केरल सरकार ने ऐसा फैसला लिया जो कि हम उचित नहीं कह सकते हैं। जो इंडिया गठबंधन वाले ये कहते थे कि भारत में लोकतंत्र ख़तरे में है उसी इंडिया गठबंधन के सरकार वाले एक राज़ में इस देश का लोकतंत्र वकई ख़तरे में आ गया। जिसकी आप कल्पना भी किसी ने नहीं किया वो फैसला केरला सरकार ने ले लिया।
असल मायने केरला सरकार ने वासुकी नाम की एक आईएएस अधिकारी को विदेश सचिव नियुक्त किया है। इस फैसले की अब कड़ी आलोचना हो रही है। बीजेपी ने कहा कि केरल के सीएम ने संघीय सूची का उल्लंघन किया है। केरल सरकार के अजीब आदेश में बाहरी सहयोग से संबंधित मामलों का प्रभारी सचिव नियुक्त किया है।
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विदेश मामलों का अधिकार केंद्र के पास
किसी भी राज्य के पास ये अधिकार नहीं है कि वो विदेशी मामला को देख सकता है। स्पष्ट शब्दों कहें तो जो इंडिया गठबंधन लोग संविधान बात कर रहे वहीं लोग संविधान के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। इस कदम को गंभीरता से संविधान की संघ सूची के विषयों में अतिक्रमण के रूप में देखा जा सकता है। सरकार ने 15 जुलाई को एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया है कि सचिव (श्रम और कौशल) के वासुकी “बाहरी सहयोग से जुड़े मामलों का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे।
बीजेपी का आलोचना
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के इस फैसले पर सियासत गरमा गई है। बीजेपी ने राज्य सरकार के इस फैसले की आलोचना की है और कहा है कि केरल के सीएम को राज्य को देश नहीं मानना चाहिए। केरल बीजेपी अध्यक्ष ने कहा के वासुकी को राज्य के विदेश सचिव के रूप में नियुक्त करना असंवैधानिक है।
जब आप संविधान देखेंगे तो विदेशी मामलों का अधिकार केंद्र सरकार के पास है इसमें राज्यों के पास कोई अधिकार नहीं है। स्पष्ट शब्दों कहें तो केरल सरकार के फैसले के बाद केरला के साथ ही देश सियासत का गर्म हो चुका है।