BiharFlood सितंबर 2024 – कोसी नदी में आई भीषण बाढ़ ने उत्तर बिहार के कई जिलों में भारी तबाही मचाई है। 50 सालों बाद कोसी नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया है, जिससे सैकड़ों गांवों के डूबने का खतरा बन गया है। बिहार के सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, और अररिया जिलों में बाढ़ के कारण हजारों लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं।
कोसी नदी, जिसे “बिहार का शोक” भी कहा जाता है, हर साल मानसून के दौरान तबाही मचाती है, लेकिन इस बार इसका जलस्तर पिछले 50 वर्षों में सबसे ज्यादा दर्ज किया गया है। 28 सितंबर 2024 को कोसी बैराज के सभी गेट खोल दिए गए, जिससे पानी का बहाव और तेज हो गया। बैराज से लगभग 282,680 क्यूसेक प्रति सेकंड पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे नीचे के इलाकों में बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है।
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बाढ़ के कारण हुए नुकसान
बाढ़ से अब तक बिहार के लाखों लोग प्रभावित हो चुके हैं। कई जगहों पर फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं, जिससे किसानों के लिए स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है। साथ ही, बाढ़ के पानी ने कई घरों, सड़कों और पुलों को नुकसान पहुंचाया है, जिससे यातायात भी ठप हो गया है। उत्तर बिहार के निचले इलाकों में रहने वाले लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं, और राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं।
नेपाल के धनकुटा, झापा, और पंचथर जिलों में भी स्थिति बेहद गंभीर है। भारी बारिश और भूस्खलन के कारण अब तक कम से कम 19 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि दर्जनों लोग लापता हैं। कई इलाकों में बचाव और राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं, लेकिन मौसम की खराबी के कारण इसमें भी दिक्कतें आ रही हैं। नेपाल में 1,100 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है और अब तक सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
प्रशासन की तैयारी
बिहार सरकार और स्थानीय प्रशासन ने बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए राहत और बचाव कार्यों को तेज कर दिया है। एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) और एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन बल) की टीमों को तैनात किया गया है। साथ ही, हेलीकॉप्टर के माध्यम से भोजन और अन्य आवश्यक सामग्री पहुंचाई जा रही है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे ऊंचाई वाले सुरक्षित स्थानों पर शरण लें और बाढ़ के पानी से बचाव के लिए सतर्क रहें।
बिहार के मुख्यमंत्री और केंद्रीय जल संसाधन विभाग ने कोसी के जलस्तर पर नजर रखने के लिए विशेष दलों का गठन किया है। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि कोसी बैराज पर लगातार नजर रखी जा रही है और हर संभव प्रयास किया जा रहा है कि अधिक नुकसान न हो।
कोसी का खतरा क्यों बढ़ता है?
कोसी नदी को “बिहार का शोक” कहा जाता है क्योंकि यह हर साल मानसून के मौसम में तबाही मचाती है। नेपाल की हिमालय से निकलने वाली यह नदी बिहार में प्रवेश करने से पहले कई जगहों से गुजरती है। मानसून के दौरान नेपाल में भारी बारिश के कारण कोसी का जलस्तर बढ़ता है और बिहार के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा पैदा होता है।
इस साल स्थिति और गंभीर इसलिए हो गई क्योंकि नेपाल और बिहार दोनों जगहों पर भारी बारिश ने कोसी और उसकी सहायक नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ा दिया। नतीजतन, कोसी बैराज पर दबाव बढ़ गया और प्रशासन को सभी गेट खोलने पड़े, जिससे और अधिक पानी निचले इलाकों में फैल गया।
आगे की चुनौतियां
मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों में और बारिश होने की संभावना है, जिससे बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो सकती है। प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों को लेकर प्रशासन ने पूरी तैयारियां की हैं, लेकिन जलस्तर में वृद्धि से चुनौतियां बढ़ सकती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि कोसी नदी के बहाव को नियंत्रित करने और बाढ़ से बचाव के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की जरूरत है। हर साल कोसी में आने वाली बाढ़ से बिहार के लाखों लोग प्रभावित होते हैं और यह क्षेत्र लगातार आपदा की चपेट में रहता है। इसके समाधान के लिए भारत और नेपाल दोनों को मिलकर काम करना होगा ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति को रोका जा सके।