नवरात्रि 2024: जानिए देवी दुर्गा के रहस्य मंदिर के बारे में

Subhra kanta
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नवरात्रि 2024
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नवरात्रि 2024: जानिए देवी दुर्गा के रहस्य मंदिर के बारे में हर साल नवरात्रि के पावन अवसर पर मां दुर्गा के भक्त अपने श्रद्धालु मन से देवी के मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं। इस बार नवरात्रि 2024 में आप हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला देवी के मंदिर के दर्शन कर सकते हैं, जिसे हिंदू धर्म के सबसे रहस्यमय मंदिरों में से एक माना जाता है। यह वही स्थान है, जहां मान्यता के अनुसार मां सती की जीभ गिरी थी, और आज भी यहां एक अद्भुत ज्वाला जलती रहती है, जिसे बुझाने का प्रयास कई शासकों और वैज्ञानिकों ने किया, परंतु कोई सफलता नहीं मिली।इस नवरात्रि आप मां दुर्गा के उस रहस्यमय मंदिर के दर्शन कर सकते हैं, जहां मां सती की जीभ गिरी थी और वहां आज भी लगातार ज्वाला जलती रहती है।

ज्वाला देवी मंदिर का रहस्य

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हिमाचल प्रदेश की कालीधार पहाड़ियों के बीच स्थित ज्वाला देवी का यह मंदिर सिर्फ श्रद्धा और आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक पक्ष भी है जो लोगों को हैरान करता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यहां पर देवी सती की जीभ गिरी थी, जिसके प्रतीकस्वरूप धरती से लगातार एक ज्वाला प्रकट होती है। यह ज्वाला नौ रंगों में जलती है, जो मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करती है – महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विन्ध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजी देवी।

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दुर्गा पूजा का इतिहास और अलग राज्यों में क्या नाम जाना जाता है?

अनसुलझे प्रश्न

ज्वाला का रहस्य आज तक कोई नहीं सुलझा पाया। सदियों से यह प्रश्न बना हुआ है कि यह ज्वाला आखिर किस स्रोत से निकलती है और इसका रंग कैसे बदलता है? वैज्ञानिक और भू-विशेषज्ञ इस बात की तह तक जाने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन अब तक इसका कोई ठोस उत्तर नहीं मिला है।

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मुगल शासकों की नाकाम कोशिश

इतिहास के पन्नों में यह दर्ज है कि इस मंदिर की महत्ता को चुनौती देते हुए कई मुस्लिम शासकों ने इसे बुझाने का प्रयास किया। यहां तक कि मुगल बादशाह अकबर ने भी इस ज्वाला को बुझाने के लिए कई प्रयत्न किए, लेकिन उसे भी असफलता हाथ लगी। कहा जाता है कि इसके बाद अकबर ने मां ज्वाला देवी को 50 किलो का सोने का छत्र भेंट किया, लेकिन देवी ने इसे स्वीकार नहीं किया। छत्र जमीन पर गिर गया और यह आज भी मंदिर परिसर में रखा हुआ है, जो इस बात का प्रतीक है कि देवी मां किसी भी अधर्म को स्वीकार नहीं करतीं।

नवरात्रि में विशेष महत्व

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नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों का जमावड़ा लगता है। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं और मां की अर्चना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और वे जीवन के कष्टों से मुक्ति पाते हैं। नवरात्रि का समय मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का समय है, और ज्वाला देवी मंदिर में इस समय विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

एक साल में कितने नवरात्रि होते है?

हिंदू रवाज़ो में साल में ५ बार नवरात्रि आती है। चैत्र,माघ, आषाढ़ और अश्विन (क्वार) के महीनो में नवरात्रिया मानते है और मां दुर्गा की पूजा करी जाती है। शारदीय नवत्त्री को सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है और आगामी ९ दिनों तक हम नवरात्रि के नौ दिनों को मां दुर्गा की पूजा करेंगे।

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