Budget 2024: 1 फरवरी 2024 देश का अंतिम बजट केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया। हालांकि बजट अंतरिम बजट था तो इससे वैसे भी ज्यादा उम्मीद नहीं थी कि इसमें बड़े-बड़े लुभावने फैसले लिए जाएंगे । पर इस बजट में ऐसे कई सारे मुद्दे दिखाई दिए जिसे जानने के बाद यह लग रहा था कि यह बजट धरातल पर लागू करने के योग्य है या नहीं ?

Budget 2024
बजट में केंद्र सरकार का पिछले 10 वर्षों का रिपोर्ट कार्ड तो दिखा दिया गया ,परंतु इस बजट में यह नहीं बताया गया कि पिछले 10 सालों में देश की अर्थव्यवस्था की क्या हालत हो गई है?
10 साल में देश की महंगाई का कोई जिक्र नही
इस बजट में जहां एक और देश की इकोनॉमी अगले 10 सालों में और बेहतर करने की बात की गई, वहीं दूसरी ओर पिछले 10 सालों में देश में गरीबी और महंगाई किस कदर बड़ी है इस बात पर पर्दा डाल दिया गया।
जहां वित्त मंत्री निर्मला सितारमन देश में नए ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस खोलने की बात कर रही है वहीं इस देश की गरीब जनता को मेडिकल फैसिलिटी क्या मिल रही है उस पर किसी प्रकार की कोई बात नहीं की गई
GDP की गणना गुना भाग करके की जा रही है
अगर GDP की ही बात करें, रिपोर्ट्स के दिखाया तो यह गया की GDP काफी बढ़ रहा है पर जीडीपी किस दर से बढ़ रहा है यह कोई नहीं जानता । जीडीपी क्या होता है?देश की पूरे कमाई को जनसंख्या से भाग देने के बाद जो संख्या आती है उसे ग्रॉस डोमेस्टिक इनकम कहा जाता है । अब अगर हम देश के सारे इंडस्ट्रियलिस्ट सारे करोड़पति अमीर लोगों की इनकम को देश की कुल जनसंख्या से भाग देंगे तो प्रति व्यक्ति आय 1 लाख रुपए के आसपास आ जाएगी ।
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तो यह देश जहां पहले से ही हर कोई लखपति है वहां लखपति दीदी योजना की फिर जरूरत ही क्या है? जब पहले से ही हर कोई लखपति है। अगले 5 सालों में करीबन 3 करोड़ महिलाओं को लखपति बनाने की योजनाएं चलाई जा रही है परंतु इसे लागू कैसे किया जाएगा इस बात पर बजट में किसी प्रकार की चर्चा नहीं की गई।
ग्रामीण शिक्षण संस्थानों का है बुरा हाल
दूसरी और बजट के दौरान नए IT सेंटर नये ITI सेंटर खोलने की बात की जा रही है, पर यह नहीं देखा जा रहा कि ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षक बच्चों को स्कूल में क्या पढ़ा रहे हैं ? उन्हें खुद को अंग्रेजी पढ़ना नहीं आ रहा है।
शिक्षा स्तर को बेहतर करने की बात तो की जा रही है, बच्चों को एजुकेशन उपलब्ध कराने की बात की जा रही है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इस एजुकेशन सेक्टर की क्या स्थिति है उसके बारे में बजट में किसी प्रकार की कोई चर्चा नहीं की गई।
किसानो को मिल रहा है झुनझुना
फिर बात करते हैं बड़े-बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट और बिजनेसमैन के लोन की माफी की । जहां देश में एक ओर बड़े-बड़े बिजनेसमैन और इंडस्टरीयलिस्ट के लोन माफ कर दिए जा रहे हैं। वहीं किसानों के लिए छोटी-मोटी योजनाएं किसान सम्मन निधि, किसान फसल बीमा योजना चलाकर उन्हें 5000 – 6000 देने के बाद सरकार यह दिखा रही है कि हमने किसानों के लिए बहुत कुछ कर दिया ।
तो ऐसे में सरकार को यह सोचना चाहिए इंडस्ट्रियलिस्ट और बिजनेसमैन जो पहले से ही रईस है उन्हें करोड़ों के लोन की माफी मिल रही है और किसानों को हजारों दिए जा रहे हैं । जहां किसानों के लिए और नई योजनाएं चालू करने की जरूरत है वहां उन्हें केवल बेसिक जरूरत पूरी करने के लिए ही आर्थिक सहायता दी जा रही है।
रेलवे की असली स्थिति पर पर्दा
वहीं अगर रेलवे की बात करें तो बजट में वंदे भारत का एग्जांपल देकर अन्य ट्रेन के कोचों को भी बंदे भारत की तरह बनाने की बात की गई । पर यह नहीं देखा गया की रेलवे की इकोनामिक कंडीशन कितनी खराब हो गई है ? रेलवे ने काफी समय से सीनियर सिटीजंस को मिलने वाली कंसेशन भी बंद कर दी है । रेलवे की इकोनॉमी देखे तो रेलवे कितने लॉस में जा रही है और रेलवे की अंदर काम करने वाले वर्कर्स की क्या हालत है उसके बारे में इस बजट में कोई बात नहीं की गई।
टैक्स पेयर्स का पैसा कहां जाता है?
ध्यान से देखा जाए तो 2024 के इस बजट में कई सारी ऐसी बातें छुपाई गई जिनका जानना लोगों के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है । वित्त मंत्रालय कहता है कि इस साल टैक्स पेयर्स दुगने हो गए हैं इनकम टैक्स ज्यादा भरा गया है पर वित्त मंत्रालय यह नहीं बताता है कि कारपोरेट सेक्टर से टैक्स कितना मिला है ?
फिर इसके बाद वित्त मंत्रालय यह कहता है कि हमने बहुत सारी चीजों पर रियायतें दी हैं । बहुत सारी चीजों पर छूट दी है । गरीबों के लिए बहुत सारी योजनाएं चलाई है ,लेकिन गरीबों को गरीब होने के सबूत के लिए अलग-अलग खाका पेश करना पड़ता है ,जिसमें हर योजना का लाभार्थी बनने के लिए उन्हें अलग-अलग पात्रता मानदंड साबित करने पड़ते हैं।
भारत की इकोनॉमी की बुरी हालत
इस पूरी प्रक्रिया से यह पता चलता है कि हमारे भारत की इकोनॉमी का इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत बुरी तरह से हिला हुआ है । जहां हमें अधूरी जानकारी दी जाती है और जिससे हमें लगता है कि भारत तरक्की कर रहा है। पर असल में हमें तरक्की करता हुआ भारत दिखाया जाता है जिस भारत में अब तक तरक्की नहीं हुई है, जिस भारत में विकास की शुरुआत भी नहीं हुई है उस भारत के उन सारे मुद्दों को दबा दिया जाता है।
तो कुल मिलाकर केंद्र सरकार का यह अंतरिम बजट देखने में भले ही फायदेमंद लग रहा हो परंतु बहुत सारे महत्वपूर्ण मुद्दों से इस बजट में आंख मूंद ली गई जिस पर किसी प्रकार की कोई चर्चा भी नहीं की गई। खासकर बेरोज़गार युवाओं के बारे में बजट चर्चा तक नहीं किया गया वहीं एक करोड़ घरों तक सूर्य ऊर्जा लगाने की बात गई प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना तहत एक प्रमुख पहल है जिसका मकसद घरों को छत पर सोलर पैनल लगाने के लिए प्रोत्साहित करके जमीनी स्तर पर सोलर एनर्जी को बढ़ावा देना लेकिन सवाल ये है कि 20 सालों तक बिजली बिल नहीं लगेगा सोलर प्लांट लगाने में उतना खर्च हैं जितना 20 सालों के बिजली देने पर लगेगा तो क्या इस देश आम आदमी या फिर ग़रीब खर्च उठाने के लिए तैयार हो सकता है ज़वाब नहीं बल्कि जिस देश में 80 करोड़ लोग दो टाइम्स भोजन के लिए सरकार के राशन पर निर्भर भला उस देश के लोग सोलर प्लांट पर कहां से खर्च कर पाएगी ज़रा सोचिए गा जरूर। लेकिन यहां स्पष्ट करना चाहता हूं कि सरकार के हर फैसले का आलोचना करना भी उचित नहीं बल्कि सोलर प्लांट लगाने से देश को लाभ भी होगा। मोदी सरकार इस बजट को विकसित भारत 2047 का बजट बता रहीं लेकिन हमें ये लगता है कि इस बजट में बेरोज़गार युवाओं, किसानों, गरीबों और देश के अंतिम पड़ाव खड़े लोगों को इस बजट से कुछ नहीं मिला है। बाकी अभी आगे हम सब को पुर्णकालिन बजट का इंतजार करना पड़ेगा जब नयी सरकार गठित होने के बाद फिर से बजट आएगा। लेकिन जब चुनाव निकट खड़ी तब बजट में कुछ नहीं मिला तो चुनाव के बाद क्या मिलेगा।