Loksabha elections 2024 : इस समय बीजेपी- जदयू के बीच सीट बंटवारे के लड़ाई देखने को मिल रहा है इसमें खासकर कटिहार के लोकसभा सीट के बात करें तो यहां पर बीजेपी का किला है इसलिए इस सीट के लिए जदयू पर बीजेपी ज्यादा दबाव बना रहीं हैं।
Loksabha elections 2024

कटिहार में बीजेपी कार्यकर्ताओं मन में क्या चल रहा
कटिहार में बीजेपी के कार्यकर्ताओं के मन में क्या चल रहा है , इस विषय जब हम जानने के लिए कटिहार के शहरी और ग्रामीण कार्यकर्ताओं से बात किए तब वो कहने लगे हैं कि इस बार अगर जदयू को कटिहार के सीट मिला तो फिर वो जदयू के उम्मीदवार का सपोर्ट नहीं करेगे ओर ना ही उसे वोट करेगा , सभी बीजेपी कार्यकर्ताओं खुलकर हमसे बातचीत में कहा कि हम लोग पार्टी के बंधुआ मजदूर नहीं बल्कि कि कार्यकर्ता और हमारे भावनाओं का भी क़दर पार्टी को करना चाहिए।
लोकसभा चुनाव से पहले कटिहार के दलितों के मन में क्या चल रहा जाने
बीजेपी नहीं फिर किसे वोट करेंगे??
जब हमने ये पुछा कि जदयू उम्मीदवार रहने पर अगर पार्टी या एनडीए के साथ नहीं देंगे फिर किसे वोट देंगे तब ये जवाब आया है कि अगर कटिहार में जदयू का उम्मीदवार रहता है तो इस स्थिति में हम नोटा बटन को दबाएंगे लेकिन किसी भी कीमत पर जदयू के उम्मीदवार को वोट नहीं देंगे।
जब हमने ये पुछा कि बीजेपी के किस उम्मीदवार को आप लोग समर्थन करेंगे तब उनके तरफ़ से ये जवाब आया कि बीजेपी से कोई हो हम उनका समर्थन करेंगे चाहे पार्टी जिसे उम्मीदवार बनाए लेकिन जदयू का नहीं होना चाहिए।
आपको ये बता दें कि हमने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीजेपी के ऐक्टिव कार्यकर्ताओं से बात किया था उन सभी कार्यकर्ताओं ने खुलकर अपनी बातें कहीं और कहा कि हमारी पार्टी के फैसलों का सम्मान करता हूं, लेकिन उन लोगों ने स्पष्ट तौर पर कहा कि नीतीश कुमार पर कोई भरोसा नहीं वो कब पलट जाएं।
ऐसे हम क्यों सबकुछ जानते हुए भी जदयू के उम्मीदवार के लिए काम करें वो बार बार एक बात कहते हैं कि हम लोग पार्टी के बंधुआ मजदूर नहीं बल्कि कि कार्यकर्ता हैं और किसी कीमत पर जदयू के उम्मीदवार को वोट नहीं देंगे , चाहे कुछ भी हो जाएं।
हालांकि कुछ ऐसे भी बीजेपी के कार्यकर्ता मिलें जो ये कहते हुए दिखें कि मोदीजी जिसे उम्मीदवार बनाएं गे और जो एनडीए उम्मीदवार होगा उसे हम मोदीजी का उम्मीदवार मान कर उनका समर्थन करेंगे उन्होंने जिताने का प्रयास करेंगे। लेकिन इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं में एक बड़ा वर्ग जदयू के उम्मीदवार नहीं चाहता है और अगर कटिहार से कोई जदयू का उम्मीदवार रहता भी है तो इसमें ये कहना कोई दोराय नहीं है कि एनडीए के सफ़र कटिहार में कांटों से भरा हो सकता है।
कटिहार लोकसभा जदयू या बीजेपी कौन ज्यादा मजबुत
कटिहार लोकसभा सीट की जब भी बात आती हैं तो इसे बीजेपी का किला भी कहां जाता है और इस लोकसभा सीट इसलिए भी बीजेपी छोड़ना नहीं चाहता हैं जबकि जदयू का पक्ष है कि वो अपना जीता हुआ सीट किसी भी कीमत नहीं छोड़ना चाहता है।
जबकि बीजेपी पिछले बार जदयू के दवाब में आकर कटिहार सीट को छोड़ दिया क्योंकि 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को करायी शिरकत मिला और उसी साल दिल्ली में भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा इसलिए बीजेपी नीतीश कुमार के 50-50 फॉर्मुला पर बात मानने के लिए तैयार हो गया लेकिन जब 2020 में जदयू कमजोर हो गया तो बीजेपी जदयू पर हाबी होने लगा उसके बाद नीतीश कुमार पलटीं मार लिए लेकिन अब जब नीतीश कुमार फिर से वापस आ गये तो इस बार नीतीश कुमार के साथ बीजेपी 50-50 फॉर्मुला पर बात नहीं कर रहा बल्कि कि बीजेपी अपने मजबूत सीटों को वापस मांग रहे हैं जिसे नीतीश देने के लिए तैयार नहीं है।