Shri Krishna Janmbhoomi Case: संघ हो या फिर विभिन्न हिन्दूवादी संगठन के लोग अक्सर ही एक नारा लगाते थे कि राम मंदिर तो झांकी काशी और मथुरा बाकी है। अब जब अयोध्या में राम निर्माण कार्य पुर्ण हो चुका और अगले साल 22 जनवरी को मंदिर का उद्घाटन हैं, तब सब को यहीं उम्मीद लग रहा है कि अब काशी मथुरा कार्य भी अतिशीघ्र पुर्ण हो जाएगा। इस करी में श्री कृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmbhoomi Case) और शाही ईदगाह विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला सामने आता है। जिसके बाद अब लगने लगा है कि बहुत जल्द काशी और मथुरा पर भी कुछ बड़ा होने जा रहा है।
![Shri Krishna Janmbhoomi Case Shri Krishna Janmbhoomi Case](https://indtalknews.com/wp-content/uploads/2023/12/Jyotiraditya-Scindia-1-1-1024x576.png)
हिन्दू पक्ष का बड़ी जीत
हिन्दू पक्ष की बड़ा जीत है। हिंदू पक्ष ने ईदगाह परिसर में सर्वे की मांग की है। जो कि अब स्वीकार कर लिया गया है। आपको बता दें कि सर्वे के मांग की यह याचिका भगवान श्री कृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों ने दायर की है। इन लोगों में वकील हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन शामिल है।
क्या विवाद हैं??
![Shri Krishna Janmbhoomi Case](https://indtalknews.com/wp-content/uploads/2023/12/Jyotiraditya-Scindia-2-1024x576.png)
श्री जन्मभूमि और ईदगाह परिसर की ये विवाद क़रीब 350 साल पुराना है। असल में ये सारे विवाद 1670 शुरू होता जब मु्गल बादशााह औरंगजेब के आदेश पर एक शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया था। हिंदू पक्ष का दावा था कि इसका निर्माण श्रीकृष्ण जन्मस्थल को तोड़कर किया गया। मस्जिद बनें के बाद ये जमीनें मुसलमानों के पास चला गया और अगले लगभग 100 साल तक यहां हिंदूओं का एंट्री पर बैन रहा।1770 में मुगलों और मराठों के बीच युद्ध हुआ। जीत मराठों की हुई। जीत के बाद मराठों ने यहां फिर से मंदिर बनवाया, इसे केशवदेव मंदिर का नाम दिया गया और ये मंदिर जर्जर हो गए और अंतत: भूकंप की चपेट में आकर गिर गए। अंग्रेजो के शासनकाल में 1815 में मथुरा की इस जमीन को नीलाम कर दिया। उसके उपरांत में काशी के राजा ने जमीन को खरीद लिया।
New CM In 3 States: विष्णु, मोहन, और भजन के मुख्यमंत्री बनें की कहानी
काशी नरेश यहां मंदिर बनवाना
काशी नरेश यहां मंदिर बनवाना चाहते थे लेकिन बनवा नहीं सके। इसी समय यह जगह खाली रही। लेकिन मुस्लिम पक्ष का दावा था कि यह जमीन उन्हीं की है।
1947 आजादी के बाद
1947 में देश की स्वतंत्रता 1951 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट बना, उसे यह जमीन दे दी गई।1953 में ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण का काम शुरू किया। यह मंदिर 1958 में बनकर भी तैयार हुआ।
1958 में श्रीकृष्ण सेवा संस्थान नाम की एक नई संस्था
1958 में श्रीकृष्ण सेवा संस्थान नाम की एक नई संस्था बनी जिसने 1968 में मुस्लिम पक्ष के साथ समझौता करके कहा कि अगर जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बने रहेंगे। लेकिन श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट ने इस समझौते को नहीं माना। उसका तर्क था कि श्रीकृष्ण सेवा संस्थान का जन्मभूमि पर कोई अधिकार नहीं है इसलिए इस समझौते को नहीं मानते हैं।
वहीं आज के इस फैसले के बाद से ही जहां पर हिन्दू पक्ष ख़ुश वहीं मुस्लिम पक्ष इसे प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 से जोड़ रहीं हैं। वहीं हिंदू पक्ष मानना है कि ये एक्ट मथुरा केस में लागू नहीं होता है।