एक ओर विपक्ष सत्ता पक्ष पर लगातार हमले बोल रहा है, तो दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और उनके करीबी नेताओं पर ही बड़ा मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मामला इतना संवेदनशील है कि इसमें राजद सांसद से लेकर कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी तक के नाम शामिल हैं। दरभंगा जिले के सिंहवाड़ा थाना में दर्ज इस FIR ने पूरे बिहार की सियासत को हिला दिया है। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर ये FIR किसी ठगी का सच सामने लाती है या फिर सत्ता की साज़िश का नया अध्याय?
क्या है मामला?
दरभंगा जिले के सिंहवाड़ा थाना क्षेत्र की वार्ड नंबर 7 निवासी गुड़िया देवी ने पुलिस को आवेदन दिया। उनका आरोप है कि “माई बहिन योजना” नामक योजना के तहत भोली-भाली महिलाओं को गुमराह किया गया। 2500 रुपये का लाभ दिलाने के नाम पर उनसे 200 रुपये वसूले गए, और इस दौरान उनका आधार नंबर, बैंक खाता और मोबाइल नंबर भी ले लिया गया। महिला का कहना है कि ये सारी जानकारियां किसी बड़े खेल के लिए इकट्ठा की जा रही थीं।
उनकी शिकायत पर थाना प्रभारी बसंत कुमार ने प्राथमिकी संख्या 253/25 दर्ज कर ली और कहा कि वरीय अधिकारियों के निर्देश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
FIR में शामिल बड़े नाम
-
तेजस्वी यादव – बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष
-
संजय यादव – RJD के राज्यसभा सांसद
-
ऋषि मिश्रा – RJD नेता और पूर्व विधायक
-
मस्कुर अहमद उस्मानी – कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी
इन चारों पर ठगी और जानकारी के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है।
तेजस्वी यादव का जवाब
पटना में मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी यादव ने FIR को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा—
“क्या एक FIR से हम डर जाएंगे? यहां महिलाओं से फॉर्म भरवाने जैसी कोई बात ही नहीं है। यह केस केवल असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश है। मंत्री जी ने पत्रकार से अभद्र व्यवहार किया, उस पर कार्रवाई न होकर अब हमारे ऊपर झूठा केस करा दिया गया।”
तेजस्वी ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब पूरी तरह निष्क्रिय हो चुके हैं और फैसले रिटायर्ड अधिकारियों से कराए जा रहे हैं। उन्होंने सरकार पर तानाशाही और ‘जंगलराज’ का आरोप लगाया।
RJD का पलटवार
राजद नेताओं ने साफ कहा कि यह FIR सिर्फ एक “डाइवर्जनरी टैक्टिक्स” है। उनका कहना है कि हाल ही में दरभंगा के ही कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री जीवेश मिश्रा पर पत्रकारों के साथ बदसलूकी और मारपीट के आरोप लगे थे। उस पर कार्रवाई की बजाय विपक्षी नेताओं पर झूठा केस दर्ज कराना दर्शाता है कि सरकार जनता की नज़र असल मुद्दों से हटाना चाहती है।
क्यों बढ़ा राजनीतिक तापमान?
-
FIR में सीधे नेता प्रतिपक्ष और राज्यसभा सांसद का नाम शामिल होना अपने आप में असामान्य है।
-
विपक्ष का आरोप है कि यह केस चुनावी रणनीति का हिस्सा है।
-
तेजस्वी यादव ने यहां तक कह दिया कि अगर हिम्मत है तो हमें गिरफ्तार करके दिखाइए, लेकिन जनता की आवाज़ दबाना अब संभव नहीं है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
बिहार की राजनीति में FIR और आरोप-प्रत्यारोप नई बात नहीं है। पहले भी कई बार नेताओं पर इस तरह के केस दर्ज होते रहे हैं, लेकिन विपक्ष इसे अक्सर सत्ता की साज़िश बताता आया है। इस बार फर्क सिर्फ इतना है कि मामला सीधे महिलाओं को ठगने और व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग से जुड़ा है, जो गंभीर माना जाता है।
निष्कर्ष
तेजस्वी यादव और उनके साथियों पर दर्ज इस FIR ने बिहार की राजनीति को एक बार फिर गरमा दिया है। विपक्ष इसे सत्ता पक्ष का हथकंडा बता रहा है, जबकि पुलिस शिकायत पर कार्रवाई का हवाला दे रही है। अब देखना यह होगा कि यह मामला महज़ एक राजनीतिक विवाद बनकर रह जाता है या फिर इसके कानूनी पहलू वाकई किसी बड़े खुलासे की ओर ले जाते हैं।

