hindu swabhiman yatra: गिरिराज सिंह के हिन्दू स्वाभिमान यात्रा से सीमांचल के राजनीति फिजाएं बदलने जा रहे है, ये कहना ग़लत नहीं है बल्कि कि आज के तारीख का सच्चाई है। जब भी सीमांचल की बात की जाती तो इस नजरिए से की जाती है कि यहां पर चुनाव हिन्दू – मुस्लिम के नाम होता है लेकिन ये अलग बात है बिहार का सबसे पिछड़ा क्षेत्र सीमांचल ही है।
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सीमांचल का वास्तविकता
सीमांचल का वास्तविकता ये है कि ये क्षेत्र गरीबी, पलायन और बेरोज़गारी का शिकार हैं और ये वो क्षेत्र जो कि बाढ़ ग्रस्त भी है और जिस कारण ये क्षेत्र बिहार का सबसे पिछड़ा क्षेत्र तौर पर जाना जाता है। सीमांचल मानव तस्करी ट्रांजिट रूट बन रहा इस विषय गिरिराज सिंह अपने सीमांचल दौरें में जिक्र नहीं किया।
जिस सीमांचल में यात्रा लेकर आएं उस क्षेत्र के समस्या पर गिरिराज सिंह ने एक शब्द भी नहीं कहां, क्यों आज भी सीमांचल लोग पलायन के लिए मजबूर हैं जबकि पिछले कई सालों से बिहार में एनडीए का सरकार है वहीं केन्द्र मोदी सरकार यानी डबल इंजन सरकार उसके बावजूद भी सीमांचल स्थिति नहीं बदली। ये इलाका से ग़रीबी,भुखमरी, बाढ़, बेरोज़गारी और बिहार में सबसे ज्यादा पलायन होता है।हालांकि इन मुद्दों पर केन्द्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने एक शब्द भी नहीं कहां यहीं क्षेत्र का दुर्भाग्य है। इसी सीमांचल कटिहार एक समय उद्योग नगरी तौर जाना जाता लेकिन जब उसी कटिहार गिरिराज सिंह पहुंचे तो जिक्र तक नहीं किया उद्योगों का और बस हिन्दू – मुस्लिम किया।
हिन्दू मुस्लिम सियासत का केन्द्र बिन्दु
बिहार में कोई इलाक़ा हिन्दू-मुस्लिम सियासत का केन्द्र बिन्दु वो सीमांचल ही है इसमें कोई दोराय नहीं है बल्कि कि ये कड़वा सच है। सीमांचल के इलाकों में मुसलमानो की आबादी बड़े संख्या में है। इसी कारण यहां के राजनीति बिहार के बाकी हिस्सों तरह जाति आधारित नहीं बल्कि कि धर्म के आधारित है। इस बार लोकसभा चुनाव में सीमांचल के सियासी फिजाएं बदलीं सी नज़र आई क्योंकि इस बार चार लोकसभा सीटों में धर्म कार्ड नहीं चला बल्कि कि जातिगत समीकरण या फिर किसी उम्मीदवार नाम ही बड़ा रहा है।
जदयू उम्मीदवारो ख़फ़ा जनता
इस बार लोकसभा चुनाव में सीमांचल में एनडीए उम्मीदवार के झटका पिछे बड़ा कारण ये भी था कि जदयू लगातार ख़ेमा बदलना जो कि जनता को पसंद नहीं आया इसी कारण से सीमांचल क्षेत्रों में पिछले लोकसभा तुलना में एनडीए ने ख़राब प्रदर्शन किया। जबकि बीजेपी का लक्ष्य है कि अपनी खोई हुई ज़मीन को फिर से वापस पाना क्योंकि एक दौर में इसी सीमांचल इलाकों से भाजपा कब्जा हुआ करता था और हिन्दू-मुस्लिम सियासत दम पर बीजेपी बड़े आसानी कटिहार, पुर्णिया और अररिया जीत लेता और किशनगंज एक तरफा मुस्लिम बहुसंख्यक होने कारण भाजपा के लिए उम्मीदें ना के बराबर है। किशनगंज में बस एक बार बीजेपी ने 1999 में जीता उसके बाद आजतक बीजेपी ने इस सीट दुबारा नहीं जीत पाएं।
गिरिराज सिंह के यात्रा पिछे का प्रमुख कारण ये भी है कि सीमांचल में 24 विधानसभा सीटें जिसमें एनडीए पकड़ 2015 से लगातार कमजोर हो रहा है। हालांकि आपको याद ही होगा कि 2015 में नीतीश -लालू एक हुए उसके बाद बिहार के जनता ने महागठबंधन को एक बड़ा विजय दिया जो कि उस समय मिली थी जब नरेंद्र मोदी के लहर चरम थी तब बिहार के जनता ने नरेंद्र मोदी एक ऐसा झटका दिया जो कि उत्तर प्रदेश बीजेपी जीत के बाद भी उभरें। उस समय सीमांचल के इलाकों से भाजपा का पतन हो गया था और पतन 2015 शुरू हुआ था वो 2020 में भी जारी रहा इस बार भी जदयू साथ आने के बाद एनडीए को सीमांचल इलाकों में कोई ख़ास लाभ नहीं मिला।
Net worth गिरिराज सिंह , हिंदू स्वाभिमान यात्रा जानिए पूरी जानकारी!
बंगलादेश घुसपैठ मुद्दा सीमांचल
सीमांचल में बंगलादेश घुसपैठ मुद्दा बहुत बड़ा है, इस क्षेत्र धीरे-धीरे बंगलादेशी आबादी बढ़ते जा रहा है, जिस कारण यहां के डेमोग्राफी में तेजी बदलाव हो रहा है और इस बात को भाजपा और गिरिराज सिंह बढ़िया समझ रहीं हैं। इसी कारण से गिरिराज सिंह ने हिन्दू स्वाभिमान यात्रा सीमांचल क्षेत्रों में ही किया। यहां लोग जितना पलायन, बाढ़ और ग़रीबी से परेशान उस कहीन ज्यादा बंगलादेशी- रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठिए परेशान हैं।
इस इलाका डेमोग्राफी लगातार तेजी बदलाव आ रहा है।धीरे धीरे इस क्षेत्र सारे ज़िले मुस्लिम बहुल होने जा रहा है। सबसे पहले किशनगंज जो कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र माना जाता जबकि पुर्णिया अररिया और कटिहार धीरे-धीरे मुस्लिम बाहुल्य होने जा रहा है। वहीं इसी सीमांचल के दो ज़िले अररिया और किशनगंज दुनिया में सबसे तेज गति से जनसंख्या वृद्धि वाला जिला बना हुआ है। हालांकि इस क्षेत्र में जनसंख्या वृद्धि सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से समानुपातिक नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह जन्म दर के अलावा बांग्लादेशी घुसपैठ, रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ, नेपाल के साथ खुला बॉर्डर शामिल है। यूं कहिए गिरिराज सिंह ने इस क्षेत्र प्रमुख मुद्दों को पकड़ा जो कि सीधे तौर इस क्षेत्र हिन्दूओं स्थानीय लोगों जुड़ा विषय है और इस बार भाजपा बिहार विधानसभा चुनाव NRC पर एतिहासिक क़दम उठाती है तो समझ जाएं कि बिहार के सीमांचल खोई जमीन भाजपा को वापस मिल जाएगा और बीजेपी बड़ा जीत सीमांचल क्षेत्रों हासिल कर सकता है।
जहां भाजपा मेरे पास जानकारी उसके अनुसार इस बार बिहार विधानसभा चुनाव बीजेपी NRC को घोषणापत्र शामिल करेंगी और देखना ये होगा कि जदयू इसे किस रुप लेता है। वहीं इस सीमांचल इलाकों में लव जेहाद का मुद्दा भी बड़ा है, जिस विषय को गिरिराज सिंह ने उठाया भी और इसे सीमांचल डेमोग्राफी बदलने तौर एक बड़ी साज़िश तौर देख सकते हैं।
सीमांचल में इस समय लव जेहाद, लैंड जैहाद, गाय तस्करी, बंगलादेश , रोहिंग्या और NRC ये लो विषय जो कि इस क्षेत्र जनता का सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है। गिरिराज सिंह बातों से एक पल के लिए आप असहमत हो सकते हैं लेकिन इन बातों को नज़रंदाज़ नहीं कर सकते हैं क्योंकि जिस डेमोग्राफी बदलने की साज़िश हो रहीं उसे हल्के लेना आपके सबसे बड़ी भुल इसलिए लगातार बिहार – बंगाल सीमांचल के इलाकों को केन्द्र शासित प्रदेश बनाने मांग हो रहा है।
गिरिराज सिंह हिन्दू स्वाभिमान यात्रा लाभ या नुकसान
सीमांचल में गिरिराज सिंह के हिन्दू स्वाभिमान यात्रा भाजपा को लाभ ही होगा और इसका प्रमुख कारण वो जिन मुद्दों सीधे तौर सीमांचल स्थानीय हिन्दू समुदाय जुड़ा मुद्दा है। इसी कारण से गिरिराज सिंह यात्रा के बाद सीमांचल सियासी फिजाएं बदलतीं नज़र आ रही है जो कि आने वाले समय में आपको देखने को मिल सकता है। सीमांचल हिन्दू एकजुट और संगठित हुएं आने वाले समय इसका बड़ा लाभ भाजपा को मिल सकता है।