बिहार सियासत में कुछ बड़ा होने वाला है,इस दिन नीतीश कुमार फिर से मारेंगे पलटीं

Shashikant kumar
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नीतीश कुमार

नीतीश कुमार: क्या वाकई एनडीए गठबंधन अब लंबे समय तक टिका नहीं रहेगा क्या वाकई जो भाषा ललन सिंह बोल रहे हैं, चल क्या रहा है एनडीए के अंदर और एनडीए के टूटने की शुरुआत जो कहा जा रहा था कि महाराष्ट्र चुनाव के वक्त महाराष्ट्र से हो सकती है क्या इसकी शुरुआत बिहार से तो होने वाली नहीं है कई सारे कारण ऐसे दिखाई दे रहे हैं। जिससे साफ-साफ लग रहा है कि अब बिहार में एनडीए के अंदर भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के रास्ते बहुत ज्यादा दिनों तक एक साथ नहीं चलेंगे दोनों के रास्ते कभी भी अलग हो सकते हैं पहली बात लोकसभा चुनाव के बाद जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक बुलाई गई वो कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली में बुलाई गई और याद रखिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई लेकिन राष्ट्रीय परिषद की बैठक नहीं बुलाई गई पिछली बार दिसंबर में जब बैठक हुई थी तब राष्ट्रीय कार्यकारणी और राष्ट्रीय परिषद दोनों की बैठक हुई थी तब जाकर ललन सिंह की जगह नीतीश कुमार को अध्यक्ष बनाया गया था और उस वक्त की तल्खी को देखिए जब ललन सिंह से पूछा जा रहा था कि क्या राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद वो छोड़ने वाले हैं तो तल्खी के साथ जवाब दे रहे थे कि आखिर यह खबर उड़ती कहां से है और एक बार तो उन्होंने यहां तक कह दिया था जब पत्रकारों ने पूछा कि सुशील कुमार मोदी कह रहे कि ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ने वाले हैं तो तल्खी के साथ उन्होंने यहांतक कह दिया था कि सुशील कुमार मोदी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मित्र हैं और हो सकता है कि उन्होंने उन्हें बता दिया हो तो इस तल्खी के मायने समझे जा सकते हैंकि उस वक्त क्या थे क्या वाकई कोई तल्खी थी या ललन सिंह के बोलने का अंदाज वैसा है।लेकिन उस तल्खी और उस अंदाज को उस कथित तल्खी वाले अंदाज को हम वही छोड़ दे।

नीतीश कुमार

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ताजा घटनाक्रम को देखें तो तीन घटनाएं ऐसी

 

 राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक औक्यों बुलाई गई है उसकी कुछ ना कुछ आहट मिलना अब शुरू हो गया है सबसे पहले कुछ दिनों से अटकल लग रही थी कि नीतीश कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष पर छोड़ देंगे और राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संजय झा को दे सकते हैं संजय झा हाल ही में राज्यसभा सांसद बने हैं पहली बार संसद का मुंह देखे है। जनता दल यूनाइटेड के संसदीय दल का नेता बना दिया गया अब सोचिए संसदीय दल का नेता बना दिया गया उसी के साथ साफ जाहिर हो गया कि संजय झा राज्यसभा में जब नेता घोषित हो गए पार्टी के इसका सीधा मतलब है कि संजय झा को राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनाया जा रहा है। और राष्ट्रीय अध्यक्ष जब बदलने की बात आती है तो नीतीश कुमार यदि राष्ट्रीय अध्यक्ष पर छोड़ना चाहते तो सबसे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ने के राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाई जाती जो बुलाई नहीं गई है जो जेडीयू के की परंपरा रही है दूसरा बड़ा घटनाक्रम जो बेहद महत्त्वपूर्ण है और जो लोग बिहार के एडमिनिस्ट्रेटिव स्ट्रक्चर को प्रशासनिक ढांचे को जानते हैं उन्हें पता है कि पटना जिले का जिलाधिकारी पटना का डीएम किस प्रकार से तय किया जाता है। बिहार ही नहीं देश के किसी भी राज्य में आप चले जाएं राजधानी का डीएम कौन होगा इसको लेकर सबसे ज्यादा माथा पची होती है उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में लखनऊ के साथ नोएडा के डीएम को लेकर के भी लोगों की काफी रुचि रहती है क्योंकि नोएडा राजधानी से कम महत्व नहीं रखता है यूपी में लेकिन आप बिहार देखें मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ राजस्थान किसी भी राज्य में चले जाए। झारखंड हर राज्य में राजधानी वाले जिले के डीएम का पद महत्त्वपूर्ण माना जाता है जनवरी महीने में आखिरी हफ्ते में पटना के डीएम रहे चंद्रशेखर सिंह को पद से हटा दिया गया था और बिल्कुल उसी दौर में हटायागया था जब नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन छोड़कर एनडीए गठबंधन में वापस आ रहे थें। अब एक बार फिर से चंद्रशेखर सिंह पटना डीएम कल फिरउनकी वापसी का फरमान जारी कर दिया गया है। वो एक बार फिर पटना के डीएम होंगे पटना के डीएम के महत्व को यदि समझना हो तो दो बातें समझना महत्त्वपूर्ण हो जाता है।

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शशिकांत कुमार युवा लेखक राजनीति, 2024 की रणभूमि पुस्तक के लेखक। पिछले कई चुनावों से लगातार ही सबसे विश्वसनीय विश्लेषक।।।