Assembly Election2023:भाजपा ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के रणभूमि के ऐलान होने से पहले ही उन दोनों राज्यों में अपने उम्मीदवार को ऐलान कर दिया है। आखिर इसके पीछे भाजपा का क्या फॉर्मूला उसे हम समझने का प्रयास करेंगे। क्योंकि भाजपा में कोई भी निर्णय बिना किसी प्लान का नहीं लिया जाता है। असल में भाजपा ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में मिलें हार से एक बड़ा सीख तौर पर लिया क्योंकि इन दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार का बड़ा कारण भाजपा में ही बगावत था अब हम उन तीन कारणों का बात करते हैं जो कि इतनी जल्दबाजी उम्मीदवार तय करने के भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को मजबुर कर दिया।
Assembly Election2023
पहला कारण बगावत डर
पहला हिमाचल चुनाव में आखिर में उम्मीदवार तय किए, तो कई उम्मीदवार बागी हो गए, यहां अभी से प्रत्याशी तय होंगे, उन्हें प्रचार करने का समय मिलेगा, बगावत की बात हुई तो उसे शांत करने का काफी वक्त मिलेगा।
दूसरा- कांग्रेस की तैयारी लेट लतीफ शुरू होती है,
विपक्ष संसद में भी लेट-लतीफ है, ऐसे में मोदी कहना चाहते हैं कि बीजेपी हर वक्त चुनाव के लिए तैयार रहती है और इन दोनों राज्यों में कड़ी टक्कर है, इसलिए कांग्रेस को यहीं मात देंगे और 2024 से पहले ही कांग्रेस को और कमजोर कर देंगे।
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मोदी के चेहरे पर चुनाव जीतने की जो परंपरा
तीसरा- मोदी के चेहरे पर चुनाव जीतने की जो परंपरा बीजेपी में रही है, जो कार्यकर्ता सुस्त हुए पड़े हैं, उन्हें थोड़ा एक्टिव किया जाए. हर प्रत्याशी अपने क्षेत्र में जाए, घूमे, समस्याएं समझे, 5 महीने में पूरी तैयारी करे और फिर चुनाव में उतरे, ताकि बड़ी जीत हासिल हो सके। जब से मोदी आए तो प्रत्यासी बड़े ही आराम से रहते हैं और मोदी का इंतजार करते हैं कि वो आएंगे और पुरे चुनाव को ही पलट देंगे लेकिन ऐसा पिछले कुछ विधानसभा चुनाव में देखने को नहीं मिला है।
इस से आप समझ सकते हैं कि मोदी मैजिक अब विधानसभा चुनाव से धीरे धीरे समाप्त हो रहा है। हाल में संघ एक सर्वे में ये पता चला है कि 2024 लोकसभा चुनाव में केवल मोदी नाम से नहीं जीता जा सकता है क्योंकि ग्रामीण भारत में महंगाई भी बड़ा मुद्दा बन गया है।
इस बार जातिगत समीकरण
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए घोषित प्रत्याशी के विश्लेषण से मालूम चलता है कि पार्टी इस बार जाति समीकरणों पर भरपूर दांव लगा रही है और कई ओबीसी चेहरे को चुनावी मैदान में उतारा गया है। मध्य प्रदेश के 39 उम्मीदवारों में से 13 ओबीसी के हैं। इसके अलावा 13 एससी और आठ एसटी हैं। छत्तीसगढ़ में 21 उम्मीदवारों में से एक को छोड़कर कोई सामान्य जाति से नहीं है। बीजेपी की पहली लिस्ट में 12 उम्मीदवार जनजातीय समुदाय से हैं, जिनमें से दो को सामान्य सीटों से, एक एससी, सात ओबीसी और एक सामान्य सीट से टिकट दिया गया है। सीधे शब्दों कहे तो इस बार भाजपा दोनों राज्यों में जातिगत समीकरण पर भी दांव खेल रही है।
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छत्तीसगढ़ में भाजपा सारे प्रत्यासी एक झटके में बदल दिया
छत्तीसगढ़ में भाजपा ने सभी प्रत्याशी को एक झटके बदल दिया, बस एक को छोड़कर जिसकी सीट बदल दी गई है। कई नए प्रत्यासी जिला पंचायत सदस्य हैं। कुछ प्रत्यासी ऐसे हैं जो कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के वफादार माने जाते हैं। इससे भाजपा ने एक स्पष्ट संदेश दे दिया कि आगे छत्तीसगढ़ में भाजपा का सरकार बनता है तो भाजपा के मुख्यमंत्री के चेहरे रमन सिंह रहेंगे।भाजपा सुत्रो के मानें तो भाजपा तेलंगाना के लिए भी प्रत्यासी की घोषणा जल्द-से-जल्द कर सकती है||वहीं भाजपा के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो ये कहा जा रहा है कि जिन राज्यों में भाजपा का सरकार नहीं है उन राज्यों में भाजपा लोकसभा सीटों ऐलान भी इस साल के अंत या फिर अगले साल जनवरी में कर सकता है।