BJP Opposition Strategy: क्या भारत के सियासत में अब विपक्ष मुक्त हो जाएगा। ये सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि वर्तमान दौर में सत्ताधीस भारतीय जनता पार्टी अर्थात (BJP) विपक्ष को समाप्त करना चाहती है। आज दौर के चुनाव में प्रधानमंत्री Modi के नाम ही काफी है। जब 2020 में बिहार का चुनाव में भाजपा का जीत हुआ था। तब मैंने एक लेख लिखा था कि मोदी नाम केवलम ।।आज के राजनीति का यही सच्चाई है। हाल में ही पांच राज्यों के चुनावी नतीजे सामने आता और उन नतीजों में बीजेपी को बीजेपी को तीनों हिन्दी पट्टी राज्यों जीत मिली ओर सारे सर्वे और चुनावी अनुमान फेल हो गई और एक बार फिर बस मोदी नाम केवलम चला। यूं कहिए कि इन हिन्दी पट्टी के राज्यों में बीजेपी अपना बादशाह काबिज़ रखा।
BJP Opposition Strategy

पटना में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा बयान
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने कुछ ही साल पहले पटना में कहे थे कि एक दिन ऐसा समय आएगा जब सारे क्षेत्रीय दल समाप्त हो जाएगा। केवल भाजपा रहेगा। ये आप सब को मालूम ही है। मोदी जी जब से आए थे कि तब से ये बोलते रहे कि कांग्रेस मुक्त भारत। लेकिन अब कांग्रेस में कुछ बचा ही नहीं है। तो अब भाजपा का अगला लक्ष्य हो गया है , क्षेत्रीय दल को समाप्त करना है। उसी उद्देश्य को भाजपा अब पुर्ण करना चाहता है किन्तु आज के दौर में क्या ये संभव है ये भी हम आपको बताएंगे। जैसा कि आज तारीख में जिस प्रकार सभी विपक्षी पार्टी इंडिया गठबंधन ज़रिए एकजुट हो रहीं हैं। जहां बीजेपी ये कह रहीं हैं कि सत्ता फिर से वापस आ रही है। वहीं सारे विपक्षी पार्टी एकमात्र लक्ष्य है कि बीजेपी को सत्ता में आने से रोकना क्योंकि इस बार चुके तो फिर कभी मौका नहीं मिलेगा। वैसे आप मेरे पुस्तक 2024 की रणभूमि में बीजेपी के इस प्लान को बेहतर तरीके समझ सकते हैं। इस बुक को पढ़ने के लिए बस आपको Amazon-Flipkart पर शशिकांत कुमार सर्च करना है।
दो सांसद से देश सबसे बड़ी पार्टी बने के यात्रा
भारतीय जनता पार्टी (BJP) लगातार ही अपना विस्तार कर रहीं हैं आज से 10 साल पहले जिन राज्यों बीजेपी का एक कार्यकर्ता तक नहीं था वहीं राज्यों में अब बीजेपी के विधायक, सांसद जीत रहे और ऐसे कई राज्यों में सरकार भी बना लिया इसके अलावा लोकलबॉडी में भी अपनी सरकार बीजेपी बना रहीं हैं। बीजेपी का इस समय एकमात्र लक्ष्य हो गया है कि उसे किसी भी कीमत बस सत्ता चाहिए चाहें वो जैसे मिलें। एक वो भी दौर जब इस देश में कांग्रेस का एकतरफा राज चल रहा लेकिन आज वहीं कांग्रेस राजनीति हासिए पहुंच चुका है। मात्र दो लोकसभा सांसदों के साथ शुरू हुई भाजपा की राजनीतिक यात्रा राम मंदिर आंदोलन, अटल बिहारी के गठबंधन युग, ऑपरेशन कमल, लगातार चुनावी विजय की यात्रा और कांग्रेस मुक्त भारत बनाने के पड़ावों से गुजरते हुए ‘विपक्ष मुक्त भारत’ बनाने के अभियान तक पहुंच गई है।
महाराष्ट्र के नेता का बड़ा बयान
कुछ साल पहले ही महाराष्ट्र से जुड़े एक भाजपा नेता ने कहा था कि लोकतंत्र के लिए एक मजबूत विपक्ष का होना बहुत जरूरी होता है।लेकिन इसका अर्थ है कि यह कतई नहीं कि विपक्ष को भी मजबूत बनाने की जिम्मेदारी भाजपा की ही है। उन्होंने कहा था कि अपनी गलतियों की कारण से विपक्षी राजनीतिक दल बिखरते जा रहे हैं तो इसमें भला बीजेपी क्या कर सकती है? उस नेता का बयान भी उचित था कि अगर कोई दल सत्ता में है तो भला वो क्यों चाहेगा कि उसका विरोधी भी मजबुत हो। आज अगर विपक्ष कमजोर हो रहा तो इसमें विपक्षी पार्टी का गलती ना कि बीजेपी का।
पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बोले
आपको ये याद दिला दें कि भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने कार्यकाल के दौरान पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को अक्सर यह कहते थे कि अब समय आ चुका है कि पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक पूरी शासन व्यवस्था भाजपा के हाथ में हो।अमित शाह उस समय, उदाहरण देते हुए यह कहते हैं कि देश की आजादी के बाद शुरुआत के कुछ दशकों के दौरान पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक की व्यवस्था कांग्रेस के हाथ में थी और अब भाजपा का युग आ गया है। भाजपा कार्यकर्ताओं से मेहनत करने का आह्वान करते हुए अमित शाह यह भी कहते थे कि भाजपा कार्यकर्ताओं को अगले 50 सालो तक पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक विजय के बारे में सोचना चाहिए।
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अमित शाह बोले 30 से 40 साल रहेगा भाजपा
साल 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद अमित शाह देश के गृह मंत्री बन गए और जेपी नड्डा (JP Nadda) भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेकिन बीजेपी लगातार अपने मिशन में जुटी रही और चुनाव दर चुनाव जीतती रही। पिछले साल ही तेलंगाना के हैदराबाद में हुए पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने यह दावा किया था कि देश में अगले 30-40 साल तक भाजपा का युग रहेगा। 2014 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री के पद के लिए उम्मीदवार बनाए गए नरेंद्र मोदी ने पहली बार कांग्रेस मुक्त भारत बनाने के नारे का इस्तेमाल किया था। जो आगे चलकर भाजपा के तमाम नेता अपने भाषणों और रैलियों में बोलते नजर आए।
भाजपा का सबसे बड़ा सपना अधुरा
भाजपा यहीं थमती नजर नहीं आ रही है। उसका सबसे बड़ा सपना अभी अधूरा है और वह सपना है दक्षिण भारत के राज्यों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में भी भगवा लहराना, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी विस्तार के लिए भाजपा जोर-शोर से प्रयास कर रही है और इसीलिए पिछले साल हैदराबाद की कार्यकारिणी में परिवारवाद और वंशवाद जैसी तमाम पार्टियों पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंशवाद को लोकतांत्रिक राजनीति के लिए अभिशाप तक बता डाला था।
कांग्रेस के बाद क्षेत्रीय दलों पर फोकस करेगी बीजेपी
इससे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस की हालात पस्त करने के बाद बीजेपी अब क्षेत्रीय दलों से भी दो-दो हाथ करने को तैयार है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना से एकनाथ शिंदे को तोड़कर उन्हीं की पार्टी के विधायकों के बल पर मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं और अन्य दलों के असंतुष्ट नेताओं को भी इशारा दे दिया है। दरअसल यह बात सही है कि देश के अधिकतर क्षेत्रीय दलों में परिवार का ही वर्चस्व है और लगभग हर राजनीतिक दल में शिंदे की तरह जनाधार वाले असंतुष्ट नेता भी हैं। राजनीतिक मामलों के जानकार भले ही इसे ‘ऑपरेशन लोटस ‘ के नए प्रारुप की संज्ञा दें लेकिन भाजपा का रुख बिल्कुल स्पष्ट है कि अपने राजनीतिक दल को एकजुट रखने की जिम्मेदारी उस दल विशेष के नेता और अध्यक्ष की है और अगर वो अपने नेताओं को संतुष्ट नहीं रख पाते हैं तो इसके लिए भाजपा को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
क्या भाजपा तमाम क्षेत्रीय दल को समाप्त कर देगा
क्या भाजपा वास्तव में ही सारे क्षेत्रीय दल को समाप्त कर देगा। लेकिन कड़वा सच ये भी है कि भाजपा भले ही ऐसा उत्तर भारत के राज्यों में कर लें लेकिन दक्षिण के राज्यों में भाजपा को ऐसा करने में कम से कम 10 साल लगेगा। क्योंकि हाल में हुए कर्नाटक और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव इसकी गवाही दे दिया। भाजपा कितना भी हिन्दी पट्टी के राज्यों में मजबूत हो जाएं लेकिन कड़वा सच है कि दक्षिण के राज्यों में बीजेपी उतना मजबूत नहीं है। दक्षिण के राज्यों में भाजपा का संगठन मजबूत नहीं है और अब भाजपा भले ही दक्षिण राज्यों में फ़ोकस कर रही है लेकिन अभी भी भाजपा को संघर्ष करना पड़ेगा। लोकसभा चुनाव दौरान बीजेपी को इन तीन दक्षिण के राज्यों से खुशखबरी मिल सकता वो राज्य तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक यहां से बीजेपी को सीटें मिलेगा। जैसा कि हिन्दी पट्टी के कुछ राज्यों में नुकसान होने के संभावना है तो उसकी भरपाई हो जाएगा।