Loksabha elections: बिहार में बीजेपी -जदयू एक हो गई है। इसके बाद इन दोनों दलों के बीच सीट शेयरिंग विषय पर लंबा चर्चा चल रहा है। इसी वजह से नीतीश कुमार दिल्ली में जाकर भाजपा के तीन बड़े नेताओं से मिले। नीतीश कुमार जब नेताओं से मुलाकात करके बाहर आएं तब वो उन्होंने मिडिया से भी बातचीत किए। मिडिया से बातचीत दौरान वो खुश नज़र आये और वही पुराने बातें दोराय कि अब कहीं नहीं जाएंगे हम लोग 1995 से साथ हैं बीच में कुछ साल अलग हो गये थे। खैर नीतीश कुमार पलटनें का एक इतिहास रच चुके हैं इसलिए नीतीश के बातों पर विश्वास करना एक बड़ी भुल के सिवा कुछ नहीं हो सकता है। हालांकि सियायत में ना ही कोई सदा के लिए दोस्त हो सकता ना ही कोई सदा के लिए दुश्मन रहता है।
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सीट शेयरिंग क्या फॉर्मुला तय किया जा रहा
सीट शेयरिंग के लिए बीजेपी के तरफ़ से जो फॉर्मुला तय किया जा रहा है उसे मानें तो इस बार बीजेपी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहतीं जबकि कि जदयू पिछले बार तरह ही 50/50 फॉर्मुला चाहती है। वहीं जदयू ने एक फॉर्मुला रखा जिसके तहत बीजेपी 18 , जदयू 18 , चिराग़ पासवान को चार सीटें देने को तैयार हैं। इस बात से हो सकता है कि चिराग़ सहमत ना और ना ही अन्य गठबंधन के साथी इसलिए फॉर्मुला पर बात ना बनें। इसलिए ऐसी बातें सामने आ रहा है कि बीजेपी-जदयू सामने एक फॉर्मुला रखा है कि जदयू 12-15 सीटों पर चुनाव लड़ें जबकि बीजेपी 20-22 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है जबकि जदयू अपना पिछले बार के जीतें किसी भी सीट छोड़ना नहीं चाहतीं हैं।
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नीतीश कुमार को दिल्ली बुलावा??
जदयू के पक्ष है कि बीजेपी पुरे देश-भर में चुनाव लड़ती है वहीं जदयू केवल बिहार में चुनाव लड़ती इसलिए जदयू चाहती है कि वो ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ें। जबकि बीजेपी इस बार जदयू को लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटें देने के लिए तैयार नहीं है। इसके जवाब में जदयू कहना है कि अगर वो लोकसभा चुनाव में कम सीटों चुनाव लड़ेंगी तो फिर विधानसभा चुनाव में उसे 125 सीटें चाहिए जिसे भी बीजेपी नहीं मान रहीं और बीजेपी ने स्पष्ट तौर पर कह दिया कि इस बार मुख्यमंत्री चेहरा भी नीतीश कुमार नहीं रहेंगे और नीतीश कुमार ये ओफर बीजेपी तरफ़ से दिया गया है कि आप केंद्र राजनीति में आएं आपके पसंद के मंत्रालय दिया जाएगा साथ में राष्ट्रपति पद 2026 में देने का ओफर भी दिया गया है।
बीजेपी इस बार ज्यादा सीटें लड़ेगा?
बीजेपी इस बार पिछले बार ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहतीं हैं खासकर उन सीटों पर जहां पर बीजेपी के जीतने के 100 प्रतिशत गारंटी है। ये वो सीटें जो कि बीजेपी का मजबूत किला है और वहां से बीजेपी के अंदरूनी सर्वे अनुसार जीत का गारंटी हो , इस बार बीजेपी ने 370 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है इसके लिए बीजेपी ने दक्षिण भारत में भी ख़ास रणनीति फ़ोकस किया, बीजेपी को ये पता है कि दक्षिण में अगर जीत ना मिले तो बीजेपी का 370 सीट जीतने का लक्ष्य बस एक सपना ही रह जाएगा। इसलिए बीजेपी ख़ास रणनीति उन सीटों को नहीं छोड़ रही जहां पर बीजेपी जीतने के उम्मीदें ज्यादा हो। लेकिन ऐसे कई सीटें जहां बीजेपी अपने सहयोगी मदद के बिना नहीं जीत सकता है इसलिए हो सकता है कि उन सीटों पर बीजेपी अपने सहयोगी दल से समझौता भी कर सकता है। उन सीटों पर जीत निश्चित होने के बाद भी बीजेपी छोड़ने के लिए तैयार हो सकता है।
सीट शेयरिंग किन सीटों मतभेद??
जदयू – बीजेपी के बीच किन सीटों में मतभेद इसका जवाब है कि बीजेपी कटिहार, भागलपुर सीट मांग रहीं जदयू से इस हिसाब से बीजेपी को ये दोनों सीटें मिल जाता है तो फिर जदयू के खाते से दो सीटें कम हो जाएगा और 15 सीटें ही रहेगा। जबकि जदयू इन दोनों सीटों को छोड़ना नहीं चाहती है। बीजेपी के अंदरूनी सर्वे के बात मानें तो जो कि अमित शाह ने करवाएं था उसके आधार पर कटिहार सीट को जदयू के बिना जीता नहीं जा सकता है वहीं जब कटिहार लोगों से यहीं सवाल किया गया उनका मानना है कि अगर बीजेपी कटिहार में अपना प्रत्यासी नहीं देता तो फिर हम जदयू के उम्मीदवारों को वोट नहीं देंगे। जब हमने कटिहार के लोगों से ये जानें का कोशिश किए आखिर क्यों? तो उनका जवाब था कि नीतीश कुमार पर आज के तारीख में कोई विश्वास नहीं कर सकता है। वो कब किधर चलें जाएंगे, जिन लोगों से हमने बात किया वो बीजेपी के कोर वोटर हैं। मतलब सीधे तौर कहे तो जदयू के उम्मीदवार कटिहार में होता है तो इस बार एनडीए को नुक़सान ही होगा। वहीं भागलपुर में भी बीजेपी का स्थिति मजबूत वहां पर अधिक लोगों से हमने बात नहीं किया लेकिन जिन लोगों से बात किया उनका मानना है कि बीजेपी का उम्मीदवार रहें। एक बात स्पष्ट है कि नीतीश कुमार का बार-बार पाला बदलने का नुकसान इस बार लोकसभा चुनाव में एनडीए को उठाना पड़ेगा क्योंकि इस बार जनता में नीतीश कुमार के प्रति काफी गुस्सा है। हालांकि हमें इंतजार करना पड़ेगा सीट शेयरिंग का जब ये स्पष्ट पता चल जाएगा कि इस बार कौन कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगा।
चिराग पासवान 11 सीटों पर तैयारी
उधर खबर आया है कि चिराग पासवान की पार्टी लोजपा रामविलास भी 11 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है ख़बर है कि चिराग़ पार्टी बीजेपी पर ज्यादा सीटें देने का दवाब बना रहीं हैं अगर चिराग पासवान बातें बीजेपी में नहीं सुनी जाती है तो समझ जाए आगे आने वाले परिस्थिति ऐसी होगी कि जो 2020 के विधानसभा चुनाव में हुआ था। जब चिराग़ अकेले दम पर चुनाव मैदान आ जाएंगे चिराग पासवान के वोट बैंक की बात करें तो क़रीब 6 प्रतिशत उनके पास है इसी बात से समझ जाएं कि आगे बिहार के सियासत में बहुत कुछ हो सकता है। चिराग पासवान एनडीए से अलग होने क़दम अचार संहिता लगने के बाद ही उठाएंगे वैसे भी चिराग और नीतीश के राजनीति एक-दूसरे के विपरीत है।