Shrawan 2024:श्रावण (सावन) 2024: तिथियां, महत्व, अनुष्ठान और सावन सोमवारी व्रत की पूरी जानकारी

Shubhra Sharma
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Shrawan 2024

Shrawan 2024: हिंदू धर्म में श्रावण मास (सावन) का विशेष महत्व है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और भक्तजन इस दौरान विशेष पूजा-अर्चना और व्रत करते हैं। 2024 में श्रावण मास का आरंभ 25 जुलाई को हो रहा है और इसका समापन 22 अगस्त को होगा। यह साल सावन मास के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि इसकी शुरुआत और समाप्ति दोनों ही सोमवार से हो रही है।

Shrawan 2024

श्रावण (सावन) 2024: कब से शुरू हो रहा है सावन का महीना?

सावन का महीना हिंदू कैलेंडर के अनुसार सबसे पवित्र महीनों में से एक है। 2024 में श्रावण मास की शुरुआत 25 जुलाई से हो रही है और यह 22 अगस्त को समाप्त होगा। इस महीने में विशेषकर भगवान शिव की पूजा का महत्व है।

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सावन के सोमवार (सावन सोमवारी) 2024: कितने होंगे सोमवार?

श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार का विशेष महत्व होता है, जिन्हें ‘सावन सोमवारी’ कहा जाता है। इस साल सावन में कुल चार सोमवार होंगे:

  1. 29 जुलाई
  2. 5 अगस्त
  3. 12 अगस्त
  4. 19 अगस्त

इन सोमवारी व्रतों को करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

सावन के महत्वपूर्ण दिन और तिथियां:

  • 22 जुलाई: सावन मास की शुरुआत, सर्वार्थ सिद्धि योग और आयुष्मान योग में
  • 26 जुलाई: मंगला गौरी व्रत
  • 2 अगस्त: सावन शिवरात्रि, गुरु प्रदोष व्रत
  • 4 अगस्त: मंगला गौरी व्रत
  • 11 अगस्त: मंगला गौरी व्रत
  • 17 अगस्त: नाग पंचमी
  • 19 अगस्त: सावन पूर्णिमा, शनि प्रदोष व्रत

श्रावण मास का महत्व

सावन का महीना धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दौरान भगवान शिव की उपासना विशेष रूप से की जाती है। यह माह प्रकृति और आध्यात्मिकता का संगम माना जाता है। भक्तजन मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र चढ़ाते हैं। यह महीना भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक भी है, जिसके कारण यह माह और भी पवित्र माना जाता है।

प्रमुख अनुष्ठान और परंपराएं

  1. सावन सोमवारी व्रत: श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को व्रत रखा जाता है। भक्त दिनभर उपवास रखते हैं और शाम को भगवान शिव की पूजा करते हैं। इस व्रत को रखने से जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
  2. कांवड़ यात्रा: श्रावण मास में कांवड़ यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें श्रद्धालु गंगाजल लेकर भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। यह यात्रा उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में बहुत प्रसिद्ध है।
  3. रुद्राभिषेक: इस अनुष्ठान में भगवान शिव का विशेष पूजन होता है, जिसमें रुद्र मंत्रों का जाप किया जाता है। रुद्राभिषेक से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
  4. जलाभिषेक: शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा है। श्रद्धालु नदियों से जल भरकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं, जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

सावधानियां और धार्मिक नियम

सावन मास के दौरान श्रद्धालुओं को कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए:

  1. सात्विक आहार: इस महीने में केवल सात्विक और शुद्ध आहार का सेवन करें।
  2. व्रत नियम: व्रत के दौरान किसी प्रकार का तामसिक आहार न लें और धार्मिक नियमों का पालन करें।
  3. शिवलिंग पर तामसिक वस्त्र न चढ़ाएं: भगवान शिव की पूजा में केवल सफेद या हल्के रंग के वस्त्रों का उपयोग करें।
  4. सच्ची श्रद्धा और भक्ति: भगवान शिव की पूजा में सच्ची श्रद्धा और भक्ति का होना अत्यंत आवश्यक है।

सावन के धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ

सावन मास में भगवान शिव की उपासना करने से अनेक धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं। इस महीने में की गई पूजा-अर्चना और व्रत का पुण्यफल अन्य महीनों की तुलना में अधिक मिलता है। भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है।

निष्कर्ष

सावन का महीना भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दौरान श्रद्धालु विशेष पूजा-अर्चना, व्रत और अनुष्ठान करते हैं। श्रावण मास के धार्मिक महत्व को समझते हुए सही विधि से पूजा करना चाहिए, ताकि भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे।

सावन का यह पवित्र महीना भक्तों के लिए भगवान शिव की असीम कृपा पाने का श्रेष्ठ अवसर है। धार्मिक अनुशासन और सच्ची भक्ति के साथ की गई पूजा-अर्चना अवश्य ही फलदायक होती है।

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