Dhruv Rathee : डरा हुआ तानाशाह और मरा हुआ लोकतंत्र का सच जानें

Shashikant kumar
10 Min Read
Dhruv Rathee

Dhruv Rathee : यूयूट्यूबबर ध्रुव राठी के मानें तो भारत में लोकतंत्र समाप्ति के कगार पर और तानाशाही आ चुका है। ध्रुव राठी ने इसके लिए अरविंद केजरीवाल के गिरफ्तारी से लेकर कांग्रेस, लेफ्ट बैंक एकाउंट सीज से इसे जोड़ रहे हैं यहां तक कह रहे हैं कि चुनावी ब्रांड ( इलेक्टोरल बॉन्ड ) जरिए एक बड़ा घोटाला हुआ था। आज इन सभी विषयों एक एक करके ग़ौर करेंगे और जानेंगे क्या वकई भारत तानाशाही के तरफ़ बढ़ रहा है या फिर नहीं। 

Dhruv Rathee :

इलेक्टोरल बॉन्ड रद्द किया सुप्रीम कोर्ट 

ये बात सच है कि सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को रद्द कर दिया और SBI से सारे इलेक्टोरल बॉन्ड जुड़े जानकारी को पब्लिक करने के लिए भी कहां है लेकिन एक बात ध्यान दीजिए अगर इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं होता तो क्या आप ये पता कर पाते कि किस पार्टी को किस ने कितना डोनेशन दिया तो इसका बड़ा आसान जवाब है कि कभी नहीं पता चलता। अगर आपको ऐसा लग रहा है कि बीजेपी ने इलेक्टोरल बॉन्ड जरिए बड़ा घोटाला किया है तो आप से ही सवाल है कि इस देश में एकमात्र बीजेपी थी जिसने इलेक्टोरल बॉन्ड पैसा लिया था?? जवाब नहीं

इलेक्टोरल बॉन्ड पाने वाले राजनीति दल 

बीजेपी  6,060
टीएमसी  1.609
कांग्रेस  1,421
बीएस 1,214
डीएमके  639
वाईएसआर कांग्रेस 
तेलुगू देशम पार्टी 
शिवसेना 
आरजेडी 
317
218
158
72.50

ये वो राजनीति दल जो कि इलेक्टोरल बॉन्ड जरिए पैसा लेकर चुकें हैं इस लिस्ट देखने के बाद आप ये कह सकते हैं कि अगर नरेंद्र मोदी को सत्ता 6,060 देशभर में सत्ता रहकर मिला है और इसके अलावा कई राज्यों में सरकारें होने के बाद डोनेशन मिला तो इसमें कहां ग़लत है। वहीं TMC केवल एक राज्य में जिसका अस्तित्व बंगाल छोड़ दें देश में कहींन नहीं उसे बीजेपी के बाद सबसे ज्यादा डोनेशन कैसे मिल गया इसका सीधा अर्थ वहीं है कि अगर TMC केन्द्र के सत्ता रहता या फिर दो या तीन राज्यों में सत्ता में रहता तो शायद उसकी कमाई बीजेपी से भी ज्यादा होता। अगर चंदे के बदले ठेकेदारी खेल का आरोप मोदीजी पर लग रहा था तो क्या दी इन आरोपो से ममता बनर्जी बच सकती है जवाब नहीं??

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फिर हम कैसे कह सकते हैं कि इलेक्टोरल बॉन्ड जरिए इस देश में एक बड़ा घोटाला हुआ था। एक कड़वा सच ये भी है कि इस देश में अगर कोई पार्टी या नेता दावा करता है कि वो ईमानदारी से राजनीति करते हैं तो एक तरह से वो आपसे झुठ कह रहा है क्योंकि आज तारीख में कोई पार्टी ईमानदारी चुनाव नहीं जीत सकता है। जितनी खर्च चुनाव आयोग तरफ़ से तय किया जाता उस से 100 गुणा ज्यादा खर्च एक उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए कर देता ये पैसा कहां से आता इसका  तो इसका जवाब है कि शायद कभी नहीं मिलेगा क्योंकि इस सवालों का जवाब खोजिए गा तो सारे राजनीति दल जो कलतक लड़ते दिखते वो एक हो जाएंगे क्योंकि इस राजनीति में हर कोई गंदा बस यहां ईमानदारी के नारे लगाए जाते हैं।

लोकतंत्र ख़तरे में

यूयूट्यूबबर ध्रुव राठी अपने विडियो में ये बताते हैं कि 

Dhruv Rathee

फिर हम कैसे कह सकते हैं कि इलेक्टोरल बॉन्ड जरिए इस देश में एक बड़ा घोटाला हुआ था। एक कड़वा सच ये भी है कि इस देश में अगर कोई पार्टी या नेता दावा करता है कि वो ईमानदारी से राजनीति करते हैं तो एक तरह से वो आपसे झुठ कह रहा है क्योंकि आज तारीख में कोई पार्टी ईमानदारी चुनाव नहीं जीत सकता है। जितनी खर्च चुनाव आयोग तरफ़ से तय किया जाता उस से 100 गुणा ज्यादा खर्च एक उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए कर देता ये पैसा कहां से आता इसका  तो इसका जवाब है कि शायद कभी नहीं मिलेगा क्योंकि इस सवालों का जवाब खोजिए गा तो सारे राजनीति दल जो कलतक लड़ते दिखते वो एक हो जाएंगे क्योंकि इस राजनीति में हर कोई गंदा बस यहां ईमानदारी के नारे लगाए जाते हैं।

लोकतंत्र ख़तरे में

यूयूट्यूबबर ध्रुव राठी अपने विडियो में ये बताते हैं कि 

इस देश के लोकतंत्र ख़तरे में है। ये हमारे देश के विपक्ष के लिए पसंदीदा विषय बन चुका है कि लोकतंत्र ख़तरे में है भला उन से कौन पुछेगा कि लोकतंत्र कैसे ख़तरे में जवाब शायद वो दे ना पाएं। यूयूट्यूबबर ध्रुव राठी के मानें जिस प्रकार से एक एक करके विपक्ष के नेता जेल जा रहें हैं उस से यही लगता है कि इस देश में अब तानाशाही आ चुका या फिर आने वाला है। विपक्षी नेताओं एक ख़ास एजेंडे तहत जेल में डालें जा रहें तो इसका मैंने भी आलोचना किया जिसे मैं उचित नहीं मानता हूं खासकर इलेक्शन टाईम्स पर हालां एककि अगर मोदीजी ऐसा कर रहे हैं तो इसमें कहीन-कहीन मोदीजी अपना नुक़सान करवा रहे हैं क्योंकि इससे फायदा उस पार्टी को है जिसके नेता जेल में गये इससे जनता में उस नेता के प्रति इमोशनल वोटर तैयार हो जाता है और अक्सर ये देखा गया है कि कोई भी नेता जेल जाने के बाद और बड़ा बनकर उभरता है।

जब ध्रुव राठी ये कहते हैं कि चुनाव समय आईटी के छापें पड़ रहें और राजनीति दलों के बैंक सीज किया जा रहा तो ये लोकतंत्र समाप्ति कगार पर है और इसका संकेत यही है। तो मैं पुछना चाहता हूं कि क्या इन राजनीति दलों के लिए कोर्ट जाने का विकल्प खत्म कर दिया गया जवाब है नहीं फिर कैसे लोकतंत्र समाप्त हो चुका है? जरा ध्रुव राठी जी इन सवालों को भी जरूर पुछिए गा। मुझे ये पता है कि ध्रुव राठी जी इन सवालों के जवाब कभी नहीं देंगे।

जिस भारत ने दुनिया को लोकतंत्र से परिचित करवाएं भला वो भारत से लोकतंत्र कैसे समाप्त हो सकता है। जरा कल्पना कीजिए कि जो भारत लोकतंत्र का जननी है वो भारत से लोकतंत्र कैसे समाप्त हो सकता है, जब पश्चिम देशों को लोकतंत्र का क भी मालूम नहीं था तब से भारत में लोकतंत्र है। मैंने अपनी पुस्तक 2024 की रणभूमि इस विषय पर विस्तार चर्चा किया था। जिसे पढ़ने के लिए आप एमजोन पर शशिकांत कुमार सर्च कर सकते हैं। दुनिया में इस समय चंद देशों में ही वास्तव लोकतंत्र जीवित हैं और उसमें अपना भारत भी है। भले कुछ दल ये प्रयास करें कि भारत से लोकतंत्र को समाप्त करने का लेकिन वो कभी भी ये नहीं कर सकते हैं। 

ध्रुव राठी जैसे लोग जो पश्चिम देशों में रहते वहां से हमें ये बताते हैं कि इस देश का लोकतंत्र ख़तरे में आ चुका है जैसे कि इस पहले इस देश में कोई नेता जेल नहीं गया है और जब कांग्रेस सत्ता में थी तब तो अमित शाह को जेल में डाल दिया था जो कि आज देश के गृहमंत्री है और वर्तमान प्रधानमंत्री और तत्कालीन गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी से भी इसी तरह से लगातार पुछताछ हुआ उस समय जब जांच एजेंसी किस प्रकार से दवाब बनाया गया तत्कालीन युपीए सरकार दौरान वो बात किसी छिपा नहीं है।

तो क्या उस समय नरेंद्र मोदी ये ड्रामा करते थे कि युपीए सरकार लोकतंत्र कुचल रहीं उसी युपीए कालखंड के दौरान सीबीआई को पिंजड़े बंद

तोता से तुलना किया गया तो क्या उस समय लोकतंत्र ख़तरे नहीं था तो क्या इसका जवाब मौजुदा दौर में जो लोग लोकतंत्र प्रश्न चिन्ह खड़ा रहें वो देंगे जवाब है कि नहीं।। 

में एक बात फिर से स्पष्ट करना चाहता हूं कि जो कार्रवाई जांच एजेंसी इस समय विपक्षी नेताओं पर कर रही है वो भी उस समय जब देश लोकसभा चुनाव चल रहा है उसे हम उचित नहीं कह सकते हैं लेकिन इसका ये अर्थ कतई नहीं है कि भारत में लोकतंत्र समाप्त हो चुका है। इस पहले भी प्रधानमंत्री आएं थें इसके आगे भी आएंगे लेकिन भारत का लोकतंत्र सदा जीवित रहेगा।‌

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शशिकांत कुमार युवा लेखक राजनीति, 2024 की रणभूमि पुस्तक के लेखक। पिछले कई चुनावों से लगातार ही सबसे विश्वसनीय विश्लेषक।।।
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