तेजस्वी यादव की ‘बिहार अधिकार यात्रा’: चुनाव से पहले विपक्षी रणनीति की बड़ी शुरुआत

Shubhra Sharma
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बिहार में विधानसभा चुनाव का माहौल धीरे-धीरे गरमाने लगा है। चुनाव कार्यक्रम के आधिकारिक ऐलान से पहले ही सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को जमीन पर उतारने में जुट गए हैं। विपक्षी महागठबंधन भी लगातार सक्रिय है। इसी क्रम में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव एक बार फिर से जनसंपर्क यात्रा पर निकलने वाले हैं। आरजेडी ने इसका कार्यक्रम जारी करते हुए इस यात्रा को नाम दिया है— “बिहार अधिकार यात्रा”

16 सितंबर से होगी यात्रा की शुरुआत

आरजेडी के अनुसार, तेजस्वी यादव की यह यात्रा 16 सितंबर 2025 को जहानाबाद से शुरू होगी। पांच दिनों तक चलने वाली इस यात्रा का समापन 20 सितंबर को वैशाली जिले में किया जाएगा। इस दौरान तेजस्वी यादव कुल 10 जिलों से होकर गुजरेंगे और हर जिले में एक स्थान पर बड़े जनसंवाद का आयोजन होगा।

किन जिलों से गुजरेगी यात्रा?

तेजस्वी यादव की यह यात्रा चुनावी दृष्टिकोण से बेहद अहम मानी जा रही है। कार्यक्रम के अनुसार, यह यात्रा जिन जिलों से होकर गुजरेगी, उनमें जहानाबाद, नालंदा, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, समस्तीपुर और वैशाली शामिल हैं। ये सभी जिले न सिर्फ राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं बल्कि चुनावी गणित को भी प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

आरजेडी का आह्वान

आरजेडी की प्रदेश इकाई के प्रधान महासचिव रणविजय साहू ने यात्रा से जुड़े सभी जिलों के अध्यक्षों, जिला प्रभारियों, निर्वाचित जनप्रतिनिधियों और अन्य पदाधिकारियों को पत्र भेजा है। इस पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि यात्रा के दौरान जिस भी विधानसभा क्षेत्र से काफिला गुजरेगा, वहां सिर्फ एक स्थान पर जनसंवाद का आयोजन होगा। सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे पूर्व निर्धारित स्थल पर एकजुट होकर यात्रा का हिस्सा बनें और उसे सफल बनाएं।

इसके अलावा, पार्टी ने अपने सांसदों, पूर्व सांसदों, विधायकों, पूर्व विधायकों, पार्षदों और विभिन्न प्रकोष्ठों के पदाधिकारियों से भी अपील की है कि वे पूरी ताकत के साथ इस यात्रा को सफल बनाने में सहयोग दें।

राजनीतिक संदेश और रणनीति

बिहार की राजनीति में यात्राओं का अपना अलग महत्व रहा है। लालू प्रसाद यादव से लेकर नीतीश कुमार तक, कई नेताओं ने यात्राओं के जरिये जनसमर्थन जुटाने की कोशिश की है। तेजस्वी यादव भी इसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। इससे पहले राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने महागठबंधन के अन्य नेताओं के साथ सासाराम से पटना तक ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकाली थी। अब ‘बिहार अधिकार यात्रा’ के जरिए विपक्षी गठबंधन सीधे जनता तक अपनी बात पहुंचाना चाहता है।

सीट शेयरिंग की पेचीदगियां और नई पहल

महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर लगातार चर्चा चल रही थी। माना जा रहा था कि जब तक सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं होता, तब तक तेजस्वी यादव यात्रा कार्यक्रम की घोषणा नहीं करेंगे। यही वजह रही कि लंबे समय तक इस यात्रा को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रही। हालांकि, अब आरजेडी ने कार्यक्रम घोषित करके साफ संकेत दे दिया है कि सीट शेयरिंग पर बातचीत चलने के बावजूद जनता से सीधा जुड़ाव टाला नहीं जा सकता।

चुनावी महत्व

यह यात्रा चुनावी दृष्टि से इसलिए भी अहम है क्योंकि यह उन जिलों को कवर करेगी, जहां पिछली बार महागठबंधन की स्थिति मिश्रित रही थी। आरजेडी चाहती है कि इन इलाकों में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़े और जनता के बीच पार्टी की पकड़ मजबूत हो। तेजस्वी यादव की युवा छवि और उनके आक्रामक तेवर महागठबंधन को ऊर्जा देने का काम कर सकते हैं।

विपक्षी एकजुटता का संदेश

इस यात्रा का एक और बड़ा मकसद विपक्षी एकजुटता का प्रदर्शन करना है। आरजेडी चाहती है कि जनता के बीच यह संदेश जाए कि महागठबंधन सिर्फ राजनीतिक गठजोड़ नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य के लिए एकजुट संघर्ष है। यही वजह है कि इस यात्रा में स्थानीय नेताओं से लेकर बड़े चेहरे तक सबकी मौजूदगी सुनिश्चित की जा रही है।

निष्कर्ष

तेजस्वी यादव की ‘बिहार अधिकार यात्रा’ न सिर्फ चुनावी रणनीति का हिस्सा है, बल्कि यह जनता के बीच भरोसा कायम करने की कवायद भी है। चुनाव से पहले इस तरह की यात्राएं माहौल बनाने में मददगार साबित होती हैं। अब देखना यह होगा कि तेजस्वी यादव की यह पहल बिहार की सियासत में किस तरह का असर डालती है और महागठबंधन को कितना लाभ पहुंचाती है।

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