Loksabha elections 2024: सेमीफाइनल में लगा हैट्रिक तो क्या 2024 में लगेगा मोदी सरकार के हैट्रिक समझिए नतीजों के बाद गणित?

Shashikant kumar
9 Min Read
Loksabha elections 2024

Loksabha elections 2024: जिस प्रकार तीन राज्यों में बीजेपी ने बड़ा जीत हासिल किया उसके बाद से हर कोई ये कह रहा है कि मोदी जी नेहरू जी के रिकॉर्ड के बराबरी करने जा रहे हैं तो क्या इन तीनों राज्यों मिलें बड़ी जीत 2024 के चुनाव में बीजेपी के राहों को आसान बना दिया या फिर नहीं। सेमीफाइनल से समझिए सियासी गणित को। 

Loksabha elections 2024

Loksabha elections 2024

मोदी बोलें 

जब नरेंद्र मोदी ने ये कहां कि आज की हैट्रिक 24 की हैट्रिक के गारंटी है। तो क्या वकई लोकसभा चुनाव से पहले आएं नतीजे लोकसभा चुनाव को प्रभावित करती है या फिर नहीं। हम इसे विस्तारपूर्वक समझने का प्रयास करेंगे कि ये नतीजे क्या बता रहीं हैं। 

पिछले चुनावों रिकॉर्ड

ऐसा पहली बार नहीं जब लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा के चुनाव हुएं, ये पिछले 20 सालों से हो रहा है। उन नतीजों से भी आप इस देश के भविष्य सियासी तस्वीर बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। आज से ठीक 20 साल पहले भी बीजेपी को तीनों राज्यों में बड़ी सफलता हासिल हुआ वो राज्य आज के तरह छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान था। उसके कुछ महीने बाद ही जब अटलजी के सरकार ने चुनाव को 6 महीने पहले करवाने निर्णय लेते तब बीजेपी को करारी शिरकत मिलीं इसके बाद 2008 में बीजेपी दो राज्यों में सरकार बनाई और कांग्रेस एक राज्य में सरकार बनाई, इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को बड़ा सफलता मिला और उसके बाद 2013 में बीजेपी तीनों राज्यों में सरकार बनाई तब देश में मोदी लहर का शुरुआत हो चुका युपीए सरकार बस कुछ दिनों मेहरबान थी उस समय अन्ना आंदोलन ने भी इस देश के सियासी फिजाओं बदलने महत्वपूर्ण भुमिका निभाईं थी। उस समय के राजनीति के परिदृश्य को समझने के लिए आप मेरे पुस्तक 2024 की रणभूमि पढ़ सकते हैं इसके लिए बस आपको एमजोन या फ्लिपकार्ट जाकर शशिकांत कुमार सर्च करना पड़ेगा। 

जाने इस बार पांच राज्यों में किसकी सरकार?? 

2003 और 2023 में क्या अंतर है?

जब 2003 के बात कर रहे तब अटल बिहारी वाजपेई से एक बड़ी ग़लती हो गई थी, चुनाव को तय समय पहले करवाने का उस समय के बीजेपी और आज के बीजेपी में ज़मीन और असमान की फर्क नज़र आ जाता है। आज की बीजेपी जीत में ना ज्यादा खुश होता नज़र आता है ना ही हार में ज्यादा दुःखी होता बल्कि अपने अगले लक्ष्य तरफ़ से तेजी से बढ़ जाता है। मोदी युग में बीजेपी एक तरह का चुनाव लड़ने वाला मशीन बन चुका जिसे आसानी से हराया नहीं जा सकता है। 

जब 2019 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को मिला शिकस्त

जब 2019 के लोकसभा चुनाव ठीक पहले हुए विधानसभा चुनावों तीनों राज्यों में बीजेपी करारा झटका लगा और कांग्रेस के बड़ी जीत हासिल कर लेता है। उसके बाद जब लोकसभा चुनाव हुआ उन्हीं राज्यों में बीजेपी को एकतरफा जीत मिला है इसका सीधा अर्थ है कि विधानसभा चुनाव में जीत का अर्थ कतई नहीं लोकसभा चुनाव में जीत का गारंटी नहीं है।

चार राज्यों के वोट सियासी गणित समझिए

जिन पांच राज्यों में से तीन राज्यों बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की उन तीन राज्यों के वोट प्रतिशत जरिए सियासी गणित समझे तो बड़ा खेल होते हुए नज़र आएगा। सीटें के मामलों में आपको ‌बीजेपी के इन तीन राज्यों में बड़ी जीत नज़र आ रहा लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि वोट प्रतिशत के मामले में अंतर ज्यादा नहीं है। 

वोट प्रतिशत हिसाब से तीन राज्यों के तस्वीरें 

छत्तीसगढ़ में

जब आप छत्तीसगढ़ के नतीजों पर गौर करेंगे तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच चार प्रतिशत वोटों का अंतर है अर्थात कांग्रेस को 42.23 और जबकि बीजेपी को 46.27 प्रतिशत वोट मिला यानी इंडिया गठबंधन के सभी दल साथ में चुनाव लड़ते तो शायद नतीजा कुछ और होता। 

 मध्यप्रदेश वोट प्रतिशत

मध्यप्रदेश में जब हम नज़र डालें यहां तस्वीर में कांग्रेस और बीजेपी के बीच वोट प्रतिशत का अंतर ज्यादा दिख रहा क़रीब 8 प्रतिशत का यहां पर कांग्रेस को 40.40 प्रतिशत जबकि बीजेपी को 48.25 प्रतिशत वोट मिला एक बात गौर करने वाली कांग्रेस पार्टी भले सीटें कम मिली लेकिन वोट शेयर के मामलों कांग्रेस कमजोर नज़र नहीं आ रहा है। मध्यप्रदेश के हर 100 लोगों में से कम 40 लोगों ने कांग्रेस को वोट किया है। 

राजस्थान में वोट शेयर

राजस्थान में सीटों के मामले कांग्रेस भले काफ़ी पिछे नज़र आ रहा लेकिन वोट शेयर के मामले कांग्रेस पार्टी ज्यादा पिछे नहीं कांग्रेस को 39.53 प्रतिशत वोट शेयर मिला वहीं बीजेपी को 41.69 प्रतिशत वोट मिला है। यानी लगभग तीन प्रतिशत के आस-पास का वोट शेयर में अंतर है।

तेलंगाना में वोट प्रतिशत

तेलंगाना बात करें यहां कांग्रेस भले ही जीती लेकिन यहां पर बीआरएस को महज़ दो प्रतिशत कम वोट मिला वहीं बीजेपी ने अपने वोट शेयर बढ़ाया ही है क्योंकि बीजेपी का पिछले बार से वोट शेयर 7 प्रतिशत था जो लोग ये समझ रहें हैं कि दक्षिण के सियासत बीजेपी मुक्त हो चुका है तो वो ग़लत सोच रहे हैं असल मायने बीजेपी दक्षिण राज्यों में भी तेजी से अपना पकड़ मजबूत बना रहा है। 

https://twitter.com/indshashikant/status/1731582444049252540?t=cIE4fQ-qWepUgmzzMDj_uw&s=19

23 की हैट्रिक 24 की हैट्रिक की गारंटी

असल मायने पीएम मोदी जब ये कहते हैं कि 23 की हैट्रिक 24 की हैट्रिक की गारंटी है तो ये विपक्ष के हौसले तोड़ने प्रयास भी कह सकते हैं क्योंकि जब आप किसी को मैदान आने पहले ही उस पर मनोवैज्ञानिक तौर जीत हासिल कर लें तो वो खिलाड़ी मैदान खेलने लायक़ बचेगा ही नहीं। यूं कहिए कि सीटों में भले ही कांग्रेस पार्टी को जनता ने नकार दिया वोट शेयर में ज्यादा अंतर नहीं और ज़रूरी नहीं है कि लोकसभा चुनाव से पहले जो पार्टी विधानसभा चुनाव जीत जाएं वहीं लोकसभा चुनाव जीते। जैसे कि पिछले बार कांग्रेस तीनो राज्यों में सरकार बना ली और बीजेपी 2018 में पांचों राज्यों में किसी भी राज्य में सरकार नहीं बना सका। लेकिन जब 2019 की लोकसभा चुनाव के बारी आई तो तस्वीरें बिल्कुल ही अलग था। 

मोदी मैजिक 

लेकिन एक कड़वा सच्चाई ये भी है कि तीनों राज्यों में कोई मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं था बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही चेहरे थें अगर नरेंद्र मोदी के चेहरे बीजेपी को विधानसभा चुनाव में इतनी बड़ी सफलता मिल रहा है तो समझ जाइए कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी का इस बार का लक्ष्य 400 सीटें दुर नहीं है वहीं कांग्रेस पार्टी अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने घमंड पर काबु करके सभी दलों को साथ लेकर चलती है तो नरेंद्र मोदी के इस विजय रथ को रोका भी जा सकता या फिर 2019 के बेहतर परिणाम की उम्मीद कर सकते हैं। लेकिन उसके लिए कांग्रेस को अपने अहंकार पर विजय पाना होगा, कांग्रेस क्षेत्रीय दलों को महत्व देना पड़ेगा। इस चुनाव के परिणाम को 24 की हैट्रिक की गारंटी भी ना माने।। 

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शशिकांत कुमार युवा लेखक राजनीति, 2024 की रणभूमि पुस्तक के लेखक। पिछले कई चुनावों से लगातार ही सबसे विश्वसनीय विश्लेषक।।।
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