Bihar nager Nigam election: बिहार नगर निगम इलेक्शन ( Bihar nager Nigam election) क्या रद्द होने वाला है या फिर नहीं इस सवाल जवाब का आज हम देने जा रहे हैं। जब भी नगर निगम इलेक्शन के बात होती तब इंड टॉक का विश्लेषण काफी महत्वपूर्ण हो जाती क्योंकि इंड टॉक शुरुआत से नगर निगम इलेक्शन पर सबसे विश्वसनीय कवरेज करता है। जैसा कि 2022 अक्टूबर के महीने से इंड टॉक अपना यूयूट्यूब चैनल के माध्यम से लगातार ही नगर निगम इलेक्शन के चुनावी विश्लेषण किया है उसी करी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि नगर निगम इलेक्शन का फाइनल फैसला किसके पक्ष आने वाला है। नगर निगम इलेक्शन रद्द हो गया या फिर रद्द नहीं जैसा कि आप जानते हैं कि 4 जनवरी 2024 को पटना हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सबसे पहले बताते हैं कि ये मामला किस विषय का है।
Bihar nager Nigam election
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बिहार नगर निगम इलेक्शन मामला क्या
बिहार में निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के आरक्षण को लेकर ये मामला चल रहा जो याचिका दायर किए उनका मानना है कि बिहार सरकार ने ओबीसी समाज आरक्षण में न्यायपूर्वक नहीं दिया है और ट्रिपल टेस्ट का प्रकिया अपनाएं गया वो भी उचित नहीं था बल्कि कि अनुचित तरीके बिहार सरकार ट्रिपल टेस्ट करवाएं जब ट्रिपल टेस्ट हो गया तो उसके बाद फिर से सीटों चयन नहीं किया बल्कि कि पुराने नोटिफिकेशन आधार इलेक्शन करवा लिया ऐसे में जो कि याचिकाकर्ता दायर किया गया| सरकार तरफ से कहा कि हम बिल्कुल सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइंस अनुसार ही चुनाव करवाए हैं| दोनों पक्षों के दलीलें पुर्ण हो गई और कोर्ट ने भी अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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नगर निगम इलेक्शन आगे क्या होगा??
इस समय नगर निगम के चुनें हुएं वार्ड पार्षद और हारे हुए प्रत्यासी भी पटना हाईकोर्ट तरफ़ देख रहें हैं आखिर जज साहब क्या फाइनल फैसला देने जा रहे हैं। क्या वो फैसला चुनाव रद्द होगा या फिर नहीं। वर्तमान परिस्थितियों देखें तो चुनाव रद्द होनी जैसी परिस्थिति नहीं है। लेकिन अभी जज साहब ने फैसला सुरक्षित रख लिया लेकिन सवाल यहीं है की जज अपना फाइनल फैसला कब देने जा रहे हैं आखिर क्यों नगर निगम इलेक्शन फाइनल फैसला उसी दिन नहीं दिए गया बल्कि कि जज साहब इंतजार कारवा रही है इन सारे सवालों का जवाब हम आपको देने जा रहे हैं।
फैसला सुरक्षित का अर्थ
फैसला सुरक्षित करने का अर्थ तो इसका अर्थ है कि नगर निगम इलेक्शन के सुनवाई में दोनों पक्षों की दलीलें अदालत में पेश हो चुकी हैं। दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें अदालत को सभी तथ्यों के साथ लिखित में उपलब्ध करा दिए हैं। अब अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई कर ली है। जज ने इस मामले में फ़ैसला ले लिया है। अब अगली तारीख पर कोई सुनवाई नहीं होने वाला बल्कि कि जज साहब इस मामले में अपना फ़ैसला सुनाएंगे और दोनों पक्षों को इस फ़ैसले की लिखित कॉपी दे दी दिया जाएगा। जज साहब जब भी कोई फैसला लिखित रुप उन्हीं फैसलों सुरक्षित रख लेते हैं और जो मामला लंबे समय चल रहा उन मामलों को जज दो या तीन लाइन फैसला नहीं देते बल्कि कि कई बार हजारों पेज़ या सैकड़ों में देते हैं। नगर निगम इलेक्शन का मामला भी कुछ ऐसा ही है।
लिखित फैसलों का महत्व
जब भी कोई आने वाले समय में इस देश के न्याया व्यवस्था को प्रभावित करती हैं तो फैसले यूं ही नहीं लिखा जाता बल्कि कि एक फ़ैसले के साथ जज का भी नाम जुड़ा होता है। फ़ैसला आने के बाद तमाम लोग उसे स्टडी करते हैं इसलिए जज पूरी प्रयास करता हैं कि उनके तर्क क़ानून सम्मत और न्याय संगत हों। इसलिए जज साहब फैसला लिखने में अक्सर देरी हो जाता है। क्योंकि ये उन्हें ये ध्यान रखना पड़ता है कि अगर उनका फैसला न्याय संगत नहीं रहा तो आने वाले समय के लिए ग़लत नज़ीर पेश हो जाएगा।
फैसला सुरक्षित कबतक रहेगा?
नगर निगम इलेक्शन फैसला सुरक्षित रख लिया गया आम तौर जब हिन्दी फिल्मों देखते हैं तो जज ये कहते हैं कि सारे सबुतो गवाहों अनुसार ये अदालत इस नतीजे पहुंचा इसके आगे जज साहब अपना फैसला सुना देते लेकिन ये बातें फिल्मी अदालतों का असल जीवन में भी कई फैसले अदालत फ़ौरन सुना देते लेकिन कई फैसले को अदालत सुरक्षित भी रख लेता ये वो फ़ैसले जो कि काफी महत्वपूर्ण है जो आने वाले समय में इस देश के लिए एक नज़ीर पेश करते हैं। नगर निगम इलेक्शन ये मामला मामूली नहीं बल्कि कि काफी महत्वपूर्ण है। इस मामले का जो भी फैसला होगा वो आने वाले समय में कई राज्यों के केस में उदाहरण तौर पर लिया जाएगा मने इस केस को अगर आप सामान्य समझ रहे हैं तो ये आपका भुल है। जैसा कि इंड टॉक एकमात्र चैनल जो कि पिछले लंबे समय लगातार ही बिहार नगर निगम इलेक्शन पर सबसे विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध करवा रहा है। हमारा प्रयास यहीं रहता है कि आप तक सभी खबर सटीक उपलब्ध करवाना।
अदालत फैसला कितने दिन सुरक्षित रख सकता?
आखिर अदालत कोई फैसला को सुरक्षित रख लेता तो कितने समय तक रख सकते हैं इस सवाल जवाब हम कानून जानकारों जाना चाहा वो बोलें कि कई बार समय भी लगता है तो कई बार अदालत दो या तीन सप्ताह के अंदर फैसला सुना देता है। जब नगर निगम इलेक्शन का मामला आता इससे केवल हारे या फिर जीतें हुए प्रत्यासी जुड़े बल्कि कि एक राज्य का सरकार भी जुड़ा है और पटना हाईकोर्ट इस फैसले के बाद कई राज्यों में जो केस अदालत में लंबित या फिर आगे होने वाला किसी नगर निगम इलेक्शन के मामलों में जज साहब इस फैसले को उदाहरण के तौर पर ले सकते । ख़ैर सवाल ये है कि कोई फैसला को अदालत कितने समय सुरक्षित रख सकता है इस पर कानून क्या कहता है तो इसका जवाब यहीं है कि किसी भी मामले को अदालत छः महीने से ज्यादा सुरक्षित नहीं रख सकता है अगर अदालत छः महीने के अंदर किसी सुरक्षित फैसला को नहीं देता है तो फिर सुनवाई होता है। मतलब सीधे शब्दों कहें तो नगर निगम इलेक्शन का फैसला चार जुलाई 2024 से पहले पटना हाईकोर्ट को किसी कीमत पर फैसला देना पड़ेगा वरना इस मामले में फिर से सुनवाई शुरू हो जाएगा।