Delhi Election Avadh Ojha Nomination: दिल्ली विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है। 5 फरवरी को मतदान होगा और 8 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे। यूपीएससी के मशहूर शिक्षक अवध ओझा ने राजनीति में कदम रखते हुए पटपड़गंज विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हालांकि, उनके चुनाव लड़ने पर अब सवाल खड़े हो गए हैं, क्योंकि उनका वोट अभी तक दिल्ली में ट्रांसफर नहीं हुआ है। इसी कारण उनका नामांकन रद्द होने की आशंका बनी हुई है।
क्या है अवध ओझा की समस्या?
अवध ओझा का वोट ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश) में दर्ज है। दिल्ली में चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने अपने वोट को दिल्ली में ट्रांसफर करने के लिए 7 जनवरी को फॉर्म जमा किया। लेकिन चुनाव आयोग ने वोट ट्रांसफर के लिए फॉर्म जमा करने की अंतिम तारीख 6 जनवरी निर्धारित की थी। यानी, अवध ओझा निर्धारित समय सीमा के भीतर अपना वोट ट्रांसफर नहीं करवा सके। अगर उनका वोट दिल्ली में ट्रांसफर नहीं होता, तो चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, वह दिल्ली विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ सकते।
वोट ट्रांसफर: अवध ओझा का नामांकन क्यों हो सकता है रद्द?
वोट ट्रांसफर क्या है?
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, किसी राज्य के विधानसभा चुनाव में वही व्यक्ति उम्मीदवार हो सकता है, जिसका नाम उस राज्य की वोटर लिस्ट में दर्ज हो। इसका मतलब है कि उम्मीदवार का वोट उसी राज्य में होना चाहिए, जहां से वह चुनाव लड़ना चाहता है।
वोट ट्रांसफर की प्रक्रिया में:
1. व्यक्ति अपने पुराने पते के आधार पर वोट को कटवाता है।
2. नए पते पर वोट ट्रांसफर के लिए आवेदन करता है।
3. नए पते पर वोट ट्रांसफर होने के बाद, नया वोटर कार्ड जारी होता है।
अवध ओझा का वोट अभी उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में दर्ज है। अगर इसे दिल्ली में ट्रांसफर नहीं किया गया, तो वह पटपड़गंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के योग्य नहीं माने जाएंगे।
नामांकन रद्द होने का खतरा
अगर वोट ट्रांसफर समय पर पूरा नहीं होता, तो चुनाव आयोग अवध ओझा का नामांकन रद्द कर सकता है। यह मामला बताता है कि चुनाव प्रक्रिया में नियमों और समय सीमा का पालन कितना महत्वपूर्ण है।