बेरोजगार युवकों को हर महीने 1 हजार, नीतीश कुमार का नया दांव – क्या बदलेगा बिहार चुनावी समीकरण?

Shubhra Sharma
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बिहार की राजनीति में इस समय सबसे चर्चित मुद्दा है – बेरोजगारी और युवाओं का भविष्य। प्रदेश में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बेरोजगार युवाओं को बड़ा तोहफ़ा देकर सियासी हलचल तेज कर दी है। उन्होंने ऐलान किया है कि अब स्नातक (ग्रेजुएट) पास बेरोजगार युवक-युवतियों को भी ‘मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना’ के तहत हर महीने 1,000 रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी। यह योजना पहले केवल इंटर पास युवाओं तक सीमित थी, लेकिन अब इसे विस्तार देते हुए ग्रेजुएट युवाओं को भी शामिल कर लिया गया है।

नीतीश कुमार का नया ऐलान

मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कहा कि, “राज्य सरकार के सात निश्चय कार्यक्रम के अंतर्गत संचालित मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना का विस्तार किया गया है। अब इंटर पास युवाओं के साथ-साथ कला, विज्ञान और वाणिज्य में स्नातक उत्तीर्ण बेरोजगार युवाओं को भी इस योजना का लाभ मिलेगा।”

इसके तहत 20 से 25 वर्ष आयु वर्ग के वे युवा, जो स्नातक पास हैं लेकिन न तो आगे पढ़ाई कर रहे हैं, न नौकरी कर रहे हैं और न ही किसी प्रकार के स्वरोजगार से जुड़े हैं, उन्हें 1,000 रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता अधिकतम दो वर्षों तक दी जाएगी।

किन्हें मिलेगा फायदा?

नीतीश कुमार की इस घोषणा का लाभ उन युवाओं को मिलेगा जो:

  • 20 से 25 वर्ष की उम्र के बीच हैं।

  • स्नातक (ग्रेजुएशन) उत्तीर्ण हैं।

  • कहीं अध्ययनरत (स्टूडेंट) नहीं हैं।

  • किसी सरकारी/निजी नौकरी या स्वरोजगार से जुड़े नहीं हैं।

  • नौकरी या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि यह राशि युवा वर्ग को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और कौशल विकास में मदद करेगी, जिससे वे भविष्य में रोजगार पाने में सक्षम होंगे।

नीतीश कुमार का चुनावी दांव

बिहार में बेरोजगारी लंबे समय से सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है। विपक्ष लगातार सरकार पर हमला करता आया है कि राज्य में नौकरी के अवसर बेहद कम हैं। ऐसे में नीतीश कुमार का यह कदम सीधे तौर पर बेरोजगार युवाओं को साधने की कोशिश है।

तेजस्वी यादव ने हमेशा दावा किया है कि नीतीश कुमार उनकी योजनाओं की नकल करते हैं। उन्होंने चुनावी वादे के तौर पर 10 लाख नौकरी देने की घोषणा की थी। अब नीतीश का यह नया ऐलान विपक्ष के लिए चुनौती बन सकता है, क्योंकि यह सीधे-सीधे उन लाखों युवाओं तक पहुंचता है जो रोजगार की तलाश में हैं।

युवाओं को क्या मिलेगा लाभ?

आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं के लिए 1,000 रुपये प्रतिमाह छोटी रकम नहीं है। यह राशि प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबें खरीदने, ट्रेनिंग लेने और कोचिंग फीस में मददगार साबित हो सकती है। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों के युवाओं के लिए यह आर्थिक सहयोग आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम है।

लेकिन सवाल यह भी है कि क्या यह राशि लंबे समय तक बेरोजगारी की समस्या का समाधान है? बिहार में हर साल लाखों छात्र स्नातक पास करते हैं। यदि रोजगार के अवसर पर्याप्त नहीं बढ़ाए गए तो यह योजना सिर्फ चुनावी रणनीति बनकर रह सकती है।

सात निश्चय कार्यक्रम से जोड़ने की कोशिश

नीतीश कुमार की राजनीति में “सात निश्चय कार्यक्रम” एक महत्वपूर्ण ब्रांड बन चुका है। चाहे वह युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट हो, महिलाओं के लिए आरक्षण हो या फिर हर घर नल का जल योजना। इसी कड़ी में बेरोजगार युवाओं को भत्ता योजना को भी सात निश्चय के विस्तार के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।

विपक्ष की नजर और युवाओं की उम्मीद

अब सबकी नजर इस पर टिकी है कि तेजस्वी यादव और विपक्ष इस घोषणा पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं। विपक्ष पहले ही नीतीश सरकार पर यह आरोप लगाता आया है कि उन्होंने रोजगार सृजन के लिए ठोस कदम नहीं उठाए। ऐसे में बेरोजगार भत्ता योजना को लेकर निश्चित रूप से राजनीतिक बयानबाज़ी तेज होगी।

दूसरी ओर, युवाओं में इस योजना को लेकर उम्मीदें बढ़ी हैं। जिन छात्रों ने स्नातक पास किया है और जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें यह मदद राहत का काम करेगी।

क्या बदलेगा चुनावी समीकरण?

बिहार चुनाव 2025 से पहले युवाओं को साधने की यह कोशिश नीतीश कुमार के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है।

  • एक ओर इससे लाखों बेरोजगार युवाओं को सीधे आर्थिक सहयोग मिलेगा।

  • दूसरी ओर यह संदेश जाएगा कि सरकार युवाओं को लेकर संवेदनशील है।

  • खासकर उन परिवारों में जहां आर्थिक स्थिति कमजोर है, वहां इस योजना का असर वोटों पर सीधा दिख सकता है।

हालांकि, यह भी सच है कि बिहार की जनता अब सिर्फ योजनाओं और घोषणाओं से संतुष्ट नहीं होती। उन्हें वास्तविक रोजगार और स्थायी समाधान चाहिए। ऐसे में नीतीश कुमार की यह योजना चुनावी समीकरण को प्रभावित तो करेगी, लेकिन अंतिम फैसला जनता के भरोसे और रोजगार के वास्तविक अवसरों पर निर्भर करेगा।

निष्कर्ष

नीतीश कुमार का बेरोजगार स्नातकों को 1,000 रुपये प्रतिमाह देने का निर्णय एक बड़ा राजनीतिक कदम है। यह कदम उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बना सकता है और चुनावी समीकरण को बदलने की क्षमता रखता है। लेकिन लंबे समय में बिहार की बेरोजगारी की समस्या का हल केवल भत्ता योजना से संभव नहीं है। स्थायी रोजगार, निजी निवेश और औद्योगिक विकास ही वह रास्ता है जो बिहार के युवाओं को आत्मनिर्भर और राज्य को विकसित बना सकता है।

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