Sawan Somwar Vrat Katha:सोमवार का दिन जो कि सप्ताह प्रथम दिन होता है, वैसे तो जब आप किसी भी नौकरी में होते हैं तो शायद आपको सोमवार दिन उतना पसंद ना आए। हालांकि आज हम बात करने जा रहे हैं कि सोलह सोमवार व्रत रखने से आपके जीवन में क्या लाभ होने जा रहा और ये व्रत किन लोगों को रखना चाहिए।
Sawan Somwar Vrat Katha
विवाह बाधा दुर होती हैं
जिन लोगों को विवाह में बाधा आ रही हो, उनके लिए सोमवार व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है। खासकर कुमारी कन्याएं सोमवारी का व्रत रखती है, विवाह दूरी या फिर मनपसंद वर पाने कुमारी कन्याएं सोमवारी का व्रत रखती है।
सोलह सोमवार व्रत रखने कारण
अगर शास्त्रों को मानें तो सोलह सोमवारी का व्रत (Solah Somvar Vrat) मुख्य रूप किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए रखा जाता है। जैसे कि किसी कन्या विवाह देरी या फिर रुकावट आने कारण लड़कियां सोलह सोमवारी का व्रत (Solah Somvar Vrat) रखतीं हैं, इसके अलावा पति को दीर्घायु की प्राप्ति होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, सोलह सोमवार का व्रत खुद मां पार्वती ने भी की थी।
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सोलह सोमवार व्रत कब से शुरू करें??
अगर आप सोलह सोमवारी व्रत रखना चाहते हैं तो ये कब शुरू कर सकते हैं तो इसका उत्तर है कि सावन माह से सोलह सोमवारी व्रत को रख सकते हैं । हालांकि कई मौके ऐसे आते हैं जब आप सावन महीने में इस व्रत नहीं रख पाते है तो ऐसे आपके लिए शुभ समय क्या होगा जब आप इस व्रत कर सकते हैं। आप इसे चैत्र, वैशाख, कार्तिक और मार्गशीर्ष के महीने में भी उठा सकते हैं। 16 सोमवारी का व्रत हमेशा इन महीनों के शुक्लपक्ष के पहले सोमवार से शुरू करना सबसे शुभ रहेगा।
सोलह सोमवार व्रत नियम
- इस व्रत का पहला नियम है कि व्रत करने वाले का हृदय शुद्ध और भक्ति भाव से भरा होना चाहि
- व्रत रखने वाले प्रातः काल सूर्योदय से पहले पहले उठकर स्नान करें। स्नान वाले पानी में थोड़े से काले तिल डाल लें।
- शिवलिंग में जल अभीषेक करें।।
- हर सोमवार को पुजा का समय एक ही रखें।
- अभिषेक करने के दौरान महामृत्युंजय का जाप करते रहें।।।
- 16 सोमवार के व्रत में प्रसाद पहले ही सोमवार को बना कर रख लें और इसे 16 सोमवार तक चलाएं। प्रसाद में कोई बदलाव नहीं करें।
सोलह सोमवार कथा
एक बार की बात है, एक गरीब ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे। वे भगवान शिव के परम भक्त थे। उनकी एकमात्र इच्छा पुत्र प्राप्त करने की थी। लेकिन, कई वर्षों के प्रयासों के बाद भी उन्हें संतान नहीं हुई।
एक दिन, वे एक संत से मिले। संत ने उनकी परेशानी सुनी और उन्हें सोलह सोमवार व्रत रखने की सलाह दी। संत ने बताया कि यह व्रत भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और इससे मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ब्राह्मण दंपत्ति ने बड़ी श्रद्धा से सोलह सोमवार व्रत रखा। प्रत्येक सोमवार को वे सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते, स्वच्छ वस्त्र पहनते और भगवान शिव की पूजा करते। वे व्रत रखते और शिव चालीसा का पाठ करते।
सोलह सोमवार व्रत पूर्ण होने पर, उनकी मनोकामना पूरी हुई और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। वे बहुत खुश हुए और भगवान शिव का अभाव प्रकट किया।
कथा का सार:
यह कथा एक गरीब ब्राह्मण और उसकी पत्नी की है जो भगवान शिव के भक्त थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। एक दिन, उन्हें एक संत मिले जिन्होंने उन्हें सोलह सोमवार व्रत रखने की सलाह दी। ब्राह्मण दंपत्ति ने श्रद्धापूर्वक व्रत रखा और भगवान शिव की पूजा की। व्रत पूर्ण होने पर, उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह कथा दर्शाती है कि सोलह सोमवार व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सोलह सोमवारी व्रत कथा कब सुनें
पहले आप भागवान शिव पुजन करें फिर ये कथा आप सुन सकते हैं। वैसे सोमवारी के व्रत रखने के बाद बस एक समय का भोजन करें।