Bihar Election 2025 अब केवल सत्ता की लड़ाई नहीं रह गया है, बल्कि यह नए और पुराने चेहरों के टकराव का चुनाव बन चुका है। एक तरफ हैं दशकों से बिहार की राजनीति पर हावी Lalu Prasad Yadav और Nitish Kumar, और दूसरी तरफ एंट्री हो चुकी है एक नए Player की—Prashant Kishor (PK)।
PK कोई आम नेता नहीं हैं। उन्हें देश का सबसे सफल Political Strategist कहा जाता है, जिन्होंने कई बड़े नेताओं की चुनावी रणनीति बनाई। लेकिन अब वे खुद मैदान में उतर आए हैं। उनकी पार्टी Jan Suraj ने घोषणा की है कि वह 243 seats पर चुनाव लड़ेगी।
2020 की याद : Chirag Paswan Factor
बिहार चुनाव की राजनीति में 2020 का उदाहरण बहुत अहम है। उस समय Chirag Paswan ने अकेले दम पर चुनाव लड़ा। वे भले ही सिर्फ एक सीट जीत पाए, लेकिन उन्होंने करीब 54 constituencies के नतीजों को प्रभावित किया। इस वजह से JDU को भारी नुकसान उठाना पड़ा था और नीतीश कुमार की सीटें काफी कम हो गई थीं।
अब यही भूमिका 2025 में Prashant Kishor निभाते दिख रहे हैं। उनकी पार्टी का वोट प्रतिशत चाहे कम हो, लेकिन अगर 10% vote share भी मिल गया तो कई सीटों पर समीकरण बदल जाएगा। यही वजह है कि लालू और नीतीश दोनों की चिंता बढ़ गई है।
लालू यादव के लिए सीधी चुनौती
RJD की सबसे बड़ी ताकत है उसका M-Y equation यानी Muslim-Yadav vote bank। लेकिन PK ने सीधा हमला इसी पर किया है।
Jan Suraj ने ऐलान किया है कि वे इस बार 40 Muslim candidates को टिकट देंगे। PK लगातार मुस्लिम बहुल इलाकों में जाकर यह संदेश दे रहे हैं—
“आपकी आबादी के हिसाब से बिहार विधानसभा में 40 Muslim MLAs होने चाहिए, लेकिन इस समय सिर्फ 19 हैं। इनमें भी RJD से केवल 8 हैं। यानी आप जिन पर भरोसा कर रहे हैं, वही आपका हक मार रहे हैं।”
यह बात मुस्लिम समुदाय के बीच गूंजने लगी है। अगर वोट का थोड़ा सा भी हिस्सा PK की ओर खिसक गया तो लालू यादव का traditional vote bank कमजोर हो जाएगा। ऊपर से Asaduddin Owaisi (AIMIM) की पार्टी भी RJD के साथ नहीं है। ऐसे में RJD को दो तरफ से दबाव झेलना पड़ सकता है।
नीतीश कुमार की मुश्किलें
नीतीश कुमार की राजनीति का असली सहारा है उनका core vote bank—Women voters और EBC (Extremely Backward Classes)। पिछले तीन चुनावों से यही वर्ग उन्हें मजबूती देता रहा है।
लेकिन PK ने यहां भी बड़ा दांव खेला है। Jan Suraj पार्टी ने घोषणा की है कि वे 40 women candidates और 70 EBC candidates को टिकट देंगे। इतना ही नहीं, PK ने यह भी कहा है कि जिनके पास resources नहीं होंगे, उनकी Election funding पार्टी खुद करेगी।
यह एक बड़ा masterstroke है, क्योंकि इससे सीधा संदेश जाता है कि PK गरीब और कमजोर तबके के साथ खड़े हैं। यह narrative नीतीश कुमार के वोट बैंक में सेंध लगा सकता है।
PK ने दावा किया है कि इस बार JDU 25 seats से ज्यादा नहीं जीत पाएगी। भले ही यह दावा बढ़ा-चढ़ाकर कहा गया हो, लेकिन इसमें शक नहीं कि नीतीश को नुकसान होगा।
जनता क्यों ले रही PK को गंभीरता से?
कई लोग मानते हैं कि PK को अभी major political player नहीं कहा जा सकता। लेकिन उनकी working style बिल्कुल अलग है। वे महीनों से padyatra, door-to-door campaign, और issue-based speeches कर रहे हैं।
उनका फोकस caste politics पर नहीं बल्कि शिक्षा, बेरोजगारी और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर है। यही वजह है कि आम जनता में उनकी पहचान बढ़ रही है।
क्या PK बनेंगे Kingmaker?
सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या PK वाकई बिहार की सत्ता हासिल कर पाएंगे? या वे सिर्फ vote cutter साबित होंगे?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि PK चाहे 10–15 seats ही जीतें, लेकिन अगर उनका vote share 8–10% तक पहुंच गया तो वे Kingmaker बन जाएंगे। वे जिस पक्ष को सपोर्ट करेंगे, वही सत्ता में आ सकता है।
ठीक वैसे ही जैसे 2020 में Chirag Paswan ने सीधा खेल नहीं खेला, लेकिन Nitish Kumar की सीटें घटाकर सत्ता समीकरण बदल दिया था।
निष्कर्ष
Bihar Election 2025 में मुकाबला सिर्फ RJD और JDU-BJP के बीच नहीं है। इस बार Prashant Kishor और Jan Suraj तीसरे मोर्चे के रूप में उभरे हैं।
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लालू यादव के लिए चुनौती है कि वे अपना M-Y equation बचा पाएंगे या नहीं।
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नीतीश कुमार के लिए संकट है कि वे Women और EBC votes को अपने साथ कैसे रख पाएंगे।
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और जनता के लिए सवाल है कि क्या वे इस बार alternative politics को मौका देंगी?
यानी तस्वीर साफ है—2025 का चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि new political equation तय करने वाला होगा। और इस खेल में PK चाहे King बनें या न बनें, लेकिन Kingmaker बनने की संभावना बेहद मजबूत है।

