Loksabha elections 2024: लोकसभा चुनाव दहलीज़ पर खड़ी हैं, मार्च के महीने में ही तारीखों का ऐलान किया जा सकता है। ऐसे में जाना जरूरी है कि जनता के दिलों में क्या चल रहा है इसी करी में जब हमने कटिहार के दलितों मन को जानें का प्रयास किए तब समझ में आया है कि असल ग्राउंड के सच टीवी और गोदी मिडिया के हवाओं से विपरीत है।

राम मंदिर के बाद का माहौल
जब राम मंदिर बना तो बीजेपी को ये उम्मीदें लगा रहा था कि मंदिर बन गया है तो बीजेपी का हिन्दू वोटर एकजुट होकर बीजेपी के साथ देगा लेकिन जब हमने ग्राउंड में दलित वोटरों के मन को समझने का कोशिश किए तो परिस्थिति बिल्कुल विपरीत था। असल मायने में दलित समाज के मन में एक भय वो भय ये है कि इस बार बीजेपी अगर आई तो देश के संविधान को बदलकर देगी और फिर से मनुवाद को लागू कर देगी जिस प्रकार से पीएम मोदी बार बार कह रहे हैं कि 370 सीटें और तीसरे कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले होंगे उस से यही समझ में आता है कि अब इस देश के संविधान को समाप्त करके हिन्दू राष्ट्र बना दिया जाएगा।
29 फरवरी को आ रहा बीजेपी का पहला लिस्ट
जैसा कि 2024 की रणभूमि पुस्तक में स्पष्ट तौर पर लिखा था कि 2024 का लोकसभा चुनाव का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा हिन्दू राष्ट्र होगा, उस पुस्तक में स्पष्ट तौर लिखा है कि हिन्दू राष्ट्र कैसा होगा और अगर आप उस पुस्तक को पढ़ना चाहते हैं तो Amazon Flipkart पर जाकर सर्च कर सकते हैं, ख़ैर कहानी में आगे बढ़ते और उसी विषय आते हैं कि कटिहार में दलितों के नाराजगी।
दलितों में नाराजगी कारण
इस समय दलित समाज के एक वर्ग मोदी सरकार से नाराज़ नजर आ रहा हैं उसकी वजह ये है कि अगर देश का संविधान बदलाव होता और हिन्दू राष्ट्र बनाया जाता तो फिर से मनुवाद लागू हो जाएगा। एक ख़ास जाति के लोग दलितों पर अत्याचार करेंगे लेकिन ऐसी बातें आज दौर में बस कल्पना ही कह सकते हैं, लेकिन लगातार ऐसे कई संगठन एक्टिव जो लगातार ही दलितों बीच जाकर बता रहे हैं कि किस प्रकार से भाजपा और संघ परिवार इस देश के संविधान को खत्म करने के तैयारी कर रहा हैं। इसी वजह से दलितों में एक डर ये भी है कि अगर इस बार बीजेपी आया तो भारत हिन्दू राष्ट्र बन जाएगा और बाबा साहब के संविधान को बदलकर मनुवाद को लागू कर दिया जाएगा।
जब हम मनुवाद पर बात करते हैं तो वो आज के तारीख़ फिर से लागू करना असंभव है। लेकिन मैंने अपने पुस्तक में भी इस विषय चर्चा किया ये बताया है कि मनुवाद के बारे आज के नेता ग़लत तथ्य रख रहे है क्योंकि असल मायने मनुवाद वो नहीं जो आज के नेता बताते हैं असल में मनुवाद में काफी बदलाव मुगलों और अंग्रेजों दौर में हुआ था खैर इस विषय पर और हिन्दू राष्ट्र पर मेरे पुस्तक में भी आप पढ़ सकते हैं अभी एक बार फिर से वापस आते हैं आज के विषय पर।
जब राम मंदिर का बात करें तो दलित समाज ने भी इसकी ख़ुशी हैं। वहीं दलितों में एक वर्ग को बड़ा डर था कि जब मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में बड़े फैसले होंगे तो कही ये ना हो जाएं कि आरक्षण समाप्त हो जाए।
दलित समाज जुड़े लोग नाम ना बताने के शर्त पर कहा कि हमने पिछले बार मोदीजी को वोट किया लेकिन इस बार नहीं करेंगे। जब हमने पुछा क्यों नहीं करेंगे तो जवाब आया है कि तीसरे कार्यकाल में मोदीजी सत्ता में आएं तो आरक्षण समाप्त कर देंगे तब हमने पुछा है कि ये किसने कहा तब जवाब आया है कि कुछ ऐसे संगठन का, ख़ैर जब हम आगे बढ़े तो कुछ ऐसे लोग भी मिलें जो कि इस बार वोट का बॉयकॉट करने वाले हैं।
पुछा क्यों कर रहे ऐसा??
तब जवाब आया है कि ईवीएम मशीन में गरबड़ी इसलिए एससी एसटी वर्ग इस बार वोट नहीं करेंगे तब ये लोग वोट कहां से लाएंगे और जीतेंगे, ख़ैर यहां हमने यही कहा कि अगर आप किसी दल से नाराज़ इसका ये अर्थ तो नहीं है कि वोट का बॉयकॉट करे। खैर कुछ ऐसे लोग भी मिल जाते हैं।
जब हम सभी से बात करने के बाद एक निष्कर्ष पर निकले तो ये बातें समझ आता है कि दलितों के मन ये विचार ऐसे ही नहीं जो कल तक कट्टर मोदी भक्त थें वो भी बदल गये, ये कहते हुए कि हमारे बच्चों का भविष्य जरूरी है अगर आरक्षण हटाने तैयारी कर रही सरकार सबको बराबर हक पहले देना चाहिए। असल मायने ये सब विचार दलितों के मन इसलिए भी आया क्योंकि लगातार विपक्षी दल नेता और कुछ दलित समाज जुड़े संगठन एक्टिव जो कि दलितों के बीच बीजेपी के बारे में समझा रहीं और कह रही है कि इस बार बीजेपी आया तो फिर से भारत में मनुवाद लागू होगा और देश से आरक्षण समाप्त हो जाएगा।