हाल के दिनों में भूकंप की घटनाओं ने पूरी दुनिया में दहशत पैदा कर दी है। भारत और उसके पड़ोसी देशों में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। शनिवार को 12 घंटे के भीतर भारत और उसके आसपास 10 बार भूकंप के झटके महसूस हुए। इनमें से 8 झटके तिब्बत में और 2 अफगानिस्तान में आए। यह घटनाएं एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती हैं कि भूकंप क्यों आते हैं और उनसे बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए।
भारत और पड़ोसी देशों में हालिया भूकंप
नेशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, शनिवार को अफगानिस्तान में 4.2 तीव्रता का भूकंप आया। यह झटका भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार सुबह 5:05 बजे महसूस किया गया। इसके अलावा, तिब्बत में 10 घंटे के भीतर 8 बार भूकंप के झटके आए। इनमें से एक भूकंप की तीव्रता 6.8 रिक्टर स्केल थी, जिसने तिब्बत के शिगाजे क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया।
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स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, तिब्बत में इस भूकंप से 126 लोगों की मौत हुई और 188 लोग घायल हुए। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये भूकंप हिंद महासागर की प्लेट से टेक्टोनिक दबाव और क्रस्टल गति के कारण आए।
भूकंप धरती में कैसे बनता है और कब आता है?
भूकंप धरती की सतह पर अचानक होने वाला कंपन है, जो टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल, ज्वालामुखी विस्फोट, या भू-गर्भीय विस्फोटों के कारण होता है।
- टेक्टोनिक प्लेटें: धरती की सतह विभिन्न प्लेटों से बनी है, जो लगातार गतिमान रहती हैं। जब ये प्लेटें टकराती हैं, अलग होती हैं, या एक-दूसरे के किनारे से खिसकती हैं, तो उनके बीच तनाव पैदा होता है।
- फोकस और एपिसेंटर: भूकंप का केंद्र (फोकस) वह स्थान है, जहां से ऊर्जा निकलती है। इसका सतह पर प्रभाव एपिसेंटर कहलाता है।
भारत में भूकंप के ज़ोन और जोखिम
भारत को भूकंप के आधार पर चार जोन में बांटा गया है:
- जोन 2 (सबसे कम खतरा): दक्षिण भारत के कुछ स्थिर हिस्से।
- जोन 3 (मध्यम खतरा): महाराष्ट्र, पश्चिमी घाट, और मध्य भारत।
- जोन 4 (उच्च खतरा): दिल्ली, उत्तराखंड, बिहार, और जम्मू-कश्मीर।
- जोन 5 (सबसे अधिक खतरा): हिमालय, उत्तर-पूर्व भारत, और गुजरात का कच्छ।
इतिहास में बड़े भूकंप और उनका प्रभाव
- 1950, असम-तिब्बत भूकंप:
- तीव्रता: 8.6 रिक्टर स्केल
- भारत का सबसे शक्तिशाली भूकंप, जिसमें बड़े पैमाने पर तबाही हुई।
- 2001, गुजरात (कच्छ):
- तीव्रता: 7.7 रिक्टर स्केल
- 20,000 से अधिक लोगों की मौत और कच्छ क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित।
- 2015, नेपाल भूकंप:
- तीव्रता: 7.8 रिक्टर स्केल
- 9,000 से अधिक लोगों की मौत, भारत के बिहार और उत्तर प्रदेश में भी असर।
- 1993, लातूर, महाराष्ट्र:
- तीव्रता: 6.4 रिक्टर स्केल
- 10,000 से अधिक मौतें, ग्रामीण इलाकों में भारी तबाही।
भूकंप से बचाव के उपाय
भूकंप के दौरान:
- किसी मजबूत मेज या फर्नीचर के नीचे छिपें।
- खिड़की, कांच, या भारी वस्तुओं से दूर रहें।
- खुले स्थान पर जाएं, जहां इमारतें और पेड़ न हों।
भूकंप से पहले:
- घर को मजबूत संरचना के साथ बनवाएं।
- इमरजेंसी किट तैयार रखें, जिसमें पानी, भोजन, टॉर्च और प्राथमिक चिकित्सा सामग्री हो।
- भूकंप की स्थिति से निपटने के लिए अभ्यास करें।
भूकंप के बाद:
- मलबे के पास न जाएं।
- गैस और बिजली के उपकरणों की जांच करें।
- बचाव दल को सूचना दें और घायलों की मदद करें।
भविष्य में भूकंप का खतरा
वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालय और उत्तर-पूर्वी भारत जैसे क्षेत्रों में टेक्टोनिक प्लेटों की सक्रियता के कारण भविष्य में बड़े भूकंप आने की संभावना है। हालांकि भूकंप की सटीक भविष्यवाणी करना संभव नहीं है, लेकिन इसके प्रभाव को कम करने के लिए तैयार रहना ही एकमात्र उपाय है।
भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, जिसे रोक पाना हमारे वश में नहीं है। लेकिन सही तैयारी, जागरूकता, और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। भारत जैसे भूकंप-संवेदनशील देश में सतर्कता और सुरक्षा उपायों को अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।