NDA seat sharing Bihar: बिहार के राजनीति में कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जो हर चुनाव के बाद और भी चमकने लगते हैं। बिहार की धरती ने ऐसे कई सितारे दिए हैं। हालांकि उसी में एक चेहरा चिराग़ पासवान जैसा भी है जो अगर किसी गठबंधन के साथ हो तो उस गठबंधन के बड़ा जीत कारण बन जाएं वहीं अगर बगावत मुड में रहें तो उस गठबंधन के लिए बुरा सपना भी बन जाए।।
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पिछले तीन लोकसभा 100 प्रतिशत रिकॉर्ड
2024 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने अपनी सभी पांच सीटों पर जीत हासिल की, वह कोई संयोग नहीं था, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का परिणाम था। और ये पहली बार नहीं हुआ है। इस लेख में हम देखेंगे कि कैसे 2014 से 2024 तक चिराग़ पासवान NDA के “स्ट्राइकर” खिलाड़ी बनते चले गए।
रामविलास पासवान की विरासत
2014 में जब देश में नरेंद्र मोदी की लहर चल रही थी, तब रामविलास पासवान ने NDA में वापसी की और चिराग़ पासवान पहली बार चुनावी मैदान में उतरे। जमुई लोकसभा सीट से वे पहली बार सांसद बने और अपने राजनीतिक करियर की दमदार शुरुआत की।
LJP ने कुल 7 सीटों पर चुनाव लड़ा और 6 पर जीत दर्ज की।
जीत का स्ट्राइक रेट: 85% से ज़्यादा।
यह चिराग़ के लिए सीखने का समय था लेकिन उन्होंने उसी वक्त यह दिखा दिया कि वे केवल “पिता की विरासत” संभालने नहीं आए हैं, बल्कि उसे और ऊँचाई देने का इरादा रखते हैं।
जब NDA में चिराग़ की अहमियत बढ़ने लगी
2019 के लोकसभा चुनाव में चिराग़ पासवान ने LJP की कमान पूरी तरह अपने हाथ में ले ली। इस बार भी पार्टी ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा और सभी सीटें जीत लीं।
6 सीटें लड़ीं, 6 की 6 पर विजय।
जीत का स्ट्राइक रेट: 100%
NDA के लिए यह एक संकेत था कि चिराग़ केवल नेता नहीं, “परफॉर्मर” हैं। खासकर बिहार जैसे राज्य में जहाँ जातीय समीकरण, व्यक्तिगत लोकप्रियता और गठबंधन की रणनीति मिलकर ही जीत दिलाती है।
विधानसभा चुनाव में चिराग़ की बगावत
यह चिराग़ पासवान की सबसे साहसिक और शायद सबसे “रिस्की” राजनीतिक चाल थी। उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और JDU को हराने का ऐलान कर दिया।
उन्होंने NDA से अलग होकर अपने उम्मीदवार खड़े किए।
जदयू को भारी नुकसान हुआ — कई सीटें हार गई।
हालांकि LJP को ज्यादा सीटें नहीं मिलीं, पर चिराग़ “किंगमेकर” नहीं, किंग ब्रेकर” बनकर उभरे।
NDA का स्ट्राइकर
2024 के लोकसभा चुनाव में चिराग़ पासवान की पार्टी LJP (रामविलास) को NDA में शामिल किया गया। उन्हें 5 सीटें दी गईं — और उन्होंने उन 5 की 5 सीटें जीत लीं।
जीत की रणनीति: वे सिर्फ उन्हीं सीटों पर लड़े जहाँ उनका जनाधार मजबूत था।
चिराग़ को “100% स्ट्राइक रेट” वाले खिलाड़ी के रूप में देखा जा रहा है।
अब जब 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव आने वाले हैं, सूत्रों के मुताबिक चिराग़ 20 से कम सीटों पर ही लड़ने की योजना बना रहे हैं — लेकिन शर्त वही है: सिर्फ वही सीट जहाँ जीत की गारंटी हो।
हालांकि नीतीश कुमार से चिराग़ पासवान मुलाकात के बाद स्पष्ट हो चुका है कि चिराग़ को अपनी पसंद के सीटें मिल चुका है और इसलिए चिराग़ पासवान खुलकर कह रहे हैं कि अब सीएम पद के लिए कोई वैकेंसी नहीं है तो समझ जाएं कि नीतीश – चिराग़ का डील फाइनल हो चुका है।।