Rakshabandhan 2025 – भाई बहन के रिश्ते को पवित्र बंधन से बांधने वाला अटूट पर रक्षाबंधन का त्यौहार अगस्त में मनाया जाएगा लेकिन इसकी तिथि को लेकर आम जनता में उलझन बनी हुई है। 8 या 9 अगस्त में से किस दिन रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त है आदि संबंधित जानकारी पर हमने संपूर्ण लेख तैयार किया है।

कावड़ यात्रा सावन में बिहार के यह पांच प्रमुख रूट रहते हैं सबसे ज्यादा व्यस्त, महादेव के दर्शन के लिए आते हैं भक्त!
Rakshabandhan 2025
इस मुहूर्त में बंधे अपने भाई को राखी, जन्मो जन्म तक बना रहेगा रिश्ता!
Rakshabandhan 2025 – हिंदू धर्म में भाई बहन के रिश्ते को सहज का रखने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार रक्षाबंधन माना जाता है। हालांकि यह पर्व इतना खास है कि इसे हर कोई मानता है। हालांकि रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया रहता है इसीलिए हर कोई इस साया में राखी बांधने से बचता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार और पंचांग की गणना के बाद रक्षाबंधन का त्यौहार इस साल 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। रक्षाबंधन का त्यौहार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इस साल श्रावण की पूर्णिमा तिथि 8 और 9 दोनों ही अगस्त को बताई जा रही है। श्रावण पूर्णिमा की शुरुआत 8 अगस्त को दोपहर 1:14 को शुरू होगी जो कि अगले दिन 9 अगस्त को 1:34 पर खत्म होगी तथा उदय तिथि के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार सावन पूर्णिमा के दिन 9 अगस्त 2025 को ही मनाया जाएगा।
यह रक्षाबंधन में भद्रा साय की बात करें तो यह 8 अगस्त को रात में ही समाप्त हो जाएगा इसलिए अगले दिन 9 अगस्त को बहाने अपने भाइयों को कलाई पर राखी बांध सकती है। 9 अगस्त 2025 को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह 5:30 बजे से लेकर दोपहर 1:24 तक रहेगा। वहीं रक्षाबंधन का अति उत्तम मुहूर्त दोपहर 12:00 बजे से लेकर 12:53 तक रहेगा। रक्षाबंधन के दिन प्रदोष काल में शाम 7:19 से रात 9:24 तक बहाने अपने भाइयों को राखी बांध सकती है।
रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व
रक्षाबंधन के पौराणिक महत्व की बात की जाए तो पौराणिक कथा के अनुसार इंद्रदेव की पत्नी शचि ने अपने पति की रक्षा के लिए वृत्तासुर को कलाई पर राखी बांधी थी ताकि वे युद्ध के दौरान इंद्रदेव की रक्षा कर सकें। पौराणिक काल में युद्ध शुरू होने से पहले युद्ध वीरों को मौली तथा रक्षा सूत्र बांधकर ही युद्ध के क्षेत्र में भेजा जाता था।
महाभारत पुराण के अनुसार राजसूय यज्ञ चल रहा था तब भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था तथा इसी उपलक्ष में उनके हाथ से खून बहने लग गया था जिसके बाद इसे देखकर तुरंत द्रौपदी ने अपनी साड़ी को फाड़ते हुए उसका टुकड़ा भगवान कृष्ण की उंगली पर बांध दिया तथा इसके बाद भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को आशीर्वाद दिया कि वह इस साड़ी का कर्ज़ आवश्यकता करेंगे तथा उनकी यह बात ठोस रूप में द्रोपदी के चीर हरण के वक्त सामने आई तथा द्रोपदी की साड़ी का आकार इतना बढ़ गया जिससे द्रौपदी की लाज बच गई तथा भगवान विष्णु ने द्रौपदी की रक्षा की। इसी कथा को याद करते हुए भी रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार मनाया जाता है।