Katihar News: “जब जिंदगी और मौत के बीच का फासला सिर्फ एक रेफर कागज बन जाए, तो ये किसी समाज के लिए सबसे बड़ा संकट होता है।“ सीमांचल के कटिहार जिले की यही त्रासदी है। एक ऐसा इलाका जो कभी बिहार की औद्योगिक नगरी के रूप में जाना जाता था, आज स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के कारण गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है। यहां की जनता मामूली से लेकर गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए पटना, कोलकाता और दिल्ली जैसे शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर है। सरकारी अस्पतालों की हालत ऐसी है कि मरीज इलाज के इंतजार में डॉक्टर से नहीं, भगवान से अपॉइंटमेंट ले लेते हैं। हालात इतने बदतर हैं कि सदर अस्पताल जाने वाले मरीज खुद से यही पूछते हैं— “डॉक्टर मिलेगा या फिर सिर्फ कागज मिलेगा?”
यह स्थिति किसी भी संवेदनशील सरकार के लिए आत्ममंथन का विषय होनी चाहिए, लेकिन अफसोस कि यहाँ सरकार की प्राथमिकता सिर्फ बयानबाजी तक सीमित है।

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ऐसे में कटिहार में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना की मांग एक उम्मीद नहीं, बल्कि ज़रूरत बन गई है।
कटिहार: सीमांचल का महत्वपूर्ण जिला, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में पिछड़ा
कटिहार बिहार के सीमांचल क्षेत्र का एक प्रमुख जिला है, जो भौगोलिक रूप से उत्तर बिहार, पश्चिम बंगाल और असम से जुड़ा हुआ है। यह अपनी कृषि, व्यापारिक गतिविधियों और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में यह जिला पूरी तरह से असफल साबित हो रहा है। सरकारी और निजी स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित उपलब्धता और खराब गुणवत्ता ने इस क्षेत्र को चिकित्सा संकट के केंद्र में ला दिया है।
कटिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था ICU में क्यों है?
कटिहार की वर्तमान स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी दयनीय है कि इसे ICU में माना जा सकता है। सदर अस्पताल में इलाज के बजाय मरीजों को सिर्फ रेफर कागज थमा दिए जाते हैं। कटिहार मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की कमी इतनी गंभीर है कि मरीजों की जान भगवान भरोसे होती है। मरीजों की मौत के बाद अस्पतालों के बाहर हंगामे और तोड़फोड़ की घटनाएं अब आम सी हैं। यहां तक कि पोस्टमार्टम जैसी बुनियादी सेवाएं भी सही तरीके से उपलब्ध नहीं हैं।
कटिहार से बाहर इलाज के लिए पलायन: गरीबों की बड़ी समस्या
इस बदहाली के कारण कटिहार और सीमांचल के अन्य जिलों के निवासियों को साधारण बीमारियों के लिए भी पटना, कोलकाता या दिल्ली जाना पड़ता है। गरीब तबके के लोगों के लिए यह समस्या और भी अधिक गंभीर हो जाती है क्योंकि उनके पास महंगे इलाज का खर्च उठाने की क्षमता नहीं होती। कटिहार का अस्पताल ऐसा है साहब, जहां बीमार जाना आसान है, लेकिन सही सलामत लौटना वैसा ही है जैसे रेगिस्तान में पानी तलाशना। लेकिन हां अगर आपकी पहुंच ऊंची है तो शायद आपको इलाज मिलने में तकलीफ न हो। इसीलिए अब ये कहना गलत नहीं होगा कि कटिहार के मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर नहीं बल्कि बड़े नेता की पैरवी ढूंढिए।
अगर कटिहार में एम्स होता, तो यह पलायन रोका जा सकता था। ऐसे में कटिहार में एम्स की स्थापना से इस संकट का स्थायी समाधान हो सकता है।
कटिहार की भौगोलिक स्थिति: क्यों एम्स के लिए आदर्श स्थान
ऐसी दयनीय स्थिति में सरकार को समझना चाहिए कि कटिहार सीमांचल क्षेत्र का केंद्र है और उत्तर बिहार के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, असम और नेपाल के सीमावर्ती इलाकों के लिए भी एक प्रमुख संपर्क बिंदु है। यहां का रेलवे नेटवर्क बिहार राज्य के किसी अन्य जिले से बेहतर है, जो इसे चिकित्सा पर्यटन और बड़े स्तर पर मरीजों के आवागमन के लिए उपयुक्त बनाता है। एम्स की स्थापना से न केवल सीमांचल के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी बल्कि यह आर्थिक विकास के द्वार भी खोलेगा। ऐसे में सरकार से बस इतना कहना है—
कटिहार का रेलवे तो सही दिशा में दौड़ रहा है साहब, अब अगर आपकी नीतियां भी पटरी पर आ जाएं तो इस जिले की तकदीर बदल जाएगी। सिर्फ एक ऐम्स कटिहार के लोगों की दशा और दिशा दोनों में बदलाव ला सकता है।
कटिहार एम्स की मांग पर युवाओं की मुहिम को जनता और नेताओं का मिल रहा समर्थन

कटिहार एम्स मुहिम के लिए कटिहार के कुछ युवाओं द्वारा लगातार मुहिम चलाए जा रहा है जिसमें प्रमुख रूप से महेन्द्र कुमार झा NATANSH RAJPUT और शशिकांत कुमार जो कि इस पहले ट्विटर ट्रेंड और फेसबुक माध्यम लगातार इस महत्वपूर्ण समस्या पर आवाज बुलंद कर रहे हैं।
इन युवाओं के आंदोलन को कटिहार जनता लगातार समर्थन दे रहे और अब तो कुछ नेताओं का समर्थन भी आ रहा है।
शशिकांत के एम्स को लेकर विचार
इस समय हमारे सीमांचल किसी प्रकार उपचार के लिए लोगों पलायन करना पड़ रहा है और दूसरे राज्यों में अगर सरकार कटिहार में एम्स का अस्पताल निर्माण करवा देती हैं तो केवल कटिहार सीमांचल के नहीं बल्कि नार्थ ईस्ट राज्यों को इसका लाभ होगा ।
केन्द्र सरकार दरभंगा में एम्स बना रही लेकिन दरभंगा और पटना दुरी लगभग बराबर है। इस से कटिहार ज़िले को कोई लाभ नहीं होगा और अगर वकई मोदी सरकार समाज के अंतिम खड़े व्यक्ति के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधा देना चाह रही तो फिर कटिहार में एम्स निर्माण होना चाहिए। ये मांग केवल कटिहार युवाओं का नहीं बल्कि कि वर वर्ग का चाहें ग़रीब अमिर हो दलित और पिछड़ा अगड़ी हिन्दू, मुसलमान सभी जाति और धर्म का मांग हो।
महेंद्र झा के विचार एम्स पर
‘सर्वे संतु निरामयाः’
स्वस्थ रहने का अधिकार सबको है
अच्छा स्वास्थ्य सबका अधिकार है, तो फिर देश के पिछड़े इलाके के लोग क्यों वंचित रहे? कटिहार एम्स इसलिए जरूरी है।
नई उम्मीद की किरण
कटिहार में एम्स की स्थापना सिर्फ एक स्वास्थ्य संस्थान नहीं होगी, बल्कि सीमांचल के लिए जीवन रेखा साबित होगी। यह न केवल यहां के लोगों को सस्ती और बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्रदान करेगा, बल्कि इस पिछड़े क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास को भी गति देगा। कटिहार की जनता अब इस इंतजार में है कि उनकी ये क्रांतिकारी मांग पूरी हो और सीमांचल में स्वास्थ्य सेवाओं का एक नया युग शुरू हो सके।
दोस्तों, संघर्ष की मशाल जब जलती है, तब ही बदलाव की सुबह होती है, आवाज उठाओ, क्योंकि बदलाव सरकार से उम्मीद नहीं बल्कि संघर्ष से आता है। जहां जनता लड़ती है, वहां सरकार को विकास की याद आ ही जाती है। कटिहार मांगे एम्स।