MODI News: 2019 से 2024 की रणभूमि इस मामले, बीजेपी ऐसा कोई राष्ट्रीय विमर्श मुद्दा खड़ा नहीं सका यूं कहिए कि 24 की रणभूमि को अगर मोदीजी जीत भी जाए चाहें सीटें बढ़ जाएं लेकिन इस बार एक कमजोर विपक्ष होने के बाद भी मोदीजी ऐसा कोई मुद्दा नहीं खड़ा कर सकें जो कि राष्ट्रीय विमर्श का मुद्दा बन सकें। यूं कहिए कि राम मंदिर स्थान पीओके जिक्र किया होता तो शायद पुरे देश वोटरों अंदर एक नया जोश भर देता और जो वोट प्रतिशत घट रहा था वो भी पिछले बार से ज्यादा होता लेकिन पीएम मोदी के टीम ने एक ऐसा मुद्दा चुना जो कि उसी दिन समाप्त हो चुका जब सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर का फैसला आ चुका था।
ऐसे भी कई विश्लेषक है जो कि ये मानते हैं कि जब राम मंदिर का प्रमाण प्रतिष्ठा हुआ उसी समय अगर इलेक्शन ऐलान हो जाता है तो ये मुद्दा राष्ट्रीय विमर्श का विषय बन सकता था हालांकि जब 2004 में अटल बिहारी वाजपेई ने यही कोशिश किया समय पहले चुनाव करवाने का तब उसका नुकसान हो गया इसलिए भी मोदी शाह के टीम ऐसा कोई खतरा नहीं उठाया और समय पर ही चुनाव होने दिया।
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दक्षिण में खिलेगा कमल बंगाल उड़ीसा बढ़ेगा सीटें
वैसे इस बार भी बीजेपी अपनी सरकार बनाने जा रहीं वो भी पहले से ज्यादा सीटों के साथ लेकिन इस बार के सरकार में बीजेपी के जीत में दक्षिण के राज्यों का महत्वपूर्ण भुमिका रहेगा इस बात को शायद आज नजर अंदाज कर रहे हैं परन्तु कड़वा सच यहीं है कि बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के साथ जो दक्षिण से सीटें आ रहा वो 30-40 है यूं कहिए एनडीए का भी सीटें बढ़ेगा और बीजेपी का भी। बीजेपी अगर दक्षिण के 129 में 30-40 सीटें जीतने में कामयाब हो जाती है तो आप इसे ये भी कह सकते हैं कि हिंदी पट्टी राज्यों में जो संभावित नुकसान बीजेपी को होने जा रहा उसकी भरपाई दक्षिण से हो जाएगा इसके अलावा बंगाल और उड़ीसा से भी पिछले बार से सीटें बढ़ने जा रहा है।
विपक्ष के स्थिति
बीजेपी भले ही कोई राष्ट्रीय मुद्दा नहीं बना सका इस चुनाव में किंतु विपक्ष के पास पुरा अवसर था कि वो राष्ट्रीय विमर्श मुद्दा खड़ा कर सकें। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष को चुनावी बांड जैसा मुद्दा दे दिया था फिर भी विपक्ष उसे बड़ा मुद्दा नहीं बना सका इसका बड़ा कारण ये था कि नरेंद्र मोदी 400 सीटों के जुमला फेंक दिया जिसे विपक्ष ये समझ ही नहीं पाएं और विपक्ष फ़ोकस यही रहा है किसी कीमत मोदी के 400 पार नहीं पहुंचना चाहिए जो कि सबसे बड़ा गलती था क्योंकि मोदी ने बस एक चलाकी खेला तो जिसे मोदी विरोधी समझ नहीं पाए। आप ही कल्पना कीजिए कि अगर तीन सो सीटें आ जाएं तो तब भी मोदी का ही सरकार बनेगा।
पीएम मोदी चुनाव शुरू होने से पहले ये स्पष्ट कर दिया कि आएगा तो मोदी वहीं विपक्ष को उन मुद्दों उठाने जरुरत थी जो कि जनता जुड़े तब विपक्ष बस यहीं मुद्दा उठाया कि 400 पार करने से रोकना है। मोदी ने ख़ुद का पिच तैयार किया, जिस पिच पर विपक्ष खेलाएं और विपक्ष को मजबूर कर दिया पीएम मोदी के बात करने पर।
जिस विपक्ष के पास 10 साल के सरकार कई कामिया गिना सकता था वो विपक्ष मोदी के जुमला फंस गया उसे समझ में ही नहीं आ सका कि ये मोदी का राजनीति रणनीति या चक्रव्यूह का हिस्सा था जिसमें विपक्ष को फंसा दिया।
मोदी ने चुनाव से पहले नेगेटिव तय करने में माहिर हैं इसलिए मैं उन्होंने 24 घंटे का नेता कहता हूं,क्योंकि वो चुनाव में इस प्रकार से गेम्स सेट करते हैं उनके विरोधी कुछ भी अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। जिस ढंग से राजनीति रणनीतियों पीएम मोदी समझते उतना कोई समझ सकता है उन्होंने पता है कि कैसे विरोधी से ही अपने जीत पर मुहर लगा लेना और जब ये विपक्ष ये कहता है कि मोदी 400 पार नहीं करेंगे तब भी तो विपक्ष इस बात को कह रहा है कि मोदीजी सरकार बनाने जा रहे क्योंकि सरकार बनाने के लिए 272 सीटें चाहिए।
आरक्षण हटा देंगे मोदी चार पार हुए तो
शायद विपक्ष को ये पता नहीं था कि 272 सांसद हैं तब भी आरक्षण को हटाएं जा सकता है और संविधान में संशोधन भी किया जा सकता है यानी विपक्ष मोदी खिलाफ जिस नेगेटिव को सेट करना उसमें विपक्ष को कामयाबी शाय़द ही मिलें। क्योंकि बीजेपी 2014 से बहुमत के सरकार चला रही थी और अगर बीजेपी को आरक्षण हटाना था कब का हटा देता यानी स्पष्ट हो चुका था कि बीजेपी आरक्षण नहीं हटाना चाहता था। लेकिन इसका कुछ हद तक बीजेपी को नुकसान भी उठाना पड़ा था।
जिस प्रकार से विपक्ष तरफ़ से ये नेगेटिव सेट किया गया और कुछ ज्यादा बोलने वाले बीजेपी के नेताओं ने भी ऐसी हवा दी जिस से SC st OBC कुछ प्रतिशत वोट इंडिया गठबंधन पक्ष में चला गया जो कि आरक्षण हटाने घबराएं हुए थे।
इस लोकसभा चुनाव को मुद्दों जरिए आप अगर देखना चाह रहे हैं तो स्पष्ट कह देना चाहता हूं कि ये एक ऐसा चुनाव था जिसमें ऐसा कोई भी राजनीति दल चाहें वो सत्ता में हो या विपक्ष में वो इतना बड़ा मुद्दा खड़ा नहीं कर सका जो कि राष्ट्रीय विमर्श का मुद्दा बन सकें इस चुनाव में क्षेत्रीय या फिर लोकसभा सीट का मुद्दा छाए रहा और ऐसे कई लोकसभा सीटें जहां पर जो मुकाबला था वो उम्मीदवार बनाम उम्मीदवार हो चुका है, ऐसे सीटें उत्तर प्रदेश और बिहार जैसी राज्यों में जो कि दिल्ली के सत्ता तय करती है। यूं कहिए 2024 की रणभूमि जब परिणाम सामने आएगा तो बहुत कुछ बदल जाएगा।
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