Mizoram Assembly Election 2023: पांच राज्यों में चुनाव है इसी करी में आज हम North East एक राज्य मिज़ोरम के बारे में चर्चा करेंगे कि इस बार यहां किसकी सरकार बने जा रहीं है क्योंकि अक्सर ही टीवी चैनलों में नार्थ ईस्ट को नजरंदाज कर दिया जाता है। यहां पर दो ही दलों में फ़ाइट नज़र आ रहा वो दल है कांग्रेस और मिजोरम के क्षेत्रीय पार्टी एमएनएफ है।
मिजोरम के राजनीति गणित
मिजोरम विधानसभा की 40 में से 39 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। प्रदेश की केवल एक सीट सामान्य है। एससी के लिए सूबे में कोई भी सीट आरक्षित नहीं है। करीब 9 लाख मतदाताओं वाले पूर्वोत्तर के इस राज्य में बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण है |बीजेपी जिस तेजी नार्थ ईस्ट में अपना वजूद बढ़ा रहीं है उसी करी में अब बीजेपी के नज़र मिजोरम पर भी है।
पिछले चुनाव के नतीजे
पिछले विधानसभा चुनाव चुनाव मिजोरम में क़रीब 75 प्रतिशत वोटिंग हुईं और पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पांच सीटें जीती, एमएनफ 26 सीटें ,बीजेपी 5 सीटें और अन्य 8 सीटें जीती यानी बीजेपी ज्यादा निर्दलीय ने मिजोरम में सीटें 2018 जीतीं है। ये परिस्थिति उस समय था जब नार्थ ईस्ट राज्यों बीजेपी प्रति लोगों में विश्वास धीरे-धीरे बढ़ रहा था लेकिन अब जिस प्रकार परिस्थिति मणिपुर में बन गया उसके बाद नार्थ ईस्ट लोगों में बीजेपी प्रति विश्वास कम हुआ है।
वोट प्रतिशत के नजरिए से
वोट प्रतिशत पर जब आप नज़र रखिए गा तब आपको ज्यादा फर्क कांग्रेस -बिजेपी के बीच नज़र नहीं आएगा। बस लगभग 7 प्रतिशत वोटों का अंतर दोनों के बीच नज़र आ रहा है। लेकिन यहीं बात जब आप सीटों देखेगे तो क़रीब 21 सीटों का नज़र आएगा।
मिजोरम में ग़रीबी और बेरोज़गारी
मिजोरम में पिछले पांच साल में बेरोज़गारी दर में कोई कमी नहीं आई , केन्द्र सरकार के डाटा अनुसार मिजोरम में बेरोज़गारी दर राष्ट्रीय बेरोज़गारी दर से भी ज्यादा है। मिजोरम में युवा बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर है आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण जुलाई 2022 से जून 2023 के बीच आयोजित किया गया। पुरुषों में युवा बेरोजगारी दर 8.9 प्रतिशत है, जबकि महिलाओं में यह आंकड़ा 16.4 प्रतिशत है। मिजोरम में ग़रीबी हालात दयनीय है, एक सर्वे अनुसार मिजोरम में 56,584 परिवार गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। इस बात से आप आसानी से समझ सकते हैं कि मिजोरम में ग़रीबी का क्या हालात हैं।
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मिजोरम के चुनावी मुद्दे
मिजोरम में भी देश के बाक़ी हिस्सों के तरह सड़क और विकास चुनावी मुद्दे हैं। इसके अलावा मिजोरम में सड़कों के हालात काफी दयनीय है , इस पर आगे जिसका सरकार बनेगा उसे ध्यान देना चाहिए। मिजोरम में म्यांमार के शरणार्थियों के संकट गुज़र रहा है।
मिजोरम में सबसे ज्यादा सड़क हादसा
मिजोरम में देश में सबसे ज्यादा सड़क हादसा भी होता है, दुर्घटनाएं-2022’ की वार्षिक रिपोर्ट सामने आई है। देश में कुल मिलाकर हर दिन 1,264 दुर्घटनाएं और 462 मौतें होती हैं या हर घंटे 53 दुर्घटनाएं और 19 मौतें होती हैं। मिजोरम में दुर्घटनाओं में 2021 में 56 लोगों की मौत हुई, जो 2022 में 113 हो गई, जिसमें 101.79% की वृद्धि दर्ज की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि 57 लोगों की मौत ओवरस्पीडिंग के कारण हुई, 13 की मौत नशे में गाड़ी चलाने के कारण हुई,9 की मौत गाड़ी चलाने के कारण हुई और बाकी की मौत अन्य कारणों से हुईं। ये विषय भी मिजोरम में बड़ा चुनावी मुद्दा है।
मिजोरम में भाजपा एमएनएफ का गठबंधन में या फिर नहीं है ये समझना काफी कठिन है क्योंकि एमएनएफ कई बार खुलकर कह चुका है कि वो एनडीए में लेकिन वहीं एमएनएफ जब संसद में सरकार के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव आता है तो सरकार के खिलाफ वोट करता है। एमएनएफ तरफ़ से ये कहा जाता है कि हम केन्द्र सरकार के हर फैसले से सहमत नहीं हो सकते और एनडीए में लेकिन CAA का विरोध करते हैं जिसके बाद बीजेपी ने सरकार राज्य में गिराने का चेतावनी दे दिया था।
कांग्रेस ने कहा एमएनएफ
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा,“जेपी नड्डा और नितिन गडकरी अब मिजोरम में अपने सहयोगी एमएनएफ में खामियां ढूंढ रहे हैं जो कि एनडीए का हिस्सा है । यह सरासर पाखंड है! वे पिछले 5 वर्षों में एमएनएफ के गैर-प्रदर्शन और भ्रष्टाचार को सहते रहे, और अब गलतियाँ ढूंढ रहे हैं। पिछले साल मेघालय में चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह ने अपने सहयोगी कॉनराड संगमा की सरकार को देश की सबसे भ्रष्ट सरकार कहा था और बाद में उनका समर्थन भी किया था। इस तरह से बीजेपी क्षेत्रीय पार्टियों का (गलत) इस्तेमाल करती है।’ यह पूर्वोत्तर के लोग हैं जो पीड़ित हैं। यह स्पष्ट कर दें – मिजोरम में जेडपीएम और एमएनएफ के लिए वोट वास्तव में भाजपा के लिए वोट है। सीधे शब्दों कहे तो कांग्रेस कह रहीं हैं कि बीजेपी क्षेत्रीय दलों के ग़लत इस्तेमाल करती हैं चुनाव समय तो सबसे भ्रष्टाचारी घोषित कर देती लेकिन वहीं बीजेपी चुनाव के बाद सत्ता किसी को भी गले लगाने को तैयार रहतीं हैं।
बीजेपी बनेंगी किंग मेकर
भाजपा के नेता नुमल मोमिन (Numal Momin) ने कहा कि राज्य में सात नवंबर को होने वाले चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन करेगी और छह से आठ सीटों पर जीत दर्ज करेगी। उन्होंने कहा कि मिजोरम विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर इस बार बढ़कर 15 प्रतिशत तक हो जाएगा। पूर्वोत्तर राज्य में भाजपा के स्टार प्रचारक और असम विधानसभा के उपाध्यक्ष मोमिन ने कहा कि एमएनएफ, जेडपीएम और कांग्रेस के कई नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य के कई नेता मौजूदा सरकार से नाराज चल रहे हैं। मोमिन ने कहा कि पार्टी इस बार राज्य की 23 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और छह से आठ सीटों पर जीत दर्ज करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य की आगामी सरकार में भाजपा किंगमेकर की भूमिका निभाएगी। सीधे शब्दों कहे भाजपा इस बार चुनाव में किंग बनें स्थान पर किंग मेकर बनें के चाह रख रहीं हैं भाजपा 40 में से बस 23 सीटों पर चुनाव लड़ रहीं हैं।
लेकिन सुत्रो के मानें तो बीजेपी और एमएनएफ के बीच गठबंधन है, जिन सीटों पर एमएनएफ जीत कठिन उन्हीं सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ रहीं है यानी बीजेपी प्रत्यक्ष तौर पर नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष तौर एमएनएफ के साथ गठबंधन है। लेकिन वहीं केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू कहां भाजपा के बिना यहां किसी का सरकार नहीं बनेंगी सीधे शब्दों कहे तो इस बार बीजेपी यहां किंग मेकर का भुमिका निभाना चाहती है। रिजिजू ने यहां तक कह दिया कि भले वो राज्य में कम सीटों पर चुनाव लड़ रहें लेकिन उन्होंने जीतने वाले उम्मीदवारो को मैदान में उतारे हैं। इसलिए उन्होंने विश्वास है कि इस बार अच्छे नतीजे आएंगे।
इस बार किसका सरकार??
मिजोरम में इस किसकी सरकार बन रहीं सबसे पहले आपको बता दें कि मिजोरम में इस बार त्रिकोणीय मुकाबले देखने को मिलेगा। कांग्रेस, एमएनएफ और जेडपीएम के बीच इन्हीं तीनों दलों में से कोई एक नेता मिजोरम अगले मुख्यमंत्री होंगे यहां पर एक बात गौर करने वाली है कि इस बार सत्ता जो दल है यानी एमएनएफ प्रति जनता में नाराजगी है इस कारण से यहां पर सियासत पलट सकतीं हैं। लेकिन यहां मौजूदा सीएम जोरमथांगा की बहुसंख्यक मिजो समुदाय में पकड़ अब भी कायम है इसी कारण से एमएनएफ के फिर से सत्ता में वापसी संभलना ज्यादा लग रहा है उधर हो सकता है कि कुछ सीटें कम पड़ जाएं और बीजेपी के सीटों संख्या बढ़ जाएं तो फिर से एमएनएफ एनडीए में शामिल हो जाएं यहां पर कांग्रेस भी कमजोर नहीं है और लगातर ऐसे खबरे सामने आ रही है कि एमएनएफ विरूद्ध जनता में लहर चल रहा है लेकिन यहां पर एमएनएफ के लिए यहीं खुशी बात हो सकती है कि सीएम जोरमथांगा की बहुसंख्यक मिजो समुदाय का समर्थन में हैं। हमारा अनुमान यहीं कहता है कि कांटे टक्कर देखने को मिल सकता है लेकिन यहां पर एक बार फिर से एमएनएफ सरकार बना लेगी लेकिन कुछ सीटें ऐसे भी हैं कि जहां पर अंतिम पलों में कहानी पलट सकती है और ऐसे सीटों संख्या 10 से 12 है। मिजोरम में 7 वोटिंग हैं और 3 दिसंबर को मतगणना हो गया जाएगा ।।