प्रयागराज महाकुंभ मेला, जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, में आज एक गंभीर हादसा हुआ। मंगलवार की रात, जब करोड़ों श्रद्धालु मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान करने के लिए पहुंचे थे, एक भारी भगदड़ मच गई। इस हादसे में 20 से अधिक लोगों की जान चली गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। घायलों को महाकुंभ क्षेत्र के अस्पतालों में भर्ती किया गया है, जहां उनका इलाज जारी है।

घटना की शुरुआत
मेला प्रशासन के अनुसार, मंगलवार रात लगभग 2 बजे संगम नोज पर बैरिकेड्स टूटने से भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। इसके बाद श्रद्धालु बेकाबू हो गए और कई लोग गिर गए। स्थिति इतनी विकट हो गई कि उसे नियंत्रित करने के लिए प्रशासन को तत्काल कदम उठाने पड़े। हादसे के बाद, घायलों को तुरंत एंबुलेंस से महाकुंभ में बनाए गए अस्थायी अस्पतालों में पहुंचाया गया, जहां उनका उपचार जारी है।
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प्रशासन और सुरक्षा प्रयास
घटना के तुरंत बाद मेला प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य शुरू किया। प्रशासन ने घायलों को प्राथमिक उपचार प्रदान किया और उन्हें मुख्य अस्पतालों में भेजा। मेला क्षेत्र में 50 से अधिक मेडिकल टीमों और एंबुलेंस की तैनाती की गई थी, ताकि हादसे के बाद त्वरित मदद दी जा सके। मेला प्रशासन ने यह भी अपील की कि श्रद्धालु स्थिति को समझें और अफवाहों से बचें।
अमृत स्नान पर रोक
महाकुंभ के इस अमृत स्नान के दिन भगदड़ के कारण अखाड़ों ने फैसला लिया कि आज के लिए स्नान को रद्द किया जाए। हालांकि, कुछ समय बाद स्थिति सामान्य होने के बाद सभी 13 अखाड़ों ने स्नान करना शुरू कर दिया। प्रशासन ने स्थिति पर नजर बनाए रखते हुए सभी श्रद्धालुओं से संयम बनाए रखने की अपील की।
चश्मदीदों के दर्द भरा बयान
घटना के बारे में चश्मदीदों ने बताया कि स्थिति पूरी तरह से बेकाबू हो गई थी। एक महिला, सरोजनी, जो उस समय घटनास्थल पर मौजूद थीं, ने कहा, “हम 9 लोग स्नान के लिए संगम आए थे, तभी अचानक धक्का-मुक्की हुई और हम गिर पड़े। चारों ओर से धक्का दिया जा रहा था और किसी को बचने का मौका नहीं मिला। कई लोग गिरकर कुचले गए।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, “प्रयागराज महाकुंभ में हुआ हादसा अत्यंत दुखद है। इसमें जिन श्रद्धालुओं ने अपने परिजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। साथ ही मैं सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय प्रशासन पीड़ितों की मदद में जुटा हुआ है और वह राज्य सरकार के संपर्क में हैं।
सुरक्षा उपाय और प्रशासनिक निर्णय
इस हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस घटना की जानकारी ली और स्थिति पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए। प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए कई उपाय किए हैं। संगम क्षेत्र में ग्रीन कॉरिडोर स्थापित किया गया, ताकि घायलों को जल्दी से अस्पताल पहुंचाया जा सके। इसके साथ ही, प्रशासन ने आगे से इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की घोषणा की है।
इतिहास में पहले भी हुए हैं ऐसे हादसे
यह घटना पहली बार नहीं है जब कुंभ मेले में भगदड़ मची हो। 1954 में भी प्रयागराज कुंभ मेले में भगदड़ के दौरान 500 से अधिक लोग मारे गए थे। उस समय एक हाथी बेकाबू हो गया था और भीड़ में भगदड़ मच गई थी। इसके बाद, कुंभ मेले में हाथियों के उपयोग पर रोक लगा दी गई थी।
वीआईपी एंट्री पर रोक
कुंभ मेले में इस प्रकार के हादसे से बचने के लिए प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1954 में वीआईपी एंट्री पर रोक लगा दी थी। उन्होंने यह निर्णय लिया था कि कुंभ के मुख्य स्नान पर्वों के दौरान सिर्फ आम श्रद्धालुओं को स्नान की अनुमति दी जाएगी, ताकि किसी भी प्रकार की भगदड़ से बचा जा सके। यह निर्णय आज भी कुंभ, अर्द्धकुंभ और महाकुंभ में लागू है।
मेला प्रशासन की अपील
मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें और सिर्फ प्रशासन द्वारा जारी की गई सूचनाओं पर विश्वास करें। उन्होंने यह भी कहा है कि श्रद्धालु अपने स्नान के समय का ध्यान रखें और जहां पानी साफ हो, वहीं स्नान करें ताकि दुर्घटनाओं से बचा जा सके। प्रशासन ने राहत कार्यों के लिए सभी आवश्यक उपाय किए हैं और स्थिति को सामान्य बनाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है।
कुल मिलाकर
महाकुंभ में हुआ यह हादसा बहुत ही दुखद है, और इसने सभी को एक बार फिर यह एहसास दिलाया है कि बड़ी धार्मिक सभाओं में सुरक्षा और प्रशासनिक उपायों की सख्त जरूरत होती है। प्रशासन और स्थानीय प्रशासन की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके और श्रद्धालुओं को पूरी सुरक्षा दी जा सके।