delhi chunav result दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा है। एक समय दिल्ली की राजनीति में क्रांति लाने वाली AAP अब सत्ता से बाहर हो चुकी है। भाजपा ने करीब 27 साल के लंबे इंतजार के बाद सत्ता में वापसी की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। पार्टी ने कई सीटों पर निर्णायक बढ़त बनाते हुए स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। इस हार ने केजरीवाल की लोकप्रियता पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। ये कहना गलत नहीं होगा कि जिन मुद्दों ने आप को हराया हैं उन्हीं मुद्दों के जरिए भाजपा को जीत मिली है।
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केजरीवाल की हार के प्रमुख कारण
- मोहल्ला क्लीनिक मॉडल की गिरती साख (दवा)
AAP सरकार ने मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी अस्पतालों को अपनी बड़ी उपलब्धियों के तौर पर प्रचारित किया था। हालांकि, चुनाव से ठीक पहले सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बिगड़ती स्थिति और मुफ्त दवाओं की अनुपलब्धता ने जनता को निराश किया। अस्पतालों की बदहाल सुविधाएं और डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ा। इस असंतोष का खामियाजा AAP को उठाना पड़ा।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: भाजपा की बड़ी जीत, आप को बड़ा झटका
- विवादित शराब नीति (दारू)
केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति ने महिलाओं में गहरी नाराजगी पैदा की। इस नीति के तहत शराब के ठेकों की संख्या बढ़ाए जाने और शराब की खपत में वृद्धि से कई इलाकों में कानून व्यवस्था बिगड़ने लगी। विपक्ष ने इसे भ्रष्टाचार का मुद्दा बनाया, जिसमें मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी और घोटाले के आरोपों ने पार्टी की छवि को गहरा धक्का दिया।
- आलीशान बंगले का विवाद (दर)
केजरीवाल ने खुद को “आम आदमी” के नेता के रूप में प्रस्तुत किया था। हालांकि, उनके सरकारी आवास के लिए 45 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की खबरें सामने आने के बाद उनकी छवि को गहरा आघात पहुंचा। विपक्ष ने इसे “आम आदमी बनाम खास आदमी” का मुद्दा बनाकर जनता को भड़काया, जिसने चुनावी परिणामों पर सीधा असर डाला।
- मुस्लिम वोट बैंक में सेंध (दीन)
AAP को शुरू से मुस्लिम समुदाय का व्यापक समर्थन मिलता रहा है, लेकिन इस बार यह वोट बैंक खिसकता नजर आया। दिल्ली दंगों और शाहीन बाग प्रदर्शन पर AAP की अस्पष्ट नीति ने मुस्लिम मतदाताओं को असमंजस में डाल दिया। कांग्रेस और भाजपा ने इस स्थिति का फायदा उठाया, जिससे AAP को अपने पारंपरिक वोट बैंक से वंचित होना पड़ा।
- यमुना प्रदूषण और जल संकट (कालिंदी)
यमुना नदी की सफाई को लेकर किए गए बड़े वादे पूरे नहीं हो सके। चुनाव से पहले झाग से भरी यमुना की तस्वीरें वायरल हुईं, जिसने AAP की कार्यशैली पर सवाल उठाए। दिल्ली के कई इलाकों में पानी की भारी किल्लत और सीवरेज समस्याओं ने जनता को नाराज किया। इस मुद्दे को भाजपा ने जोर-शोर से उठाया और चुनावी माहौल अपने पक्ष में किया।
भाजपा की जीत के बड़े कारण
- बुनियादी विकास का मुद्दा
जहां AAP ने मुफ्त सुविधाओं की घोषणाओं पर जोर दिया, वहीं भाजपा ने सड़कों, पानी की समस्याओं और अन्य बुनियादी सुविधाओं के समाधान को प्रमुख मुद्दा बनाया। जनता ने इन वादों पर भरोसा जताते हुए भाजपा को मौका दिया।
- आक्रामक चुनाव प्रचार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली चुनाव में जोरदार प्रचार किया। भाजपा ने केजरीवाल और आतिशी जैसे प्रमुख नेताओं के खिलाफ अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारा। भाजपा का आक्रामक प्रचार अभियान AAP के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ।
- महिलाओं को वित्तीय सहायता का वादा
भाजपा ने महिलाओं के बैंक खातों में ₹2,500 प्रतिमाह देने का वादा किया। इसके अलावा एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी और होली-दीवाली पर एक मुफ्त सिलेंडर देने की घोषणा भी की गई। इन वादों ने महिलाओं के बीच भाजपा की लोकप्रियता को बढ़ाया।
- मुख्यमंत्री पद का चेहरा न घोषित करना
भाजपा ने दिल्ली चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की। इससे जातीय और क्षेत्रीय गुटबाजी का खतरा कम हो गया और वोटरों का समर्थन एकजुट होकर भाजपा के पक्ष में गया।
- यमुना प्रदूषण और जल संकट का मुद्दा
यमुना नदी की गंदगी और दिल्ली में पानी की किल्लत को भाजपा ने बड़े चुनावी मुद्दों के रूप में उठाया। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे चुनावी मंच से जोर-शोर से उठाकर AAP सरकार की विफलताओं को उजागर किया।
AAP की रेवड़ी संस्कृति बनाम भाजपा का विकास मॉडल
इस चुनाव में AAP की मुफ्त सुविधाओं की घोषणाएं भाजपा के विकास मॉडल के सामने कमजोर पड़ गईं। जनता ने महसूस किया कि मुफ्त सुविधाओं के बजाय बुनियादी समस्याओं के समाधान पर ध्यान देना जरूरी है।