Maha Kumbh 2025 महिला नागा साधुओं का जीवन: पीरियड्स के दौरान महाकुंभ में कैसे करती हैं स्नान

Shubhra Sharma
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Maha Kumbh 2025
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Maha Kumbh 2025: महिला नागा साध्वियाँ, जो अखाड़ों में “माई,” “अवधूतानी,” या “नागिन” के नाम से जानी जाती हैं, एक कठिन और तपस्वी जीवन जीती हैं। नागा साध्वी बनने की प्रक्रिया में उन्हें सांसारिक बंधनों को त्यागकर कठोर तप और साधना करनी पड़ती है। इस प्रक्रिया में जीवित रहते हुए पिंडदान करना और मुंडन कराना शामिल है।

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नागा साध्वी बनने की प्रक्रिया

महिला नागा साधु बनने के लिए 10 से 15 वर्षों तक कठोर ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि वे सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर पूरी तरह से भगवान के प्रति समर्पित हो चुकी हैं। नागा साध्वियाँ पुरुष नागा साधुओं से भिन्न होती हैं। वे दिगंबर नहीं रहतीं और केसरिया रंग के बिना सिले हुए वस्त्र धारण करती हैं, जिन्हें “गंती” कहा जाता है।

मासिक धर्म और महाकुंभ में स्नान

महिला नागा साध्वियों को मासिक धर्म के दौरान विशेष नियमों का पालन करना पड़ता है।

  • गंगा स्नान: कुंभ मेले में महिला नागा साध्वियाँ केवल उन दिनों गंगा स्नान करती हैं जब वे मासिक धर्म से मुक्त होती हैं। यदि मासिक धर्म के दौरान कुंभ का कोई महत्वपूर्ण स्नान दिवस हो, तो वे गंगा में स्नान करने के बजाय गंगा जल के छींटे अपने ऊपर छिड़क लेती हैं। इसे गंगा स्नान के बराबर माना जाता है।
  • स्नान और पूजा: इस दौरान वे गंगा या संगम में स्नान नहीं करतीं। इसके बजाय, वे अपने शिविर में जल स्नान करती हैं। मासिक धर्म के दौरान पूजा और भगवान को छूने से भी परहेज करती हैं।

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धार्मिक नियम और आचार

महिला नागा साधुओं के लिए मासिक धर्म के समय कुछ विशेष धार्मिक नियम होते हैं:

  • वे अपने शरीर पर भस्म (राख) लपेटे रहती हैं।
  • पूजा, जाप और ध्यान से दूरी बनाकर रखती हैं।
  • सार्वजनिक स्थानों पर वस्त्र धारण करना उनके लिए अनिवार्य होता है।

महिला नागा साधुओं का दैनिक जीवन

महिला नागा साधुओं का जीवन साधना, तपस्या और भक्ति से परिपूर्ण होता है। वे विशेष रूप से शिव, पार्वती और माता काली की आराधना करती हैं।

  • वस्त्र और तिलक: महिला नागा साध्वी केसरिया रंग के बिना सिले वस्त्र पहनती हैं और माथे पर तिलक लगाती हैं।
  • पिंडदान और मुंडन: नागा साधु बनने से पहले उन्हें जीवित रहते हुए अपना पिंडदान करना और मुंडन कराना होता है।

महिला नागा साधुओं की विशेषता

महिला नागा साधुओं की उपस्थिति महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में एक महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र होती है। उनके जीवन में कठोर नियम और परंपराएँ यह सुनिश्चित करती हैं कि उनकी साधना और तपस्या में कोई बाधा न आए।

महिला नागा साधुओं का जीवन एक प्रेरणा है, जो यह दर्शाता है कि कठोर साधना और तपस्या से आध्यात्मिक ऊंचाइयों को प्राप्त किया जा सकता है। महाकुंभ जैसे आयोजनों में उनकी उपस्थिति और धार्मिक गतिविधियों में उनकी भागीदारी, उनके समर्पण और भक्ति का प्रतीक है।

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