Bihar Political Crisis: बिहार के सियासत फिर से उबाल आ गया जो पिछले कई दिनों अंदाजा लगाया जा रहा था वो वाकई सच हो गया और नितीश कुमार अपने आदत अनुसार फिर से पलटी मार गये जो कि पहले से अंदाजा लगाया जा रहा था। नीतीश कुमार फिर से मोदी के खेमें चलें जो नितीश इस पहले इंडिया गठबंधन के सुत्रधार बन के देश-भर घुम रहे वहीं नितीश कुमार फिर से पलटी मार गये और एक नयी सियासी गणित को अपने तरीके लिख दिया। शायद नितीश कुमार पहले मुख्यमंत्री होंगे जो कि एक ही कार्यकाल में तीन बार मुख्यमंत्री पद के सपथ लेने वाले मुख्यमंत्री बन गये। आज नीतीश कुमार के पलटनें के इनसाइड स्टोरी बताने जा रहे हैं आखिर क्यों नितीश कुमार पलटें इसके पीछे असल कारण क्या है।
Bihar Political Crisis
पहला कारण तेजस्वी यादव बढ़ती लोकप्रियता
जैसे ही 2022 में नयी सरकार गठित हुईं उसके बाद से तेजस्वी यादव के मुख्य एजेंडे में वहीं वादा था कि 10 लाख सरकारी नौकरी देने जो कि तेजस्वी यादव ने 2020 में वादा किया और 2022 में सरकार बनी तो तेजस्वी यादव उन वादों पुरा भी किया। जब बिहार में सरकारी नौकरी के बारिश हो गई तब तेजस्वी यादव के लोकप्रियता तेज़ी बढ़ने लगी|जिस लालू प्रसाद यादव के आरजेडी को यादव-मुस्लिम के पार्टी माना जाता वहीं आरजेडी तेजस्वी यादव के आने के बाद A TO Z की राजनीति दल बन गई।
तेजस्वी यादव के इसी राजनीति से नीतीश कुमार और बीजेपी दोनों डर गई। जिस तेजस्वी के पिता लालू प्रसाद यादव राज कथित तौर पर जंगलराज से जाना जाता था वहीं तेजस्वी यादव सत्ता में आते ही लालू उस कथित जंगल राज बिल्कुल उलट विकास और नौकरी बिहार बना दिया, नीतीश को शुरुआत में यही लग रहा था कि इस कार्यो के लिए जनता में नीतीश कुमार जयकार होगा लेकिन जनता में इसका उलट हो गया लोगों ने तेजस्वी यादव को इसका श्रेय देने लगें। आज ही तेजस्वी खुलकर कह चुके हैं कि क्यों ना क्रेडिट लें, जिन विभागों से नौकरी दिया गया वो सारे मंत्री आरजेडी के थे जब महागठबंधन की सरकार नहीं बनीं थी तब नितीश कुमार ही तेजस्वी यादव के मज़ाक बनाएं करते थे लेकिन आज वहीं नितीश कुमार कहते हैं कि उन्होंने सरकारी नौकरी दिया। स्पष्ट तौर कहे तो इस गठबंधन टुटने प्रमुख कारण यहीं था कि तेजस्वी यादव का लोकप्रियता लगातार बढ़ रहा था, जिससे नितीश कुमार भय होने लगा अगर तेजस्वी कुछ समय और उनके साथ रहते तो शायद वो नितीश कुमार जगह ले लेते।
दुसरा कारण कांग्रेस पार्टी इंडिया गठबंधन हपरने कोशिश
नीतीश कुमार का एनडीए के साथ जाने का एक बड़ा वजह सामने आया वो ये है कि कांग्रेस पार्टी का इंडिया गठबंधन हड़पना कोशिश यूं कहिए कि हड़प लिया जिस इंडिया ब्लाग को नीतीश कुमार ने बनाया उसी इंडिया ब्लाग को कांग्रेस पार्टी ने कमजोर करने का हर मुमकिन कोशिश किया भले ही कांग्रेस के हालात ये है कि वो तीन राज्यों में ही सरकार में आज कांग्रेस स्थिति क्षेत्रीय दल के तरह है। लेकिन वहीं कांग्रेस हर राज्य जहां उसकी वजूद भी नहीं वहां पर भी 10-12 सीटें माग रहीं जहां पर कांग्रेस मजबूत है वहां पर वो क्षेत्रीय दलों को सीट देना नहीं चाहती है, तो फिर गठबंधन में कैसे होगा? इसलिए नितीश कुमार ने कहा कि सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है उस बात को जदयू के पॉलीटिकल एडवाइजर केसी त्यागी ने बताया कि कांग्रेस का एक कोकस इंडिया गठबंधन के नेतृत्व को हड़पना चाहता था। 19 दिसंबर को जब इंडिया गठबंधन की बैठक हुई, तो साजिश के तहत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए सुझाया गया। यहीं से ये स्थिति बदल गई बताया जाता है, कि इस पहले नितीश कुमार प्रधानमंत्री बने के सपना देख रहे थें लेकिन जैसे ही कांग्रेस खरगे का नाम आगे किया तो नीतीश कुमार समझ गये कि इस गठबंधन में रहकर कोई फायदा नहीं होने वाला है जिस गठबंधन के सुत्रधार नीतीश कुमार थें उसी गठबंधन में नितीश कुमार महत्त्व को नजरंदाज कर दिया गया। जब कांग्रेस अपनी ग़लती का एहसास हुआ तो वो नीतीश कुमार को मनाने का भी कोशिश किया लेकिन काफी देरी हो चुका था। इसलिए आज नीतीश कुमार ने आरजेडी जगह कांग्रेस पर वार किया।
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बाकी ये नीतीश कुमार है, जिनके लिए सत्ता महत्वपूर्ण है चाहें वो जैसे मिलें, नीतीश कुमार जब अपने राजनीति जीवन के शुरुआत में चुनाव हार गये तब उन्होंने एक बार एक वरिष्ठ पत्रकार से कहा था कि सत्ता लेंगे चाहें जैसे ले आज वकई नितीश कुमार ये साबित किया आज वो नवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बन गये और आगे भी बनेंगे ही। खैर नितीश कुमार आने के बाद बीजेपी को लाभ होगा जिस प्रकार की बिहार के सियासी गणित उस गणित नीतीश आने के बाद बीजेपी के लिए चार चांद लग चुकें हैं। इस पहले बीजेपी के अंदरूनी सर्वे अनुसार ही बीजेपी को 10-20 सीटों का नुकसान हो रहा लेकिन अब ये नुकसान बीजेपी को नहीं झेलना पड़ेगा और जब लोकसभा चुनाव समाप्त हो तब बीजेपी एक बार फिर से खेला कर सकती संभावना है कि उसके बाद नीतीश बीजेपी के पास दो विकल्प छोड़े जाएगे पहला दिल्ली आकर केन्द्रीय बने या फिर किसी state के राज्यपाल बन जाएं अगर इन विकल्पों को नितीश नही मानेंगे तो समझ जाए कि जदयू टुटना तय जिसे कोई नहीबी टाल सकता है क्योंकि अब बीजेपी नितीश कुमार चेहरे पर अगला चुनाव नहीं लड़ेंगी। इसका सीधा अर्थ है कि ये गठबंधन लोकसभा चुनाव नज़रिए हुआ है इसके अलावा ये गठबंधन लंबा नहीं चलेगा।
आपको ये भी बता दें कि बीजेपी ने स्पष्ट तौर नितीश कुमार कह दिया है कि मई 2024 के बाद आपको दिल्ली आना ही पड़ेगा बताया जाता है कि मोदी सरकार में मंत्री पद के साथ बीजेपी ने नितीश कुमार डिप्टी पीएम बनें का ओफर कर चुका है। नीतीश कुमार को तय करना है कि तीन महीने के बाद उन्होंने पलटी मारना या फिर दिल्ली जाना है। खैर बिहार के राजनीति में कब क्या होगा इसका संभावना लगाना कठिन है। क्योंकि बिहार ही तो लोकतंत्र जननी है।