पूर्णिया हवाई अड्डा बना बिहार की नई पहचान, पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन

Shubhra Sharma
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले एक दशक में देशभर में इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में बड़े बदलाव किए हैं। “सबका साथ, सबका विकास” के संकल्प के साथ उनकी सरकार ने गाँवों से लेकर शहरों तक कनेक्टिविटी को नई दिशा दी है। सड़क, रेल और हवाई नेटवर्क को मजबूत बनाना मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रहा है। बिहार जैसे राज्य, जो लंबे समय तक विकास की दौड़ में पीछे रह गए थे, वहां पर भी केंद्र सरकार लगातार काम कर रही है।

दरभंगा हवाई अड्डे के बाद अब सीमांचल क्षेत्र को बड़ी सौगात मिलने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 सितंबर को पूर्णिया हवाई अड्डे का उद्घाटन करेंगे। यह हवाई अड्डा न केवल सीमांचल बल्कि पूरे उत्तर बिहार के लिए नई पहचान बनेगा और यहां की जनता को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा।


रांची–पूर्णिया उड़ान सेवा की शुरुआत

पूर्णिया हवाई अड्डे के उद्घाटन के बाद 17 सितंबर से इंडिगो एयरलाइंस नई उड़ान सेवा शुरू करेगी। यह सेवा रांची से पूर्णिया के बीच कोलकाता के रास्ते संचालित होगी।

  • यह उड़ान सप्ताह में तीन दिन (सोमवार, बुधवार और शुक्रवार) उपलब्ध होगी।

  • सुबह 7:30 बजे विमान रांची से कोलकाता के लिए रवाना होगा।

  • दोपहर 1:40 बजे यह कोलकाता से यात्रियों को लेकर पूर्णिया पहुंचेगा।

  • उसी दिन वापसी की उड़ान भी पूर्णिया से रांची के लिए होगी।

इस नई सुविधा से रांची, कोलकाता और सीमांचल के बीच तेज और सुविधाजनक यात्रा का विकल्प उपलब्ध होगा।


त्योहारों और चुनावी मौसम में वरदान

पूर्णिया हवाई अड्डा ऐसे समय शुरू हो रहा है जब बिहार विधानसभा चुनाव करीब हैं और साथ ही छठ पूजा व दिवाली जैसे बड़े पर्व भी आने वाले हैं। इस दौरान लाखों प्रवासी बिहारी अपने घर लौटते हैं। अब तक उन्हें रेल और सड़क यात्रा का सहारा लेना पड़ता था, लेकिन अब हवाई विकल्प भी मौजूद रहेगा। यह हवाई अड्डा प्रवासी समाज के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा।


बिहार में हवाई कनेक्टिविटी का विस्तार

केंद्र सरकार ने 2017 में उड़ान योजना (UDAN) शुरू की थी, जिसका लक्ष्य छोटे शहरों को बड़े शहरों से हवाई मार्ग से जोड़ना था। शुरुआत में बिहार की हिस्सेदारी इस योजना में कम रही, लेकिन 2020 में दरभंगा हवाई अड्डे के शुरू होने के बाद तस्वीर बदलने लगी। अब पूर्णिया हवाई अड्डे के चालू होने से सीमांचल और कोसी क्षेत्र सीधे देश के हवाई नक्शे पर आ जाएंगे।

आगे की योजना के तहत रक्सौल, बीरपुर, सुल्तानगंज और राजगीर में भी हवाई अड्डे विकसित किए जाएंगे। इसका मतलब यह है कि आने वाले वर्षों में बिहार हवाई कनेक्टिविटी के मामले में काफी मजबूत स्थिति में होगा।


आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

हवाई अड्डे का विकास सिर्फ यात्रा को आसान बनाने तक सीमित नहीं रहता। इसका असर पूरे समाज और अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

  • रोजगार के अवसर – एयरपोर्ट के संचालन से एयरलाइंस स्टाफ, सुरक्षा कर्मी, टैक्सी, होटल और अन्य सेवाओं में रोजगार बढ़ेगा।

  • व्यापार में वृद्धि – तेज कनेक्टिविटी से कारोबारी गतिविधियाँ बढ़ेंगी और निवेशकों का रुझान बढ़ेगा।

  • पर्यटन को बढ़ावा – बिहार के ऐतिहासिक स्थल जैसे बोधगया, राजगीर और वाल्मीकिनगर तक पहुंच आसान होगी।


टिकट सस्ती करने की पहल

बिहार सरकार ने भी हवाई यात्रा को प्रोत्साहित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। विमान ईंधन (ATF) पर वैट को 29% से घटाकर सिर्फ 4% कर दिया गया है। उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सम्राट चौधरी का कहना है कि इससे टिकटों की कीमत घटेगी, ज्यादा एयरलाइंस बिहार में सेवाएं शुरू करेंगी और रोजगार व राजस्व दोनों बढ़ेंगे।


निष्कर्ष

पूर्णिया हवाई अड्डे का उद्घाटन बिहार की कनेक्टिविटी को नई ऊंचाई देगा। प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम न केवल सीमांचल के विकास में मील का पत्थर साबित होगा बल्कि राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को भी गति देगा। प्रवासी समाज, व्यापारी वर्ग और आम जनता—सभी के लिए यह हवाई अड्डा सुविधाओं का नया द्वार खोल देगा।

कहा जा सकता है कि पूर्णिया एयरपोर्ट सिर्फ एक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि बिहार की नई उड़ान की शुरुआत है।

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