New Pension System (UPS):नया पेंशन सिस्टम (यूपीएस): एनपीएस और ओपीएस से कितना अलग?

Shubhra Sharma
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New Pension System (UPS): भारत में पेंशन सिस्टम हमेशा से एक महत्वपूर्ण विषय रहा है, जो समय-समय पर चर्चा का केंद्र बनता रहा है। हाल ही में यूपीएस (नया पेंशन सिस्टम) की चर्चा जोरों पर है, जो एनपीएस (राष्ट्रीय पेंशन सिस्टम) और ओपीएस (पुराना पेंशन सिस्टम) से काफी अलग है। इस लेख में, हम इन तीनों पेंशन सिस्टम के बीच के अंतर और यूपीएस की जटिलताओं पर चर्चा करेंगे।

New Pension System (UPS)

पुराना पेंशन सिस्टम (ओपीएस):

ओपीएस एक समय में सरकारी कर्मचारियों के लिए एक आदर्श पेंशन सिस्टम माना जाता था। इसमें कर्मचारियों को उनकी सेवा के आखिरी महीने के बेसिक वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता था। इस पेंशन में महंगाई भत्ता (डीए) भी जोड़ा जाता था, जिससे पेंशन की राशि समय-समय पर बढ़ती रहती थी। ओपीएस में कर्मचारियों को अपने वेतन से कोई अंशदान नहीं करना पड़ता था; पेंशन पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्तपोषित होती थी।

New Pension System (UPS)

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ओपीएस के तहत, सरकार सभी पेंशनभोगियों को एक स्थिर और सुनिश्चित पेंशन प्रदान करती थी। इसके कारण पेंशनधारक को अपनी सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा की चिंता नहीं करनी पड़ती थी। ओपीएस में किसी भी प्रकार की निवेश योजना या बाजार जोखिम शामिल नहीं था, जिससे यह एक सुरक्षित पेंशन योजना मानी जाती थी।

राष्ट्रीय पेंशन सिस्टम (एनपीएस):

2004 में शुरू किया गया एनपीएस ओपीएस का एक आधुनिक संस्करण था। इसमें कर्मचारियों को अपने वेतन का 10% अंशदान करना पड़ता है, जबकि सरकार 14% का योगदान करती है। एनपीएस में पेंशन फंड को विभिन्न बाजार फंडों में निवेश किया जाता है, और पेंशन का निर्धारण इस निवेश पर मिलने वाले रिटर्न के आधार पर होता है। रिटायरमेंट के समय, कर्मचारी को कुल राशि का 60% एकमुश्त मिलता है, जबकि बाकी 40% राशि को पेंशन फंड में निवेश किया जाता है, जिससे कर्मचारी को मासिक पेंशन मिलती है।

हालांकि, एनपीएस में पेंशन राशि बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती है, जिससे यह एक निश्चित और स्थिर पेंशन नहीं होती। इससे एक बड़ा अंतर यह है कि एनपीएस में पेंशनधारक की पेंशन राशि पूरी तरह से निश्चित नहीं होती है और वह बाजार की स्थिति के अनुसार बदल सकती है। एनपीएस के तहत, कर्मचारी को पेंशन का हिस्सा स्वयं से योगदान करना होता है और इस योगदान का निवेश किस प्रकार से किया जाए, यह चुनने की स्वतंत्रता भी होती है। इस प्रकार, एनपीएस में एक निवेश योजना की तरह विविधता और जोखिम शामिल हैं।

नया पेंशन सिस्टम (यूपीएस):

अब बात करते हैं यूपीएस की, जो इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। यूपीएस में एनपीएस की तुलना में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, लेकिन इसके साथ ही कई जटिलताएँ भी जुड़ी हुई हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यूपीएस में भी कर्मचारियों को अपने वेतन का 10% अंशदान करना होगा, लेकिन सरकार का अंशदान 18.5% कर दिया गया है।

यूपीएस की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि रिटायरमेंट के समय कुल राशि का केवल 10% ही कर्मचारी को एकमुश्त मिलेगा, जबकि बाकी 90% राशि सरकार के पास रहेगी। यह एक बड़ा बदलाव है, जो कर्मचारियों के लिए चिंता का विषय बन सकता है, क्योंकि इससे उनके पास रिटायरमेंट के समय कम राशि होगी। यूपीएस में 10% का जो अंशदान कर्मचारी को करना होता है, वह एनपीएस की तरह जारी रहेगा, लेकिन सरकार का अंशदान अब 14% से बढ़कर 18.5% कर दिया गया है।

ग्रैच्युटी का गणित:

ओपीएस और एनपीएस की तुलना में यूपीएस में ग्रैच्युटी का गणित काफी अलग है। ओपीएस में, एक कर्मचारी को 35 साल की सेवा के बाद 25 लाख रुपये की ग्रैच्युटी मिलती थी। वहीं, यूपीएस में यह ग्रैच्युटी काफी कम हो जाती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी कर्मचारी की रिटायरमेंट के समय मासिक वेतन 1 लाख रुपये है, तो यूपीएस के तहत उसकी ग्रैच्युटी की गणना इस प्रकार की जाएगी:

  1. अंतिम महीने के वेतन का 10%: मान लें कि रिटायरमेंट के समय वेतन 1 लाख रुपये है, तो 10% होता है 10,000 रुपये।
  2. सेवा अवधि में कुल 6 महीने के टुकड़े: 35 साल की सेवा में कुल 70 छः महीनों के टुकड़े बनते हैं।
  3. टुकड़ों की संख्या से गुणा: 10,000 रुपये x 70 = 7 लाख रुपये।

इस प्रकार, 35 साल की सेवा के बाद ग्रैच्युटी 7 लाख रुपये होगी, जो ओपीएस की 25 लाख रुपये की ग्रैच्युटी से काफी कम है।

डीए के स्थान पर मुद्रास्फीति सूचकांक:

यूपीएस में डीए (महंगाई भत्ता) की जगह मुद्रास्फीति सूचकांक का उपयोग किया जाएगा। डीए की गणना पहले शिमला और फरीदाबाद में कीमतों के आधार पर होती थी, लेकिन अब यह मुद्रास्फीति सूचकांक पर आधारित होगा, जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) की तरह काम करेगा। इससे पेंशन में बढ़ोतरी सीधे मुद्रास्फीति के अनुसार होगी, न कि सरकार द्वारा निर्धारित डीए के अनुसार। इस बदलाव का मतलब है कि यूपीएस में पेंशन की राशि महंगाई के आधार पर स्वतः ही बढ़ती रहेगी, जिससे कर्मचारियों को महंगाई से सुरक्षा मिल सकेगी।

यूपीएस के लाभ और सीमाएं:

यूपीएस की सबसे बड़ी सीमा यह है कि इसमें रिटायरमेंट के समय मिलने वाली राशि काफी कम हो जाती है। ओपीएस और एनपीएस की तुलना में यूपीएस में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय एकमुश्त मिलने वाली राशि केवल 10% होगी, जो कर्मचारियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन सकती है। इसके अलावा, यूपीएस में ग्रैच्युटी की गणना भी ओपीएस की तुलना में काफी कम होती है, जिससे कर्मचारियों को अपने रिटायरमेंट के समय कम वित्तीय सुरक्षा मिलती है।

हालांकि, यूपीएस में सरकार का अंशदान 18.5% होने के कारण इसमें एनपीएस की तुलना में अधिक लाभ होता है। इसके अलावा, मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर पेंशन की राशि बढ़ने के कारण यह भी एक सकारात्मक पहलू है, जिससे पेंशनधारकों को महंगाई से सुरक्षा मिलती है।

नया खेल:

यूपीएस में 10% का जो अंशदान कर्मचारी को करना होता है, वह एनपीएस की तरह जारी रहेगा, लेकिन सरकार का अंशदान अब 14% से बढ़कर 18.5% कर दिया गया है। इसके साथ ही, रिटायरमेंट के समय कुल राशि का केवल 10% ही कर्मचारी को एकमुश्त मिलेगा, जबकि बाकी 90% राशि सरकार के पास रहेगी। यह एक बड़ा बदलाव है, जो कर्मचारियों के लिए चिंता का विषय बन सकता है, क्योंकि इससे उनके पास रिटायरमेंट के समय कम राशि होगी।

इस नए पेंशन सिस्टम में सरकार द्वारा किए गए अंशदान में बढ़ोतरी और मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर पेंशन की राशि में बढ़ोतरी, यूपीएस को एनपीएस से अलग बनाते हैं। हालांकि, इस नए पेंशन सिस्टम की जटिलताएं और इसके अंतर्गत मिलने वाली कम ग्रैच्युटी की राशि, इसे ओपीएस से कम आकर्षक बनाती हैं। कुल मिलाकर, यूपीएस एक नया पेंशन सिस्टम है जिसमें एनपीएस की तुलना में कुछ सुधार किए गए हैं, लेकिन यह ओपीएस की तुलना में अभी भी कम सुरक्षित और स्थिर है।

यूपीएस में दी गई संरचना और इसके तहत मिलने वाले लाभ और सीमाएं, इसे एनपीएस और ओपीएस के बीच का एक मिश्रण बनाते हैं। सरकार ने यूपीएस के तहत कुछ नए प्रावधान किए हैं जो कर्मचारियों के लिए लाभकारी हो सकते हैं, लेकिन इसके साथ ही कुछ सीमाएं भी हैं जो इसे ओपीएस की तुलना में कम सुरक्षित बनाती हैं। कर्मचारियों को अपने रिटायरमेंट के लिए इसे समझकर और इसकी जटिलताओं को ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए।

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