भारत-पाक क्रिकेट मैच पर विवाद: शहीद शुभम द्विवेदी के परिवार ने जताया कड़ा विरोध

Shubhra Sharma
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एशिया कप 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले हाई-वोल्टेज क्रिकेट मैच से पहले विवाद गहराता जा रहा है। इस बार यह विवाद सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें भावनाएं, शहादत और राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा जुड़ गया है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए कानपुर निवासी शुभम द्विवेदी की पत्नी और पिता दोनों ने भारत-पाक मैच का विरोध किया है। उनका कहना है कि ऐसे मैचों से पाकिस्तान को राजस्व मिलता है और अंततः वही पैसा आतंकवाद की फंडिंग में जाता है।


शहीद शुभम द्विवेदी और परिवार का आक्रोश

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या कर दी थी। इसी आतंकी हमले में शुभम द्विवेदी भी शहीद हो गए। इस घटना के बाद पूरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा भड़का और केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर 100 से अधिक आतंकियों को ढेर किया।

लेकिन तीन महीने भी नहीं बीते कि भारत-पाकिस्तान मैच की खबर आई। यही वह पल था जब शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या और पिता संजय द्विवेदी ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए इस मैच के बहिष्कार की अपील की।


पत्नी ऐशान्या द्विवेदी का बयान

ऐशान्या ने भावुक होकर कहा कि बीसीसीआई को भारत-पाक मैच आयोजित ही नहीं करना चाहिए था। उनके मुताबिक,

  • “यह ऐसा लग रहा है जैसे 26 परिवारों की शहादत का कोई मूल्य ही नहीं रहा।”

  • उन्होंने कहा कि जब पाकिस्तान ने हमारे लोगों को धर्म पूछकर मारा, तो उस देश के साथ मैच खेलना शहीदों की आत्मा का अपमान है।

  • ऐशान्या ने क्रिकेटर्स से भी सवाल किया कि उनमें से कोई खुलकर क्यों नहीं बोलता कि हमें पाकिस्तान से मैच नहीं खेलना चाहिए।

  • उनका कहना है कि “बीसीसीआई आपके ऊपर बंदूक रखकर खेलने को मजबूर तो नहीं करता। आपको खुद खड़ा होना चाहिए, लेकिन कोई ऐसा नहीं कर रहा।”

उन्होंने प्रायोजकों और प्रसारकों पर भी निशाना साधा और कहा कि क्या आपके अंदर इंसानियत खत्म हो गई है? पाकिस्तान से मैच खेलने का मतलब है उसी देश को राजस्व देना जिसने हमारे लोगों को मार डाला।


कमाई और आतंकवाद का कनेक्शन

ऐशान्या ने सवाल उठाया कि भारत-पाक मैच से होने वाला रेवेन्यू आखिर जाएगा कहाँ? उनका आरोप है कि पाकिस्तान में गया हर पैसा आतंकवाद की फंडिंग में इस्तेमाल होता है।

  • “पाकिस्तान में आया हुआ एक भी रुपया केवल आतंकवाद में जाता है। वो देश सिर्फ आतंकी देश है।”

  • “आप मैच खेलकर उन्हें तैयार कर रहे हो कि वो फिर से हमला करें।”

उन्होंने देशवासियों से अपील की कि इस मैच का बहिष्कार करें।

  • “आप उस दिन टीवी मत देखिए। मैच मत देखिए। अगर आप नहीं देखेंगे तो उनके घर पैसे नहीं जाएंगे। शायद इससे हम एक छोटा बदलाव ला पाएं।”


बीसीसीआई और मैच का आयोजन

बीसीसीआई ने भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर नया रास्ता निकाला और मैच को दुबई में आयोजित करने का फैसला किया। लेकिन ऐशान्या ने साफ कहा कि “मैच चाहे कहीं भी हो, खेला तो पाकिस्तान के खिलाफ ही जा रहा है। यह नहीं होना चाहिए।”

उनके मुताबिक, बीसीसीआई और खिलाड़ी सिर्फ कमाई देख रहे हैं, लेकिन शहीदों की कुर्बानी भूल चुके हैं।


पिता संजय द्विवेदी का विरोध

शुभम द्विवेदी के पिता संजय द्विवेदी ने भी कड़ा विरोध जताया। उन्होंने कहा:

  • “खून और पानी साथ नहीं बह सकते।”

  • “देश की जनता इस मैच के खिलाफ है। पाकिस्तान एक आतंकी देश है। उसके साथ किसी भी तरह का खेल या राजनीतिक संबंध नहीं होना चाहिए।”

  • उन्होंने सरकार से अपील की कि जनभावना का सम्मान करते हुए इस मैच को तुरंत रद्द किया जाए।


जनता की प्रतिक्रिया

आम जनता का रुख भी इस बार बदला हुआ दिखाई दे रहा है।

  • पहले भारत-पाक मैच के टिकट हाथों-हाथ बिक जाते थे, लेकिन इस बार केवल आधे टिकट ही बिके हैं।

  • इससे साफ जाहिर है कि लोग पाकिस्तान से मैच खेलने को लेकर उत्साहित नहीं हैं।

  • सोशल मीडिया पर भी #BoycottIndvsPak ट्रेंड कर रहा है।

यह माहौल दर्शाता है कि भारत-पाक मैच अब सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है।


सवाल क्रिकेटर्स से भी

ऐशान्या ने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि 1-2 क्रिकेटरों को छोड़कर किसी ने भी आवाज नहीं उठाई।

  • “क्रिकेटर्स को अपने देश के लिए खड़ा होना चाहिए। लेकिन वे चुप हैं। शायद उनके लिए पैसे और शोहरत, शहादत से ज्यादा मायने रखते हैं।”


निष्कर्ष

भारत-पाक क्रिकेट मैच हमेशा से रोमांचक और चर्चित रहा है, लेकिन इस बार मामला अलग है। शहीद शुभम द्विवेदी के परिवार का आक्रोश पूरे देश की भावनाओं को झकझोर रहा है।
उनके बयान हमें सोचने पर मजबूर करते हैं:

  • क्या करोड़ों की कमाई शहादत से बड़ी है?

  • क्या हमें आतंकवाद को पनाह देने वाले देश के साथ किसी भी तरह का रिश्ता रखना चाहिए?

जवाब सरकार, बीसीसीआई और खिलाड़ियों को देना होगा। लेकिन एक बात साफ है—शहीदों के परिवार के दर्द और बलिदान की अनदेखी करके कोई भी मैच सिर्फ एक खेल नहीं रह जाता।

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