Dilip Ghosh Wedding News पश्चिम बंगाल ( West Bengal) की राजनीति का एक जाना-पहचाना चेहरा, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष इन दिनों सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह चुनाव, बयानबाज़ी या विरोध नहीं, बल्कि उनकी शादी है। जी हां, 60 साल की उम्र में पहली बार उन्होंने शादी की है – और वो भी किसी दबाव में नहीं, बल्कि अपनी मां की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए।

Dilip Ghosh Wedding News
अगर मैं नहीं रहूंगी, तो तुम्हारी देखभाल कौन करेगा?
ये एक मां के दिल से निकले शब्द थे, जो उनके बेटे – दिलीप घोष के दिल को छू गए। उम्र के उस पड़ाव पर, जहाँ ज़्यादातर लोग अपने बच्चों की शादी की चिंता करते हैं, वहाँ घोष जी ने खुद विवाह का फैसला लिया – सिर्फ इसलिए क्योंकि उनकी मां चाहती थीं कि उनका बेटा अकेला न रहे।
यह शादी एक बेटे का अपनी मां से किया गया सच्चा वादा है।
बिहार के 23 जिलों में बारिश, तेज हवाएं और बिजली गिरने की चेतावनी जारी
दिलीप घोष बताते हैं कि उनकी मां लंबे समय से चाहती थीं कि बेटा शादी करे। मां का कहना था- “अगर मैं नहीं रहूंगी, तो तुम्हारी देखभाल कौन करेगा?” यही बात दिलीप घोष के दिल को
असल में दिलीप घोष अबतक विवाह नहीं किए हैं।
घर के आंगन में रची सादगी भरी शादी
न कोई बड़ी-बड़ी लाइटें, न मीडिया का हल्ला-गुल्ला – बस अपनों का साथ और एक सरल सा आयोजन। दिलीप घोष ने कोलकाता के न्यू टाउन स्थित अपने निवास पर बेहद सादगी से शादी रचाई। परिवार के कुछ करीबी लोग, कुछ पुराने साथी – और एक नई शुरुआत। यह शादी भले ही आम शादियों जैसी चकाचौंध से दूर रही हो, लेकिन भावनाओं की गर्माहट ने इसे खास बना दिया।
दुल्हन रिंकू मजूमदार – एक साथी, एक सहयोगी
रिंकू मजूमदार कोई अजनबी नहीं हैं। वो खुद भी बीजेपी की सक्रिय कार्यकर्ता रही हैं। ज़िंदगी ने उन्हें पहले ही कई मोड़ दिखाए – तलाकशुदा होने के बावजूद उन्होंने खुद को मजबूत बनाए रखा और राजनीतिक कार्यों में खुद को समर्पित किया।
दिलीप घोष और रिंकू की पहली मुलाकात 2021 में हुई थी, और धीरे-धीरे एक सहज मित्रता ने गहरी समझदारी का रूप ले लिया।
ये शादी सिर्फ दो लोगों की नहीं, बल्कि दो जीवन यात्राओं का संगम है – जिनमें समझ है, अपनापन है और परिपक्वता भी।
राजनीति से भावनाओं तक – दिलीप घोष का सफर
- 1984 में RSS से जुड़े और यहीं से सेवा का सिलसिला शुरू हुआ।
- 2015 में BJP बंगाल के अध्यक्ष बने और 2020 तक पार्टी को मजबूत किया।
- 2019 में मिदनापुर से सांसद बने और बीजेपी को बंगाल में नई ऊंचाई दिलवाई।
- 2024 के लोकसभा चुनाव में भले ही हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन उनका प्रभाव आज भी कायम है।