बिहार विधानसभा चुनाव 2025: लालू बनाम जेडीयू, भ्रष्टाचार और ‘जंगलराज’ पर छिड़ी जंग

Shubhra Sharma
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बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 अभी आधिकारिक रूप से घोषित नहीं हुए हैं, लेकिन सियासी सरगर्मियां चरम पर हैं। हर दल अपने-अपने एजेंडे और चुनावी नैरेटिव को आगे बढ़ाने में जुटा हुआ है। इस बीच सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था बनता दिख रहा है।

लालू यादव का हमला: “डबल इंजन सरकार मतलब भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार”

राजद सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर एक पोस्ट करके नीतीश कुमार और बीजेपी पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और “डबल इंजन सरकार का मतलब है भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार”। लालू ने शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार को लेकर जारी एक वीडियो भी साझा किया और दावा किया कि इस प्रशासन को हटाना अब ज़रूरी हो गया है।

लालू यादव ने साफ कहा कि इस बार बिहार में सत्ता परिवर्तन होगा—“हम मुख्यमंत्री बदलेंगे, हम सरकार बदलेंगे”। उनके इस बयान ने चुनावी माहौल को और गरमा दिया।

जेडीयू का पलटवार: “भ्रष्टाचार की बात करना लालू के लिए मज़ाक”

लालू यादव के इस बयान पर जेडीयू ने जोरदार पलटवार किया। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि लालू को भ्रष्टाचार पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि वे खुद भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं।

नीरज कुमार ने तंज कसते हुए कहा—“लालू यादव कहते हैं कि वह भ्रष्टाचार हटाएँगे, यह कैसा मज़ाक है? वे चुनाव लड़ने के भी लायक नहीं हैं। उन्हें अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि उनका राजनीतिक स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है।”

स्पष्ट है कि जेडीयू लालू की राजनीतिक विश्वसनीयता को बार-बार उनके पिछले घोटालों से जोड़कर सवालों के घेरे में लाना चाहती है।

तेजस्वी यादव का मुद्दा: अस्पताल और शिक्षा व्यवस्था पर निशाना

इसी बीच राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने पुर्णिया के सरकारी अस्पताल का दौरा किया और वहां की खराब हालत को लेकर नीतीश सरकार को घेरा।

तेजस्वी ने कहा कि अस्पतालों में डॉक्टर और नर्सों की भारी कमी है, इंटर्न महीनों से बिना वेतन के काम कर रहे हैं, उपकरण धूल खा रहे हैं और मरीजों को बुनियादी सुविधाएँ तक नहीं मिल पा रही हैं। उन्होंने इसे “डबल जंगलराज” करार दिया।

तेजस्वी का आरोप है कि शिक्षा और स्वास्थ्य विभागों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है। निर्माण कार्यों में कमीशनबाजी होती है लेकिन जनता को वास्तविक सुविधाएँ नहीं मिल पातीं।

अपराध और कानून व्यवस्था का मुद्दा

राजद और विपक्षी दल लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि बिहार में अपराध नियंत्रण से बाहर हो चुका है। हत्या, लूट, अपहरण और गोलीबारी की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कह दिया कि “सड़कें खून से रंगी पड़ी हैं और अपराधियों को सत्ता का संरक्षण मिल रहा है।”

दूसरी ओर जेडीयू और एनडीए सरकार का कहना है कि अपराध नियंत्रण के लिए लगातार कार्रवाई हो रही है और कई मामलों में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की है। उनका तर्क है कि राजद शासनकाल की तुलना में स्थिति बेहतर हुई है।

सीट बंटवारे की जंग और गठबंधन की तैयारी

बिहार चुनाव 2025 के लिए महागठबंधन की ओर से सीट बंटवारे पर सहमति बन चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, राजद को 136 सीटें, कांग्रेस को 52 और वामपंथी दलों को करीब 34 सीटें मिलने वाली हैं। दूसरी तरफ, एनडीए भी रणनीति बना रहा है कि भाजपा, जेडीयू और अन्य सहयोगी दल किस अनुपात में चुनाव लड़ेंगे।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। बसपा नेता रामजी गौतम ने कहा है कि पार्टी पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरेगी और जनता को अपराध और बेरोजगारी से मुक्ति दिलाने का विकल्प देगी। उन्होंने दावा किया कि जिस तरह मायावती ने यूपी से ‘जंगलराज’ खत्म किया था, उसी तरह बिहार में भी बसपा मजबूत विकल्प बनेगी।

रोजगार और पलायन का मुद्दा

रामजी गौतम ने यह भी कहा कि आज भी बिहार के करीब 4 करोड़ प्रवासी मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए बाहर काम करने को मजबूर हैं। बड़े उद्योगों की कमी और असमानता की वजह से राज्य में बेरोजगारी चरम पर है।

यह मुद्दा भी चुनाव में बड़ा फैक्टर बनने जा रहा है। विपक्षी दल सरकार से पूछ रहे हैं कि 11 साल से पीएम मोदी और सीएम नीतीश ने विकास और उद्योग लगाने के कितने वादे किए, लेकिन ज़मीनी स्तर पर बड़े बदलाव क्यों नहीं दिखे।

भ्रष्टाचार ही बनेगा चुनावी मुद्दा?

लालू यादव जहाँ भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बना रहे हैं, वहीं जेडीयू और भाजपा लगातार उनके ही शासनकाल के घोटालों की याद दिलाकर जनता को सचेत करने की कोशिश कर रहे हैं।

तेजस्वी यादव और महागठबंधन यह दिखाना चाहते हैं कि मौजूदा एनडीए सरकार गरीबों, नौजवानों और आम जनता के मुद्दों से भटक चुकी है। वहीं, एनडीए यह कह रहा है कि पिछली सरकारों की तुलना में हालात सुधरे हैं और विकास योजनाओं का लाभ धीरे-धीरे ज़मीन तक पहुंच रहा है।

निष्कर्ष

बिहार चुनाव 2025 पूरी तरह से भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था और रोजगार जैसे मुद्दों पर लड़ा जाएगा। एक तरफ लालू यादव और तेजस्वी सरकार को भ्रष्टाचार और अपराध के मुद्दे पर घेर रहे हैं, वहीं जेडीयू और एनडीए लालू के अतीत को सामने रखकर उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं।

बसपा और अन्य दल भी मैदान में कूद चुके हैं, जिससे मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि जनता किस नैरेटिव को सही मानती है—लालू और तेजस्वी का “भ्रष्टाचार विरोधी” दावा या जेडीयू-एनडीए का “लालू के भ्रष्टाचार” वाला तर्क।

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