Weather disaster Bihar: बिहार में खराब मौसम के चलते मृत्यु का आंकड़ा हर साल में बढ़ता जा रहा है जिसमें बिजली गिरने से राज्य में लोगों की अधिकतर एवं जानलेवा मौत होती है। चली जान लेते हैं कि पिछले 5 सालों में बिजली गिरने से बिहार में कितने प्रतिशत मौतें हुई है।

बिहार में 2017 से 2022 के बीच 5 सालों में 1624 लोगों की बिजली गिरने से हुई मौत!
बिहार में हाल के वर्षों में चरम मौसम की घटनाओं ने महत्वपूर्ण जीवन हानि का कारण बना है। आइए संख्याओं और कारणों को समझने का प्रयास करें:
मृत्यु के कारण
बिजली गिरने से मौतें – 2017 और 2022 के बीच, बिजली गिरने से बिहार में 1,624 लोगों की मौत हुई, जिसमें प्रति वर्ष औसतन 271 मौतें और 57.2 घायल हुए। सबसे अधिक प्रभावित जिले श्योहर, बांका, कैमूर और किशनगंज हैं।
लू से मौतें – पिछले दस वर्षों में, बिहार में लू से 1,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है। विशेष रूप से, 2024 में एक गंभीर लू ने राज्य में 78 लोगों की जान ली।
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बाढ़ और भारी बारिश – 2024 में, बाढ़ और बारिश से संबंधित घटनाओं में बिहार में 61 लोगों की मौत हुई। इसके अलावा, अप्रैल और अगस्त 2023 के बीच, बिहार में जलवायु संबंधी आपदाओं के कारण 502 मौतें हुईं।
आंकड़े
- वार्षिक मृत्यु दर – बिहार में बिजली गिरने से वार्षिक मृत्यु दर प्रति मिलियन 2.65 है, जो राष्ट्रीय औसत 2.55 से अधिक है।
- प्रभावित आयु वर्ग – ग्रामीण पुरुषों में 11-15 वर्ष और 41-45 वर्ष के आयु वर्ग के लोग बिजली गिरने से विशेष रूप से प्रभावित होते हैं।
- बिजली गिरने का समय – अधिकांश बिजली संबंधित मौतें मई और सितंबर के बीच होती हैं, जिसमें जून और जुलाई चरम महीने होते हैं, जो 58.8% बिजली संबंधित मौतों के लिए जिम्मेदार हैं।
बिहार सरकार ने चरम मौसम की घटनाओं के प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाए हैं, जिसमें आपदा प्रबंधन प्रथाओं को लागू करना और अलर्ट जारी करना शामिल है। हालांकि, नागरिकों के जीवन की रक्षा के लिए, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, और अधिक करने की आवश्यकता है।
बिहार में मौसम संबंधित मौतों के कारणों और आंकड़ों को समझकर, हम इन घटनाओं के प्रभाव को कम करने और जीवन बचाने की दिशा में काम कर सकते हैं।

