itiya vrat katha:जीवित्पुत्रिका व्रत जिसे कुछ राज्यों में जीतिया के नाम से भी जाना जाता है। आज के इस लेख बताएंगे कि जीतिया व्रत के कथा (jitiya vrat katha) ।
जितिया कब है?
इस बार जीतिया व्रत 24 तारीख सितंबर मंगलवार नहाय खाय शुरू हो रहीं जबकि 25 को महिलाएं अपने पुत्रों के लिए निर्जला व्रत रखेंगी और 26 सितंबर को पारण करेंगी ये उपहास 24 घंटा होता है।जितिया व्रत में महिलाएं 24 घंटे तक अन्न व जल कुछ ग्रहण नहीं करती हैं।इस दिन माताएं अपने संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।
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जीतिया व्रत कथा
जितिया व्रत कथा (jitiya vrat katha) के पिछे कई कथाएं प्रचलित हैं। जिनमें से कुछ प्रमुख कथाएं
जीमूतवाहन की कथा
इस कथा में राजकुमार जीमूतवाहन ने सर्पों को बचाने के लिए अपना बलिदान दे दिया। उनकी माता ने उनके पुनर्जन्म के लिए कठोर तपस्या की और भगवान विष्णु से प्रार्थना की।
चील और सियार की कथा
जीतिया व्रत के लिए एक कथा जो कि काफी प्रचलित है और इस कथा में एक चील और एक सियार दोनों एक व्रत रखते हैं। चील व्रत का पालन करती है जबकि सियार धोखा देती है। इसके परिणामस्वरूप, अगले जन्म में चील को सुख और सियार को दुख मिलता है।
भगवान कृष्ण से जुड़ी कथा
जीतिया व्रत पर एक और कथा प्रचलित जो कि
भगवान कृष्ण से जुड़ी है।इस कथा में भगवान कृष्ण अपनी माता यशोदा के लिए जितिया का व्रत करते हैं।
जितिया व्रत का महत्व
- मातृ प्रेम: यह व्रत माँ के अपने बच्चों के प्रति असीम प्रेम का प्रतीक है।
- त्याग और समर्पण: इस व्रत के माध्यम से माताएँ त्याग और समर्पण का भाव प्रदर्शित करती हैं।
- धार्मिक आस्था: यह व्रत धार्मिक आस्था को मजबूत करता है
- समाजिक एकता: इस व्रत के वक्त परिवार और समाज के लोग एक साथ आते हैं।
निष्कर्ष
जितिया व्रत एक ऐसा मात्र त्योहार है जो माँ के प्रेम और त्याग को दर्शाता है। यह व्रत न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि सामाजिक एकता को भी मजबूत नींव तैयार करता है।