Bihar Chunav 2025: प्रशांत किशोर का बड़ा दावा – JDU को 25 सीटें भी नहीं मिलेंगी, नीतीश कुमार अब नहीं बनेंगे CM

Shubhra Sharma
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी तेज़ हो चुकी है। सभी दल अपनी-अपनी रणनीतियों और गठबंधनों को लेकर एक्टिव हो गए हैं। इसी बीच जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) ने एक बड़ा बयान देकर राजनीतिक हलचल मचा दी है। उन्होंने दावा किया है कि इस बार जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू की हालत बेहद खराब होने वाली है और पार्टी 25 सीटों से ज्यादा जीत ही नहीं पाएगी।

प्रशांत किशोर का नीतीश कुमार पर बड़ा हमला

प्रशांत किशोर ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साख अब पहले जैसी नहीं रही। जनता उनके पल-पल बदलते फैसलों से नाराज़ है। कभी एनडीए (NDA) तो कभी महागठबंधन (INDIA) का हिस्सा बनने वाली राजनीति से बिहार के लोग ऊब चुके हैं। किशोर का कहना है कि इस बार नीतीश कुमार के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पाना नामुमकिन है।

उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति अब युवाओं और विकास के मुद्दों पर खिसक रही है। जनता अब रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे मुद्दों पर जवाब चाहती है। नीतीश कुमार की सरकार इन मोर्चों पर जनता को संतुष्ट नहीं कर पाई है।

जनसुराज पार्टी का स्टैंड – “या तो शीर्ष पर या सबसे नीचे”

प्रशांत किशोर ने साफ कहा कि उनकी पार्टी जनसुराज इस चुनाव में केवल “औपचारिक” खिलाड़ी नहीं होगी। उनका कहना है कि जनसुराज या तो शीर्ष पर जाकर सत्ता में भागीदारी करेगी या फिर बिल्कुल नीचे रहेगी, लेकिन बीच का रास्ता नहीं चुना जाएगा। यह बयान साफ करता है कि पार्टी पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।

महागठबंधन और एनडीए पर भी साधा निशाना

किशोर ने महागठबंधन और एनडीए दोनों पर तंज कसा। उनका कहना है कि दोनों गठबंधन जनता को सिर्फ़ जातीय समीकरण और सत्ता की राजनीति में उलझाए रखते हैं। रोजगार और विकास के नाम पर सिर्फ़ वादे किए जाते हैं, ज़मीन पर काम नहीं दिखता।

उन्होंने कहा कि अगर लोग सिर्फ़ जातीय समीकरणों के आधार पर वोट डालते रहेंगे तो बिहार कभी आगे नहीं बढ़ पाएगा। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे इस बार विकास और सुशासन को ही प्राथमिकता दें।

क्या वाकई जेडीयू 25 सीटों तक सीमित हो जाएगी?

बिहार की मौजूदा राजनीति पर नज़र डालें तो यह दावा पूरी तरह से अतिशयोक्ति भी लग सकता है और संभावना भी। नीतीश कुमार भले ही लंबे समय तक बिहार की राजनीति के केंद्र में रहे हों, लेकिन हाल के वर्षों में उनके लगातार पाले बदलने ने उनकी छवि को काफी नुकसान पहुँचाया है।

  • 2015 में महागठबंधन के सहारे सत्ता में आए।

  • 2017 में अचानक एनडीए में लौटे।

  • 2022 में फिर से महागठबंधन में चले गए।

  • अब चर्चाएं हैं कि वह एक बार फिर एनडीए के साथ जा सकते हैं।

इन बार-बार के बदलावों से जनता में यह धारणा बन गई है कि नीतीश कुमार अब विश्वसनीय नेता नहीं रह गए हैं। यही कारण है कि प्रशांत किशोर का यह बयान लोगों को संभव भी लग रहा है।

चुनावी समीकरण में जनसुराज की भूमिका

अब बड़ा सवाल यह है कि जनसुराज पार्टी खुद कितनी सीटें निकाल पाएगी। प्रशांत किशोर का नाम राजनीति और रणनीति में बड़ा है, लेकिन पार्टी का संगठन अभी मजबूत नहीं है। अगर PK अपनी रणनीति के साथ युवाओं और किसानों को जोड़ने में कामयाब रहते हैं, तो वह तीसरे विकल्प के रूप में उभर सकते हैं।

निष्कर्ष

बिहार चुनाव 2025 इस बार बेहद दिलचस्प होने वाले हैं। एक ओर एनडीए और महागठबंधन अपने पुराने समीकरणों पर भरोसा कर रहे हैं, वहीं प्रशांत किशोर का दावा है कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है।

उनके मुताबिक जेडीयू की हालत इतनी खराब होगी कि पार्टी 25 सीटों के भीतर सिमट जाएगी और नीतीश कुमार की विदाई तय है। अब यह जनता पर निर्भर करेगा कि वह वास्तव में प्रशांत किशोर की अपील पर ध्यान देती है या फिर पुराने समीकरणों पर ही भरोसा करती है।

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