अमेरिका : हाल ही में अमेरिका ने 104 भारतीय नागरिकों को एयरफोर्स विमान से भारत वापस भेज दिया, जो अवैध तरीके से वहां पहुंचे थे। इन लोगों ने डंकी रूट के जरिए अमेरिका जाने की कोशिश की थी। डंकी रूट बिना वैध दस्तावेजों के कई देशों की सीमाएं पार करने का जोखिमभरा तरीका है, जिसमें यात्रियों को जंगल, समुद्र और खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ता है। यह रूट संगठित एजेंटों द्वारा संचालित होता है, जहां हर चरण पर एजेंट बदलते रहते हैं। यात्री को कई बार लंबी दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। बेहतर भविष्य की तलाश में लाखों रुपये खर्च करने वाले इन लोगों ने अपनी यात्रा में भूख, खतरनाक हालात और मौत का सामना किया। अमेरिका में अवैध प्रवासियों की संख्या बढ़ने और मानव तस्करी रोकने के लिए अब सख्त कदम उठाए जा रहे हैं, जिसके तहत इन प्रवासियों को वापस उनके देशों में भेजा जा रहा है।

ऐसे में आइए जानते हैं इन भारतीयों की इस दौरान की आपबीती।
हाल ही में अमेरिका से लौटे हरियाणा और पंजाब के कई युवाओं ने अपनी भयावह यात्रा की कहानी साझा की है। बेहतर भविष्य की तलाश में लाखों रुपये खर्च कर विदेश जाने वाले ये भारतीय अब खाली हाथ और कर्ज़ के बोझ के साथ वापस लौटे हैं। जंगलों, पहाड़ों और समंदर के खतरनाक रास्तों से होकर अमेरिका पहुंचने वाले इन लोगों को वहां से गिरफ्तार कर भारत भेज दिया गया।
खुशप्रीत सिंह: “जिसका साथ छूटा, वह हमेशा पीछे रह गया”
हरियाणा के कुरुक्षेत्र ज़िले के गांव के रहने वाले 18 वर्षीय खुशप्रीत सिंह ने बताया कि अमेरिका पहुंचने के लिए उनके पिता ने घर, ज़मीन और पशुधन गिरवी रखकर 45 लाख रुपये खर्च किए। खुशप्रीत का कहना है कि वे 22 जनवरी को अमेरिकी सीमा पार कर गए थे, लेकिन 2 फरवरी को वापस भेज दिए गए।
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खुशप्रीत ने बताया, “हमें पानी पीकर जंगल पार करने के लिए कहा गया। गाइड के कदमों का पीछा करना ज़रूरी था। अगर कोई पीछे छूट जाए तो उसे देखने की इजाजत नहीं थी। जो गिर जाता है, वह वहीं छूट जाता है।”
अमेरिका में गिरफ्तार होने के बाद उन्हें 12 दिनों तक ट्रांज़िट कैंप में रखा गया। खुशप्रीत ने बताया, “पहले दिन कहा गया कि हमें भारत भेजा जाएगा, हमने मजाक समझा। लेकिन जब हमें हथकड़ी लगाई गई और सैन्य विमान में चढ़ाया गया, तब हमें अहसास हुआ कि वे गंभीर थे।”
खुशप्रीत का पासपोर्ट दिखाते हुए उन्होंने कहा कि उस पर हमेशा के लिए अमेरिका प्रवेश प्रतिबंध की मुहर लगा दी गई है।
सुखपाल सिंह: “रास्ते में लाशें देखीं, गिरने वालों को वहीं छोड़ दिया जाता था”
पंजाब के होशियारपुर ज़िले के उर्मर टांडा गांव के सुखपाल सिंह ने बताया कि वे इटली से होते हुए लैटिन अमेरिका गए। पनामा के घने जंगलों और समंदर के रास्ते उन्हें अमेरिका ले जाया गया।
उन्होंने कहा, “हमने 15 घंटे तक नाव की यात्रा की और पहाड़ों में 45 किलोमीटर तक चले। जो गिर जाता था, उसे वहीं छोड़ दिया जाता था। रास्ते में कई शव देखे। वहां न खाना था, न सुरक्षा। पैसे भी छीन लिए जाते थे।”
हरविंदर सिंह: “42 लाख रुपये खर्च किए, लेकिन सब बेकार गया”
होशियारपुर के दसूआ कस्बे के रहने वाले हरविंदर सिंह ने अमेरिका पहुंचने के लिए 42 लाख रुपये खर्च किए। उन्हें ब्राजील, पेरू और पनामा के रास्ते से अमेरिका ले जाया गया।
हरविंदर ने कहा, “पनामा में फंसने के दौरान एक लड़का समुद्र में डूब गया और एक जंगल में मर गया। हमने खाने के लिए सिर्फ रोटी के छोटे टुकड़े और बिस्कुट खाए। यह सब जानलेवा था।”
मुस्कान: “वैध वीज़ा के बावजूद वापस भेज दिया गया“
लुधियाना ज़िले की मुस्कान, जो तीन साल के स्टडी वीज़ा पर ब्रिटेन गई थीं, अमेरिका सैर के दौरान गिरफ्तार कर ली गईं। उन्होंने बताया, “हम तुहावाना में सैर पर गए थे, लेकिन पुलिस ने हमें रोक लिया। हमें 10 दिनों तक अपने पास रखा और फिर भारत वापस भेज दिया।”
मुस्कान ने कहा, “हम वैध वीज़ा पर थे, हमने कोई दीवार नहीं चढ़ी थी, लेकिन फिर भी हमें वापस भेज दिया गया।”
रॉबिन हांडा: “ज़मीन बेचकर भेजा, लेकिन सब बेकार हो गया”
हरियाणा के कुरुक्षेत्र के रॉबिन हांडा कंप्यूटर इंजीनियर हैं। बेहतर भविष्य के लिए उनके पिता ने 45 लाख रुपये खर्च कर उन्हें अमेरिका भेजा था। रॉबिन ने बताया, “रास्ते में कई जगहों पर हमें रोका गया, कभी खाना मिला तो कभी नहीं। कई बार पैसे भी छीन लिए गए।”
रॉबिन के पिता ने भावुक होकर कहा, “हमने धान और ज़मीन बेच दी, लेकिन हमारा बेटा भूखा-प्यासा वापस आ गया। एजेंट ने हमें धोखा दिया।”
जसपाल सिंह: “गधे की सवारी और मौत के मंजर देखे”
गुरदासपुर के फतेहगढ़ चूड़ियां के जसपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने अमेरिका पहुंचने के लिए ढाई साल संघर्ष किया और 40 लाख रुपये खर्च किए। उन्होंने कहा, “गधे पर सफर किया, जंगलों में लड़कियों और लड़कों की लाशें देखीं। खाने के लिए केवल रोटी और बिस्कुट मिले।”
जसविंदर सिंह: “50 लाख रुपये खर्च हुए, लेकिन अमेरिका ने वापस भेज दिया”
फतेहगढ़ साहिब के काहनपुरा गांव के जसविंदर सिंह ने बताया कि वे 22 दिन पहले ही अमेरिका पहुंचे थे जब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने कहा, “हमें कैंप में केवल आधा सेब या जूस दिया जाता था। हम बेहद प्रताड़ित हुए।”
परिवारों की गुहार:
इन सभी लोगों के परिवारों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें अमेरिका भेजने में खर्च की गई रकम वापस दिलवाई जाए। उनका कहना है कि एजेंटों ने उन्हें धोखा दिया और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया।