बिहार चुनाव 2025: NDA में सीट बंटवारे पर बनी सहमति, मांझी के बयान से खुला बड़ा राज़

Shubhra Sharma
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नज़दीक आते ही सबसे बड़ा सवाल यही था कि NDA में सीट बंटवारे का फ़ॉर्मूला आखिर कैसे तय होगा? कई दिनों से चल रही खींचतान और अटकलों के बीच हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने ऐसा बयान दे दिया है जिसने सबको चौंका दिया। उन्होंने इशारों में साफ कर दिया कि NDA के भीतर लंबे समय से अटकी एक अहम गुत्थी अब सुलझ चुकी है। लेकिन यह समझौता किन सीटों पर हुआ और इससे किसको फायदा मिलेगा? यही अब बिहार की सियासत का सबसे बड़ा चर्चित मुद्दा बन गया है।

दबाव की राजनीति नहीं करते: मांझी

पटना में पत्रकारों से बातचीत के दौरान मांझी ने साफ कहा कि उनकी पार्टी दबाव की राजनीति में विश्वास नहीं करती। उन्होंने कहा, “हम लोग प्रेशर पॉलिटिक्स नहीं करते। यह काम करने वाले दूसरे लोग हैं।” मांझी का यह बयान उन सहयोगी दलों के लिए संकेत था जो ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं। उन्होंने NDA को एक परिवार की तरह बताते हुए कहा कि यहां सबकी बात सुनी जाती है, लेकिन अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व ही लेता है।

चिराग पासवान पर अप्रत्यक्ष निशाना

जीतन राम मांझी ने बिना नाम लिए लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान पर निशाना साधा। चिराग लगातार 35-40 सीटों की मांग कर रहे हैं। मांझी ने कहा कि गठबंधन में संतुलन जरूरी है और सभी को यह समझना होगा। उनका यह रुख NDA में शांति बनाए रखने वाला माना जा रहा है, क्योंकि सीट शेयरिंग पर खींचतान की स्थिति लगातार बढ़ रही थी।

बैठक में होगा अंतिम फैसला

मांझी ने स्पष्ट किया कि सीट शेयरिंग का अंतिम फैसला NDA की बैठक में होगा। सूत्रों के अनुसार, यह बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी। इसमें जेडीयू, बीजेपी, LJP (रामविलास), HAM और अन्य सहयोगी दलों के बीच सीटों का बंटवारा फाइनल होगा। मांझी ने भरोसा जताया कि 2020 की तरह इस बार भी NDA मजबूत रहेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ की और कहा कि इन दोनों नेताओं के नेतृत्व में गठबंधन मजबूती से चुनाव लड़ेगा।

8 सीटों का महत्व

HAM अभी राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त पार्टी नहीं है। चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक किसी दल को राष्ट्रीय मान्यता पाने के लिए कम से कम 6 विधानसभा सीटों पर जीत जरूरी है। मांझी ने कहा कि अगर उनकी पार्टी को 8 सीटें मिलती हैं, तो वे सभी सीटें जीतकर आएंगे। उन्होंने 2020 के आंकड़ों का जिक्र किया, जब HAM को 7 सीटें मिली थीं और 4 पर जीत मिली थी। उनका यह बयान एक व्यावहारिक मांग को दर्शाता है, जिससे NDA के भीतर अनावश्यक विवाद खत्म हो सके।

ज्यादा जिम्मेदारी, ज्यादा जीत

मांझी ने अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संदेश देते हुए कहा कि अगर उनकी पार्टी को ज्यादा सीटें दी जाएंगी तो वे ज्यादा जीत हासिल करेंगे। उन्होंने उत्साह के साथ कहा, “आठ सीट मिलेगी तो आठ जीतेंगे, ज्यादा मिलेगी तो और जीतेंगे।” यह आत्मविश्वास उनके सामाजिक आधार पर टिका है, क्योंकि HAM मुख्य रूप से महादलित और पिछड़े वर्गों में लोकप्रिय मानी जाती है।

NDA का संतुलन और समीकरण

विशेषज्ञ मानते हैं कि NDA में सीट शेयरिंग का यह सुलझाव आगामी चुनाव के लिए गठबंधन की ताकत को और बढ़ाएगा। संभावना जताई जा रही है कि कुल 243 विधानसभा सीटों में से बीजेपी और जेडीयू को लगभग बराबर यानी 100-102 सीटें मिलेंगी। वहीं, छोटे दलों के लिए लगभग 40 सीटें छोड़ी जा सकती हैं। इस फार्मूले से बड़े दलों और छोटे दलों दोनों का संतुलन बना रहेगा।

निष्कर्ष

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए NDA ने जो संदेश दिया है, वह साफ करता है कि गठबंधन एकजुट होकर मैदान में उतरने की तैयारी में है। जीतन राम मांझी का व्यावहारिक रुख और दबाव की राजनीति से दूरी NDA को मजबूती प्रदान कर रही है। अब सबकी निगाहें NDA की होने वाली बैठक पर टिकी हैं, जहां अंतिम रूप से सीटों का बंटवारा तय होगा। कुल मिलाकर, मांझी के बयान ने यह साफ कर दिया है कि NDA में मतभेदों से ज्यादा सहमति की गुंजाइश है और यह एकजुटता ही आगामी चुनाव में उनकी असली ताकत साबित हो सकती है।

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