कटिहार नगर निगम टेंडर घोटाला: लाखों के राजस्व की चोरी और टेंडर माफियाओं का राज

Shubhra Sharma
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कटिहार नगर निगम में हुए एक बड़े टेंडर घोटाले ने पूरे शहर में हलचल मचा दी है। हाल ही में कटिहार नगर निगम में 62 टेंडरों की प्रक्रिया के दौरान करोड़ों रुपये की गड़बड़ी का खुलासा हुआ है, जिसने नगर निगम के कामकाज और टेंडर प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आइए जानते हैं इस पूरे घोटाले की गहराई से जानकारी।

कटिहार

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क्या है पूरा मामला?

कटिहार नगर निगम के टेंडर बॉक्स में सिर्फ 13 निविदाएं ही डाली गईं, जबकि पूर्णिया के इसी ऑफिस में टेंडर गिराए गए। सबसे बड़ा सवाल उठता है कि कटिहार में इतनी कम निविदाएं क्यों डाली गईं और पूर्णिया में क्यों? जब कटिहार में टेंडर खुले आम होना था, तो पहले से सूची कैसे तैयार कर ली गई? आखिर इस सूची को किसने बनाया और किसके कहने पर इसे तैयार किया गया?

सूची किसने बनाई और किसके कहने पर?

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 6 तारीख को नगर निगम के एसडीओ ऑफिस में दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच कुछ अधिकारियों और संवेदकों द्वारा एक सूची तैयार की गई। इस सूची को मार्केट में सर्कुलेट कर दिया गया और ऑनलाइन निविदा प्रक्रिया शुरू की गई। जब निविदा की हार्ड कॉपी डालने का समय आया, तो कटिहार नगर निगम में बाहरी लोगों को निविदा डालने से रोक दिया गया। वहीं, सिर्फ “खास” लोगों की पर्ची ही टेंडर बॉक्स में डाली गई। यह सारी गड़बड़ी नगर आयुक्त और अन्य अधिकारियों की नाक के नीचे हो रही थी।

टेंडर माफिया का खौफ और गुंडागर्दी

कटिहार नगर निगम के इस टेंडर घोटाले में “टेंडर माफिया” की भूमिका सबसे अहम रही। सुत्रो के हवाले से खबर मिली सीसीटीवी कैमरों के सामने नगर आयुक्त पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रहे थे, लेकिन दूसरी तरफ टेंडर माफिया खुले आम अपनी गुंडागर्दी दिखा रहे थे। टेंडर डालने आए लोगों को धमकाया गया और उन्हें निविदा बॉक्स में अपनी पर्ची डालने से रोका गया। डर और धमकी की वजह से कई लोग नगर निगम के बॉक्स में निविदा डालने की बजाय पूर्णिया के एसी ऑफिस में गए।

कटिहार में डर का माहौल

टेंडर माफियाओं की धमकी और गुंडागर्दी के चलते, निविदा प्रक्रिया में भाग लेने वाले लोगों को कटिहार के नगर निगम में निविदा नहीं डालने दिया गया। सवाल यह है कि जब टेंडर प्रक्रिया कटिहार नगर निगम में हो रही थी, तो लोगों को पूर्णिया के एसी ऑफिस में जाकर टेंडर डालने की क्या जरूरत पड़ी? यह साफ तौर पर इस बात की ओर इशारा करता है कि कटिहार नगर निगम में भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर हो रहा है और इसमें शामिल अधिकारियों और टेंडर माफियाओं की मिलीभगत है।

राजस्व की हेराफेरी और गड़बड़ी

सुत्रो के हवाले से खबर मिली है कटिहार नगर निगम में टेंडर प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर राजस्व की चोरी हो रही है। जब एक टेंडर पर दो पेपर डाले जाते हैं, तो यह साफ फर्जीवाड़े की निशानी है। टेंडर माफिया डमी टेंडर डालते हैं और फिर अपने खास लोगों को ठेका दिलवाते हैं। इस प्रक्रिया से न केवल काम की गुणवत्ता पर असर पड़ता है, बल्कि सरकार को भी भारी राजस्व नुकसान होता है। इसके साथ ही टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता पूरी तरह से गायब हो चुकी है।

सीसीटीवी फुटेज की जाँच क्यों जरूरी है?

नगर निगम के इस बड़े घोटाले की जाँच के लिए सीसीटीवी फुटेज की जाँच जरूरी है। यह पता लगाना महत्वपूर्ण है कि 6 तारीख को एसडीओ ऑफिस में कौन-कौन लोग मौजूद थे और 13 तारीख को निविदा ड्रॉपिंग के समय कौन लोग थे, जिन्होंने दूसरों को निविदा डालने से रोका। इस घोटाले की जाँच से कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं, जो इस पूरे खेल का हिस्सा हैं।

निगम के आला अधिकारी शक के घेरे में

खबरें ऐसी भी हैं कि कटिहार नगर निगम के आला अधिकारी भी इस घोटाले में शक के घेरे में आ चुके हैं। टेंडर माफियाओं और अधिकारियों के बीच मिलीभगत का शक गहराता जा रहा है। यह पूरा खेल कटिहार नगर निगम के आला अधिकारियों की नाक के नीचे हो रहा है और उनकी चुप्पी इस घोटाले में उनकी भूमिका को संदेहास्पद बना रही है।

घोटाले की पूरी कहानी

6 तारीख को नगर निगम के एसडीओ ऑफिस में कुछ माननीय और संवेदक बैठकर एक सूची तैयार कर रहे थे। यह सूची लैपटॉप पर तैयार की गई और फिर मार्केट में सर्कुलेट कर दी गई। इस सूची के अनुसार ही टेंडर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया। 13 तारीख को निविदा डालने के समय नगर निगम के ऑफिस के बाहर 10 से 20 लोग तैनात थे, जो किसी को भी ऊपर जाकर निविदा डालने से रोक रहे थे। इस पूरी प्रक्रिया की सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध है, लेकिन अभी तक किसी भी तरह की जाँच शुरू नहीं की गई है।

निष्कर्ष

कटिहार नगर निगम का यह टेंडर घोटाला एक गंभीर प्रशासनिक भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। इसमें टेंडर माफियाओं की मिलीभगत से राजस्व की भारी चोरी की जा रही है और सरकारी नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। अगर इस घोटाले की सही तरीके से जाँच नहीं हुई, तो भविष्य में ऐसे और भी घोटाले सामने आ सकते हैं। नगर निगम और जिला प्रशासन को इस मामले की गहन जाँच करनी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

Note: खबर की पुष्टि इंड टॉक नहीं करता है। जानकारी सूत्रों के आधार पर है।

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