प्राइवेट जॉब्स में बॉस द्वारा महिलाओं का शोषण, प्रमोशन के पीछे की कड़वी सच्चाई

Shubhra Sharma
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प्राइवेट जॉब्स
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प्राइवेट जॉब्स कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न एक गंभीर समस्या है, जो उनके करियर विकास और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। विशेषकर प्रमोशन के नाम पर होने वाला शोषण महिलाओं के आत्मसम्मान और पेशेवर जीवन को प्रभावित करता है। आईए हम आपको बताते हैं कि किस तरह boss अपने महिला colleagues को प्रमोशन और तरक्की का झांसा देकर उनका शोषण करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि दिन ब दिन इसके आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं।

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Jobs पर यौन उत्पीड़न

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न में अवांछित यौन टिप्पणियां, शारीरिक संपर्क, अश्लील सामग्री दिखाना, या यौन संबंधों के लिए दबाव डालना शामिल है। यह उत्पीड़न किसी भी महिला कर्मचारी के साथ हो सकता है, चाहे वह किसी भी पद पर कार्यरत हो।

प्रमोशन के नाम पर शोषण:

कुछ मामलों में, वरिष्ठ अधिकारी महिलाओं को प्रमोशन या वेतन वृद्धि के बदले यौन संबंध बनाने के लिए बाध्य करते हैं। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि कानूनन अपराध भी है। महिलाएं अक्सर करियर में प्रगति की इच्छा के चलते इस शोषण का शिकार बनती हैं।

प्राइवेट जॉब्स में बॉस द्वारा महिलाओं का शोषण, प्रमोशन के पीछे की कड़वी सच्चाई

भारत में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के आंकड़े:

भारत में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों की संख्या चिंताजनक है। हालांकि, प्रमोशन के नाम पर विशेष शोषण के आंकड़े सीमित हैं, लेकिन कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की व्यापकता को दर्शाने वाले कुछ आंकड़े उपलब्ध हैं:

  • 2017 में, भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए SHe-Box (Sexual Harassment electronic Box) पोर्टल पर 2019 तक 203 शिकायतें दर्ज की गईं। यह संख्या केवल रिपोर्ट किए गए मामलों को दर्शाती है, जबकि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।
  • 2015 में, एक सर्वेक्षण के अनुसार, 38% महिलाओं ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का सामना किया, लेकिन उनमें से केवल 29% ने इसकी रिपोर्ट की। यह दर्शाता है कि अधिकांश महिलाएं भय, शर्म या करियर पर नकारात्मक प्रभाव के डर से शिकायत दर्ज नहीं करतीं।

कानूनी प्रावधान:

भारत में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए ‘कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013’ लागू है। यह अधिनियम सभी सरकारी और निजी संगठनों पर लागू होता है और नियोक्ताओं को आंतरिक शिकायत समिति (ICC) स्थापित करने के लिए बाध्य करता है।

महिलाओं के लिए सुझाव:

  1. शिकायत दर्ज करें: यदि आप कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का सामना करती हैं, तो आंतरिक शिकायत समिति या संबंधित प्राधिकरण के पास शिकायत दर्ज करें।
  2. साक्ष्य संकलित करें: सभी संबंधित ईमेल, संदेश, या अन्य साक्ष्य सुरक्षित रखें, जो आपकी शिकायत को समर्थन दे सकते हैं।
  3. कानूनी सहायता लें: आवश्यक होने पर कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श लें ताकि आपके अधिकारों की रक्षा हो सके।
  4. सहयोग प्राप्त करें: अपने सहकर्मियों, परिवार और मित्रों से समर्थन प्राप्त करें, जिससे मानसिक और भावनात्मक मजबूती मिल सके।

नियोक्ताओं के लिए सुझाव:

  1. जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें: कर्मचारियों के लिए नियमित रूप से यौन उत्पीड़न के प्रति जागरूकता बढ़ाने वाले कार्यक्रम आयोजित करें।
  2. सख्त नीतियां लागू करें: कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ सख्त नीतियां बनाएं और उनका पालन सुनिश्चित करें।
  3. गोपनीयता बनाए रखें: शिकायतों की जांच के दौरान गोपनीयता बनाए रखें ताकि पीड़िता को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
  4. सकारात्मक कार्य वातावरण बनाएं: ऐसा कार्यस्थल वातावरण बनाएं जहां सभी कर्मचारी सुरक्षित और सम्मानित महसूस करें।

कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न, विशेषकर प्रमोशन के नाम पर शोषण, एक गंभीर समस्या है। इसके समाधान के लिए कानूनी प्रावधानों के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता और संगठनों की जिम्मेदारी भी महत्वपूर्ण है। महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और किसी भी प्रकार के शोषण के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

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