Modi govt : मोदी सरकार 18 से 22 सितंबर के विशेष संसद सत्र लेकर आने वाली है और इस सत्र में देश एक एतिहासिक फैसले का गवाह बने जा रहा है। वो फैसला है जो कि ये देश में अब एक देश और एक चुनाव तरफ़ तेजी से बढ़ रहा है। यानी जिस बात को नरेंद्र मोदी सरकार लगातार ही कह रहीं थीं अब उसे करने जा रहीं हैं।
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एक देश एक चुनाव एक ऐसी परिकल्पना है जिसमें भारत में सभी राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक ही समय पर कराए जाते हैं। स्वतंत्रता के बाद काफी साल एकसाथ चुनाव हुआ लेकिन वन नेशन वन इलेक्शन एक ऐसी परिकल्पना है जिसमें भारत में सभी राज्य विधानसभा , नगर निगम, पंचायत और लोकसभा के चुनाव एक ही समय पर हो जाएंगे। आपको बताते चलें कि 1970 दशक तक भारत में एक ही साथ चुनाव होते उसके बाद कुछ कारणों कारण ही विधानसभा और लोकसभा चुनाव अलग-अलग होने लगा।
एक देश एक चुनाव का लाभ?
एक देश एक चुनाव की कई संभावित लाभ हैं। सबसे पहले, यह मतदाताओं के लिए मतदान करना आसान बना देगा। मतदाताओं को केवल एक बार मतदान करने की आवश्यकता होगी, न कि प्रत्येक चुनाव के लिए। यह मतदान के लिए मतदाताओं की भागीदारी को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है। दूसरा एक देश एक चुनाव चुनाव की लागत को कम कर सकता है। वर्तमान प्रणाली में, प्रत्येक चुनाव के लिए अलग-अलग चुनावी तंत्र स्थापित करना और चुनाव कराना आवश्यक है। एक देश एक चुनाव के साथ, चुनावी तंत्र और संसाधनों का दोबारा उपयोग किया जा सकता है, जिससे चुनाव की लागत कम हो सकती है।
तीसरा, एक देश एक चुनाव सरकार के कार्यों में बाधा डालने वाले चुनावी आचार संहिता के समय को कम कर सकता है। वर्तमान समय में हर साल कहीं ना कहीं चुनाव होता जिस कारण से सरकार कई बार कड़े फैसले लेने से पिछे हटना पड़ता है। इसके अलावा सरकार को नई योजनाओं की घोषणा करने, नई नियुक्तियां करने और अन्य सामान्य कार्यों को करने से रोका जाता है। एक देश एक चुनाव के साथ, चुनावी आचार संहिता की अवधि कम हो सकती है, जिससे सरकार के कार्यों में बाधा कम हो सकती है।
एक देश एक चुनाव की कुछ संभावित चुनौतियां
लेकिन एक देश एक चुनाव की कुछ संभावित चुनौतियां भी हैं। सबसे पहले, यह संघीय ढांचे के साथ असंगत हो सकता है। वर्तमान प्रणाली में, राज्य और केंद्र सरकारों के पास अलग-अलग चुनावी प्रक्रियाएं हैं। एक देश एक चुनाव के साथ, राज्य और केंद्र सरकारों के चुनाव एक साथ होंगे, जिससे राज्य सरकारों की स्वायत्तता को कम किया जा सकता है।
दूसरा, एक देश एक चुनाव छोटे दलों के लिए प्रतिस्पर्धा करना अधिक कठिन बना सकता है। वर्तमान प्रणाली में, छोटे दल चुनावों में भाग लेने के लिए राज्यों में अलग-अलग क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। एक देश एक चुनाव के साथ, छोटे दलों को पूरे देश में चुनाव लड़ना होगा, जिससे उनके लिए प्रतिस्पर्धा करना अधिक कठिन हो सकता है।
तीसरा, एक देश एक चुनाव सरकार को अधिक शक्तिशाली बना सकता है। वर्तमान प्रणाली में, सरकार को हर साल ही किसी ना किसी राज्य में चुनाव लड़ना होता है। एक देश एक चुनाव के साथ, सरकार को अगले पांच साल तक कोई नहीं हटा सकता है और इसी कारण से ही सरकार और अधिक शक्तिशाली बनने और जनता की जवाबदेही कम होने का खतरा हो सकता है।
पीएम मोदी ने राज्यसभा में क्या कहा था?
प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में चर्चा के दौरान कहा था, सीधे कह देना कि हम इसके पक्षधर नहीं हैं। आप इस पर चर्चा तो करिए भाई, आपके विचार होंगे। हम चीजों को स्थगित क्यों करते हैं। मैं मानता हूं जितने भी बड़े-बड़े नेता हैं, उन्होंने कहा है कि यार इस बीमारी से मुक्त होना चाहिए। पांच साल में एक बार चुनाव हों, महीना-दो महीना चुनाव का उत्सव चले। उसके बाद फिर काम में लग जाएं. ये बात सबने बताई है। सार्वजनिक रूप से स्टैंड लेने में दिक्कत होती होंगे।
उन्होंने कहा कि क्या यह समय की मांग नहीं है कि हमारे देश में कम से कम मतदाता सूची तो एक हो। आज देश का दुर्भाग्य है कि जितनी बार मतदान होता है, उतने बार ही मतदाता सूची आती है।
कब आ सकता कानून
वन नेशन वन इलेक्शन का विषय देश में काफी समय से बहस हो रहीं हैं और इसी साल लॉ कमीशन ने सभी राजनीति दलों से छह सवालों के जवाब मांगे थे। सरकार इसे लागू कराना चाहती है तो वहीं कई राजनीतिक दल इसके विरोध में हैं। 18 से 22 सितंबर के बीच लोकसभा में इस विधेयक को लाए जाएगा। इसके बाद इस देश वन नेशन वन इलेक्शन का प्रकिया शुरू हो जाएगा।
22वें लॉ कमीशन ने सार्वजनिक नोटिस जारी कर राजनीतिक दलों, चुनाव आयोग और चुनाव प्रक्रिया से जुड़े सभी संगठनों से इसको लेकर उनकी राय मांगी थी. लॉ कमीशन ने पूछा था कि क्या एक साथ चुनाव कराना किसी भी तरह से लोकतंत्र, संविधान के मूल ढांचे या देश के संघीय ढांचे के साथ खिलवाड़ है? कमीशन ने भी पूछा था कि हंग असेंबली या आम चुनाव में त्रिशंकु जनादेश की स्थिति में जब किसी भी राजनीतिक दल के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत न हो, चुनी गई संसद या विधानसभा के स्पीकर की ओर से प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की नियुक्ति की जा सकती है? ये वो सवाल जो कि लॉ कमीशन ने विभिन्न राजनीति दलों से पुछा था।