बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। इस बार महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) ने सीट बंटवारे के फार्मूले पर सहमति बना ली है। लंबे समय से चल रही खींचतान के बाद अंततः यह तय हुआ कि राजद, कांग्रेस, वाम दल और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) मिलकर भाजपा-एनडीए का मुकाबला करेंगे। इस फार्मूले को “136+52+34+20” के समीकरण के तौर पर पेश किया जा रहा है, जिससे गठबंधन की एकजुटता का स्पष्ट संदेश दिया जा सके।
राजद को सबसे बड़ा हिस्सा
महागठबंधन में राजद सबसे बड़ा दल है और वही चुनाव का मुख्य चेहरा भी। इसी कारण उसे सबसे अधिक सीटें दी गई हैं। फार्मूले के अनुसार राजद को लगभग 135-136 सीटें मिलने वाली हैं।
इनमें से कुछ सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और रालोजपा (पारस गुट) जैसे छोटे सहयोगियों को भी समर्पित की जाएंगी। तेजस्वी यादव की अगुवाई में राजद इस बार चुनावी रणनीति का नेतृत्व कर रहा है और उसके वोट बैंक की मजबूती को देखते हुए गठबंधन ने उसे सबसे बड़ा हिस्सा दिया है।
कांग्रेस का योगदान और त्याग
कांग्रेस महागठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। उसे इस बार 50-52 सीटें दिए जाने की संभावना है।
हालांकि कांग्रेस शुरू से अधिक हिस्सेदारी की मांग कर रही थी, लेकिन अंत में उसने “गठबंधन की मजबूती” को प्राथमिकता दी। माना जा रहा है कि कांग्रेस की कुछ सीटें वामदलों को ट्रांसफर भी हो सकती हैं। यह त्याग इसलिए किया गया ताकि गठबंधन के भीतर किसी प्रकार का असंतोष न रहे और सभी दल मैदान में मजबूती से उतरें।
वामदलों को विशेष स्थान
महागठबंधन में तीन प्रमुख वामदल—भाकपा माले (CPI-ML), भाकपा (CPI) और माकपा (CPM)—भी शामिल हैं। उन्हें मिलाकर लगभग 34 सीटें दिए जाने का अनुमान है।
वामदल कई इलाकों में मजबूत जमीनी पकड़ रखते हैं और गरीब-मजदूर वर्ग में उनकी पकड़ को देखते हुए यह माना जा रहा है कि वे भाजपा-एनडीए के खिलाफ निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। खासकर सीमांचल और कुछ उत्तरी जिलों में उनकी उपस्थिति गठबंधन के लिए फायदेमंद होगी।
मुकेश सहनी और VIP का रोल
विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी लंबे समय से 60 सीटों की मांग कर रहे थे। हालांकि सीट बंटवारे में उन्हें 18-20 सीटें ही मिलने की संभावना है।
सहनी ने भले ही शुरुआत में बड़ी हिस्सेदारी की जिद दिखाई, लेकिन बाद में उन्होंने गठबंधन की जीत को प्राथमिकता देते हुए समझौता किया। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि निषाद समाज में उनकी पकड़ गठबंधन के वोट समीकरण को संतुलन दे सकती है।
खींचतान से समझौते तक
सीट बंटवारे पर शुरू से ही काफी खींचतान दिख रही थी। कांग्रेस, VIP और वामदल सभी अपने-अपने प्रभाव क्षेत्रों के आधार पर अधिक सीटों की मांग कर रहे थे। वहीं राजद अपनी प्रमुख स्थिति के चलते ज्यादा से ज्यादा सीटें अपने पास रखना चाहता था।
लंबी बैठकों और गहन मंथन के बाद सभी दल इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि चुनाव जीतना ही असली लक्ष्य है, न कि केवल सीटों की संख्या बढ़ाना। इसी त्याग और सामंजस्य ने फार्मूले को अंतिम रूप दिया।
आधिकारिक घोषणा 15 सितंबर को
सूत्रों के अनुसार, महागठबंधन का यह फार्मूला 15 सितंबर को आधिकारिक रूप से घोषित किया जाएगा। यदि तब तक किसी तरह का आंतरिक द्वंद्व नहीं उभरता, तो यह स्पष्ट संदेश जाएगा कि विपक्ष एकजुट है और भाजपा-एनडीए के मुकाबले मजबूती से खड़ा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्षी एकता ही एनडीए के मजबूत संगठन और वोट बैंक को चुनौती दे सकती है।
निष्कर्ष
बिहार महागठबंधन ने सीट बंटवारे पर सहमति बनाकर यह दिखा दिया है कि विपक्ष में भी सामंजस्य और समझौते की क्षमता मौजूद है। “136+52+34+20” का यह फार्मूला केवल सीटों का गणित नहीं, बल्कि यह विपक्षी एकता का प्रतीक है।
अगर यह गठबंधन एकजुट रहकर चुनावी मैदान में उतरता है तो निश्चित ही बिहार की सियासत में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। अब सबकी निगाहें 15 सितंबर पर टिकी हैं, जब सीटों का आधिकारिक ऐलान होगा और तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी।

