दुसरे से शारीरिक जरूरतों पुर्ण करना ही प्रेम समझ चुकें हैं, जबकि प्रेम का असल में ये अर्थ नहीं होता है। प्रेम को समझने के लिए आपको गहराईं में जाना पड़ेगा जबकि यंगस्टर्स प्रेम को इस रूप लेते हैं  बस गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड बनाना फिर घुमना फिरना और उसके बाद क्या करना ये तो आपको पता है। कुछ ऐसे लोग भी जो कि मेरे इन बातों से सहमत नहीं होंगे,वहीं कुछ लोग ऐसे भी हो सकतें जो कि मेरे इन बातों से सहमत भी हो सकतें हैं।

प्यार का परिभाषा

समय के साथ साथ प्यार का परिभाषा भी बदल गई है। और एक व्यक्ति विशेष के लिए भी प्यार की परिभाषा अलग ही होती है। तो आइए आज देखते हैं कि हमारी भारतीय संस्कृति प्यार को लेकर क्या कहती है और आज के नौजवान इस प्यार को कैसे समझते और करते हैं।

भारतीय संस्कृति प्रेम का महत्व 

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भारतीय संस्कृति में प्यार को एक पवित्र और गहरा अनुभव माना जाता है। यहां प्यार को एक अद्भुत और अमूल्य भावना माना जाता है जो लोगों को एक-दूसरे के साथ पवित्र संबंध बनाने के लिए प्रेरित करता है। भारतीय इतिहास में हमें जाने कितने ही उत्कृष्ट प्रेम के उदाहरण मिलते हैं, जैसे राधाकृष्ण का उदाहरण है जो बताता है कि प्यार इंतजार का नाम है, प्यार का

मतलब हमेशा मिलन नहीं होता। वहीं श्री राम और माता सीता का उदाहरण देखें तो हमें पता चलता है कि अपने प्यार के लिए आपको महल के ऐशो आराम छोड़कर वनगमन भी करना पड़े तो वो भी करना चाहिए और विरह में सिर्फ उसका ध्यान होना चाहिए। अब बात करें आज की युवा पीढ़ी की तो यह प्यार को अधिक रोमांचिक और उत्साही तरीके से अनुभव करती है। उन्हें अपनी भावनाओं को बांटने और अपने साथी के साथ एक गहरा संबंध बनाने का उत्साह होता है। वे अक्सर रोमांटिक फिल्मों और सोशल मीडिया के प्रभाव में रहते हैं, जो प्यार को एक नाटकीय रूप में पेश करते हैं।

आज के युवाओं के लिए शारीरिक प्रेम भावनात्मक प्रेम से ऊपर आ गया है। प्रतिदिन मिलना, अधिक से अधिक बात करना, उपहारों का आदान-प्रदान करना यह सब उनकी प्राथमिकता होती है। और इस बीच वह असल चीज़ को भूल जाते हैं जो हमारा इतिहास और हमारी संस्कृति हमें सिखाती है। आज के नौजवानों के लिए प्यार से ज्यादा प्यार का दिखावा जरूरी हो गया है। वो पूरी दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि देखो मैं मेरे साथी से कितना प्यार करता हूँ और मेरा साथी मुझसे कितना प्यार करता है। भले ही सच्चाई ये हो कि वो आपस में हमेशा लड़ते रहते हो।

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वेलेंटाइन डे का इतिहास

वेलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता है इसके पीछे का असल इतिहास क्या है, ये सबकुछ आज बताने जा रहे हैं। वेलेंटाइन डे के पिछे जो किस्सा वो ये है कि वेलेंटाइन नाम का एक संत हैं जिन्होंने राजा के आदेशों विरूद्ध जाकर पुरुषों के शादी करवाएं है। असल कहानी उस समय का जब रोम में सम्राट क्लॉडियस द्वितीय ने युवा पुरुषों को शादी करने से मना किया था।क्योंकि उनका मानना था कि विवाहित पुरुष सैनिकों के रूप में अच्छे नहीं होते हैं। सेंट वैलेंटाइन जो कि एक पादरी थे, इन आदेशों को अनदेखा कर दिया और गुप्त रूप से जोड़ों की शादी करवाते रहे। अंत में, उन्हें पकड़ा गया और 14 फरवरी को उन्हें मृत्युदंड दे दिया गया।  

वेलेंटाइन डे आज पुरा विश्व मनाता है लेकिन जब हम भारत नज़रिए देखें तो हमारे प्रेम का अर्थ काफ़ी गहरा जो कि आज के पीढ़ी को समझ नहीं आ रहा है प्रेम वो नहीं जो आपके शारीरिक जरूरतों पुर्ण करता है असल मायने आज यंगस्टर्स को प्रेम का सही अर्थ समझ नहीं आ रहा है जब आप भारतीय संस्कृति को समझें तभी आप प्रेम को असल रूप में समझ सकते हैं, एक आंकड़ा कहता है कि वेलेंटाइन वीक दौरान कंडोम बिक्री काफी बढ़ जाता है तो क्या आप इसे प्रेम कहेंगे। अभी से ही कई कपल्स 14 फरवरी को होटलों बुक करने लगें तो क्या इसे भी प्रेम कहेंगे शाय़द आप इसे जो कहें लेकिन कड़वा सच ये है कि प्रेम असल अर्थ आज पीढ़ी नहीं समझ पाएंगे। 

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ये लेख इंड टॉक टीम के विभिन्न लेखको द्वारा लिखें गये है इसमें हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि सभी लेख पुरी तरह से तथ्यों आधार पर हैं। हमारा उद्देश्य हमारे पाठकों तक सबसे विश्वसनीय खबरें पहुंचाना है।।
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