दिल्ली में कांटे की टक्कर: केजरीवाल की सीट पर संकट, मनीष सिसोदिया हार की कगार पर

Shubhra Sharma
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Exit poll दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कुल 70 सीटों पर 699 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला आज ईवीएम में कैद हो गया है। शाम 5 बजे तक दिल्ली में 57.70 फीसदी मतदान हो चुका है। चुनाव के परिणाम 8 फरवरी को घोषित होंगे, लेकिन अब तक के एग्जिट पोल के मुताबिक, दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ दिख रहा है। अधिकांश सर्वे में यह अनुमान जताया जा रहा है कि इस बार दिल्ली में बीजेपी सरकार बना सकती है।

दिल्ली में इस बार मुकाबला काफी कड़ा है। 37-41 सीटों के बीच यह चुनाव बेहद करीबी दिख रहा है। आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल खुद अपनी सीट पर संकट में हैं, और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी अपनी सीट हार सकते हैं। साथ ही, कांग्रेस के अतिशि की सीट भी सुरक्षित नहीं मानी जा रही है, जहां पर भी मुकाबला काफी कड़ा है।

दिल्ली का पूरा सियासी समीकरण

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कुल 1,56,14,000 मतदाता हैं, जिसमें 83,76,173 पुरुष, 72,36,560 महिलाएं और 1,267 थर्ड जेंडर वोटर शामिल हैं। इस बार 96 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों ही 70 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि बीजेपी ने 68 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। बीजेपी ने दो सीटें अपने सहयोगी दलों एलजेपी और जेडीयू के लिए छोड़ी हैं, जिसमें देवली और बुराड़ी सीट शामिल हैं।

केजरीवाल की सीट पर कड़ा मुकाबला

नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस बार कड़ी टक्कर में फंसे हुए हैं। भाजपा यहां से आक्रामक प्रचार के चलते चुनौती पेश कर रही है। पिछले चुनाव में यह सीट केजरीवाल के लिए आसान थी, लेकिन इस बार भाजपा ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, जिससे मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है।

मनीष सिसोदिया की हार लगभग तय

पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इस बार जंगपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन exit poll की माने तो रुझान उनके पक्ष में नहीं दिख रहे। भाजपा के उम्मीदवार मजबूत स्थिति में हैं और सिसोदिया पिछड़ते नजर आ रहे हैं। शराब नीति घोटाले से जुड़े आरोपों और विपक्ष के आक्रामक प्रचार ने उनके लिए स्थिति और कठिन बना दी है।

क्या AAP फिर से सरकार बना पाएगी?

आम आदमी पार्टी को इस बार एंटी-इनकंबेंसी (विरोधी लहर) और भाजपा की रणनीति से कड़ी चुनौती मिल रही है। यदि AAP 40 से कम सीटों पर सिमटती है, तो उसे सरकार बनाने के लिए कांग्रेस या निर्दलीय विधायकों का समर्थन लेना पड़ सकता है। दूसरी ओर, भाजपा पहली बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने की पूरी कोशिश कर रही है और कांग्रेस भी कुछ सीटों पर बेहतर प्रदर्शन करती दिख रही है।

निष्कर्ष: दिल्ली में सत्ता परिवर्तन संभव?

दिल्ली चुनाव के नतीजे इस बार अप्रत्याशित हो सकते हैं। केजरीवाल की सीट पर संकट गहरा गया है, और मनीष सिसोदिया की हार लगभग तय मानी जा रही है। यदि आम आदमी पार्टी 40 के आंकड़े से नीचे रहती है, तो दिल्ली में पहली बार सत्ता परिवर्तन संभव हो सकता है। अब सभी की नजरें अंतिम नतीजों पर टिकी हैं। क्या केजरीवाल अपनी सीट बचा पाएंगे? क्या AAP फिर से सरकार बना पाएगी? या दिल्ली में भाजपा का दबदबा बढ़ेगा? इन सभी सवालों के जवाब जल्द ही सामने आएंगे।

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